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भोपाल। दो साल पहले कोरोनाकाल में लगे लॉकडाउन के उल्लंघन पर दर्ज सामान्य केसों ने युवाओं की परेशानी बढ़ा दी है। उन्हें प्रतियोगी परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही। दमोह और सिमरोल में हाल ही में दो युवाओं के पुलिस वेरिफिकेशन में लॉकडाउन में लगे केस सामने आए तो उन्हें नौकी नहीं मिली। अब सरकार ऐसे युवाओं को राहत देने जा रही है। प्रदेश में कोरोना काल में लॉकडाउन के समय लगे सामान्य पुलिस प्रकरणों को सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। गुरुवार को गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इसका ऐलान किया।
केस: 1
दमोह में कोरोनाकाल के दौरान मनीष सोनकर पर लॉकडाउन उल्लंघन का केस दर्ज हुआ था। दो साल बाद उन्होंने नौकरी के लिए रेलवे का फार्म भरा। सभी परीक्षा पास कर ली। आखिरी चरण में पुलिस वेरिफिकेशन हुआ तो लॉकडाउन का केस सामने आ गया। ऐसे में उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
केस: 2
महू तहसील के सिमरोल के लक्ष्मण सिंह ने भी गलती से कोरोनाकाल में लॉकडाउन का उल्लंघन किया था। उस पर भी पुलिस ने केस दर्ज किया। लक्ष्मण ने बैंक की नौकरी की परीक्षा पास की। पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान लॉकडाउन का केस सामने आया तो नौकरी नहीं मिली।
इतने प्रकरण होंगे वापस
पहले लॉकडाउन में 20 मार्च 2020 से 30 जून 2020 तक 32463 प्रकरण आइपीसी की धारा 188 और 699 प्रकरण महामारी अधिनियम में दर्ज किए गए थे। वहीं दूसरे लॉकडाउन में 13 मार्च 2021 से 19 जून 2021 तक 22336 प्रकरण आइपीसी की धारा 188 और 1202 प्रकरण महामारी अधिनियम में दर्ज किए गए थे। अब उक्त सभी केस सरकार वापस लेने जा रही है। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
लॉकडाउन: केंद्रीय गाइडलाइन का पालन
गृहमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश दिए हैं। इसके तहत सामान्य धाराओं में लगे प्रकरणों को वापस लिया जाएगा। इसके तहत लॉकडाउन के समय आई केंद्रीय गाइडलाइन के आधार पर हर जिले में प्रकरण वापस लिए जाएंगे। सीएम के स्तर पर इसके लिए गृह विभाग को प्रकरण स्क्रूटनी करने कहा गया है।
घरों से बाहर निकले थे लोग
लॉकडाउन में प्रतिबंध के बावजूद कई लोग बाहर निकले थे। उन पर धारा 188, 269, 270 व 271 के प्रकरण और महामारी व आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत केस दर्ज किए गए थे। यही प्रकरण वापस लिए जाएंगे।
Published on:
09 Jun 2023 11:41 am
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