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MP Election 2023- 2018 में कुरवाई में सबसे कम वोटिंग पर इस सीट के वोटर्स ने दिखाया जोश

मताधिकार का उपयोग कर अपनी सरकार चुनने के मामले में शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण अंचल के लोग जागरूक हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान विदिशा, रायसेन, राजगढ़ और सीहोर जिले में मतदान के आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है।

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शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण अंचल के लोग जागरूक

भोपाल. मताधिकार का उपयोग कर अपनी सरकार चुनने के मामले में शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण अंचल के लोग जागरूक हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान विदिशा, रायसेन, राजगढ़ और सीहोर जिले में मतदान के आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है।

2018 के चुनाव में भले ही इसके पूर्व के मतदान से अधिक मतदाताओं ने रुचि दिखाई हो, लेकिन शहरी क्षेत्र के मतदाता अपने मताधिकार के उपयोग में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं से पीछे ही रहे हैं। आसान शब्दों में यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र की नींव मजबूत करने में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं में ज्यादा उत्साह होता है।

इसलिए पड़ता है फर्क
— गांव में रोजगार के लिए मतदाता भले ही पलायन कर दूर प्रदेशों तक जाता हो, लेकिन मतदान करने के लिए वे बड़े ही उत्साह से लौटते हैं। वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र में शिक्षा-दीक्षा या नौकरी के लिए बाहर जाने वाले मतदाताओं में मतदान को लेकर कम उत्साह रहता है।
— ग्रामीण क्षेत्र में मतदाताओं को मनरेगा कार्य से मतदान के लिए सवैतनिक अवकाश प्रदान किया जाता है, जिससे भी वे प्रोत्साहित होकर मतदान को जाते हैं। शहरी क्षेत्र में ऐसे मतदाताओं को अपेक्षाकृत कम लाभ होता है।
— ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता अधिकांशत: कृषक होते हैं और वे अमूमन मताधिकार का उपयोग अपनी समस्याओं व जरूरत के अनुसार जवाब देने के लिए भी करते हैं। शहरी क्षेत्र में मतदाता पार्टीगत परंपरागत मतदान पर ज्यादा विश्वास करते हैं।

खिलचीपुर में अब तक का रेकॉर्ड मतदान
चारों जिलों में तुलनात्मक अध्ययन करने पर राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधानसभा में सर्वाधिक 86.81 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है। मतदान के ये आंकड़ें तुलनात्मक रूप से सबसे अधिक है। जबकि दूसरी ओर सबसे कम मतदान के मामले में विदिशा जिले के कुरवाई विधानसभा क्षेत्र का नाम दर्ज है। यहां पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 74.79 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था।

सांची और विदिशा सबसे पीछे
चारों जिलों के तुलनात्मक आंकड़ों पर नजर डालें तो सांची विधानसभा के अंतर्गत रायसेन जिला मुख्यालय भी आता है और यहां पर मतदान प्रतिशत केवल 75.37 रहा। जबकि विदिशा में 75.32 प्रतिशत मतदान दर्ज किया। वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र वाली विधानसभाओं में राजगढ़ में 85.65 प्रतिशत और सीहोर में 81.35 प्रतिशत मतदान दर्ज किए।

इससे इतर ग्रामीण क्षेत्रों में नजर डाले तो रायसेन जिले की ग्रामीण अंचल बाहुल्यता वाली विधानसभा भोजपुर, उदयपुरा और सिलवानी में मतदान प्रतिशत काफी बेहतर रहा। वहीं विदिशा के बासौदा, सिरोंज और शमशाबाद में ज्यादा मतदान दर्ज किए। सीहोर के बुधनी, इछावर व आष्टा में और खिलचीपुर में अधिक मतदान हुआ था।

5 साल में बढ़ा 4 प्रतिशत मतदान
इन चार जिलों में मतदान प्रतिशत में रेकॉर्ड सुधार दर्ज किया गया है। चुनाव आयोग के अनुसार वर्ष 2013 में इन चार जिलों का औसत मतदान प्रतिशत 76.11 रहा है जोकि 2018 में 80.15 जा पहुंचा। इन पांच वर्षों में चारो जिलों की 18 विधानसभाओं में 4 प्रतिशत के आसपास बढ़त दर्ज की गई है।

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