
भोपाल। आस्टे्रलिया में होने वाली पैसेफिक स्कूल गेम्स चैंपियनशिप के लिए स्कूली बच्चों के नाम से मंजूर सरकारी राशि से मंत्री व अफसरों ने टूर प्लान बना लिया। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह सहित विभाग के आधा दर्जन अफसर इस दौरे पर जाने वाले हैं। इस कवायद में 11 होनहार खिलाड़ी दरकिनार कर दिए गए हैं। इनमें से नौ खिलाडिय़ों को औपचारिकता पूरी नहीं होने का कारण बता कर रिजेक्ट कर दिया गया है।
मंत्री-अफसरों के इस कारनामे का खुलासा स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया की पंजीयन सूची से हुआ है। इसमें आस्टे्रलिया के दौरे के लिए स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह का नाम एचओडी के तौर पर दर्ज किया गया है, जबकि विभाग की संचालक अनु भदौरिया, उप संचालक बृजभूषण सक्सेना, अपर संचालक राजेंद्र कुमार डेकाते, राजेश यादव जिला क्रीड़ा अधिकारी रायसेन, लिपिक आमिर अहमद खान का रजिस्टे्रशन पदाधिकारी के तौर पर किया गया है। ये अमला 19 खिलाडिय़ों को लेकर दिसम्ंबर के पहले सप्ताह में रवाना होगा।
29 चयनित, 11 रिजेक्ट
पैसेफिक स्कूल गेम्स चैंपियनशिप-2017 आस्टे्रलिया के एडीलेड शहर में 3 दिसंबर से 9 दिसंबर तक होनी है। प्रदेश की टीम एक दिन पहले एडीलेड पहुंच जाएगी। चैंपियनशिप के लिए सॉफ्टबाल, नेटबाल, स्वीमिंग व डायविंग एवं हॉकी के २९ खिलाडिय़ों का चयन किया गया था। पात्रता का आधार नेशनल स्कूल गेम्स में मिले पदकों को बनाया गया। इनमें से 11 खिलाड़ी हिस्सा नहीं ले पाएंगे। दो खिलाडिय़ों ने खुद ही नाम वापस ले लिया , जबकि नौ की कागजी कार्यवाही पूरी नहीं होना बताकर रिजेक्ट कर दिया गया।
2.50 लाख मंजूर होते ही ऐसे किया खेल
इसमें प्रत्येक प्रतिभागी के लिए 2.50 लाख रुपए स्कूल शिक्षा विभाग ने मंजूर किए हैं। इसके बाद से ही खेल शुरूहो गया। 31 अक्टूबर, 2017 को स्कूल शिक्षा संचालक ने पत्र जारी कर सभी चयनित 29 खिलाडिय़ों से चैंपियनशिप के लिए तैयारी करने को कहा था। साथ ही पासपोर्ट की प्रति तीन दिन में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। परिजनों का आरोप है, अफसर जानते थे कि अधिकतर स्कूली बच्चों के पास पासपोर्ट नहीं हैं, ऐसे में अनेक अपात्र हो जाएंगे।
गौतेले सिस्टर्स का दर्द
इस चैंपियनशिप में अंजली और आशा गौतेले सिस्टर्स भाग नहीं ले पाएंगी। दोनों के पासपोर्ट ही नहीं बन पाए। सॉफ्टबाल की खिलाड़ी गौतेले बहनें बेहद निराश हैं। उनकी मां रामदेवी गौतेले ने पत्रिका को बताया कि एक नवंबर को सूचना मिलते ही उन्होंने भागदौड़ शुरु कर दी, लेकिन बेटियों का पासपोर्ट नहीं बन पाया है। वे कहती हैं, थोड़ा जल्दी जानकारी दी जाती और प्रशासन की मदद मिलती तो बेटियां इस चैंपियनशिप में भी पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन कर सकती थी।
Published on:
23 Nov 2017 10:28 am
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