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देशभर में ले चुका है 11 जाने, अब निपाह वायरस के टारगेट पर आया ये राज्य

केरल से शुरु हुए निपाह वायरस ने देशभर में दहशत का माहौल बना दिया है, इस दहशत की बड़ी वजह बनीं वायरस के पॉजिटिव आने के बाद हुई ग्यारह मौतें।

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देशभर में ले चुका है 11 जाने, अब निपाह वायरस के टारगेट पर आया ये राज्य

भोपालः केरल से शुरु हुए निपाह वायरस ने देशभर में दहशत का माहौल बना दिया है, इस दहशत की बड़ी वजह बनीं वायरस के पॉजिटिव आने के बाद हुई ग्यारह मौतें, जिन्होंने देशभर के लोगों के दिलों में एक नए वायरस का ख़ौफ़ बैठा दिया है। वहीं, अब मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने भी बुधवार शाम इस घातक वायरस का अलर्ट यहां जारी कर दिया है, जिसमें स्वास्थ विभाग की तरफ से कहा गया है कि, केरल से आने वाली व्यक्ति में सर्दी-जुकाम और निपाह वायरस से होने वाली बीमारी के अन्य लक्षण मिलें तो फौरन सीएमएचओ को सूचना दें, क्योंकि संभव है कि, उस शख्स में निपाह के लक्षण हों।

चिंगादड़ों द्वारा काटे गए फलों से फेल रही बीमारी

इसके अलावा जारी अलर्ट में ये भी निर्देश हैं कि, ऐसे मरीजों के गले के स्वाब के नमूने लेकर जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजा जाए। कोई भी संक्रामक बीमारी होने पर इलाज की गाइडलाइन व बचाव के तरीकों को लेकर इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) की तरफ सभी राज्यों को गाइडलाइन जारी होती है। मध्य प्रदेश में अलर्ट जारी करने में हुई देरी का कारण यही गाइड लाइन थी, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के आधिकारी इसी गाइडलाइन के आधार पर अलर्ट घोषित करना चाहते थे। मालूम हो कि, ये बीमारी चमगादड़ द्वारा काटे गए फलों को खाने से इंसानों में आती है। मध्य प्रदेश में अलर्ट जारी करने का सबसे बड़ा कारण यही है, कि यहां चमगादड़ों की संख्या काफी है, खासकर राजधानी में।

ये है इस वायरस के लक्षण और उपचार

मनुष्य पर इस वायरस का संक्रमण फैलने पर बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, मानसिक भ्रम, कोमा, विचलन की स्थिति बनने लगती है। इन्हें सांस लेने में भी काफी दिक्कत होती है। वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मौत भी सकती है। इंसानों में निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस से जुड़ा है। इसमें ब्रेन में सूजन आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक, ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि, ये वायरस इंसानी शरीर में इतनी तैज़ी से फैला कि, मरीज़ 24-28 घंटे में ही कोमा में चला गया। बता दें कि, अब तक इस बीमारी से ग्रस्त हुए व्यक्तियों में से 60 फीसदी की मौत हो चुकी है।

रोकथाम बनाए रखना प्राथमिक उपचार

हालांकि, अब तक इस वायरस का स्पष्ट उपचार खोजा नहीं जा सका है। लेकिन इसका इलाज प्राथमिक तौर पर संभव है। विशेषज्ञ के मुताबिक, इसका सबसे प्राथमिक उपचार रोगग्रस्त का इलाज सिर्फ रोकथाम है। इस वायरस से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखने की जरूरत होती है।

चमगादड़ के मरने पर उसे तुरंत डिस्पोज़ किया जाएगाः मंत्री अंतर सिंह आर्य

एमपी के मंत्री अंतर सिंह आर्य ने कहा कि चमगादड़ के रहवास इलाकों में खास निगरानी रखी जाएगी और यदि कोई चमगादड़ की मौत होती है तो उसे तत्काल डिस्पोज किया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ स्वास्थ विभाग ने घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी फैलने के चलते बाहरी राज्यों से घोड़ों की खरीदी पर रोक लगा दी है। इस बात के भी सख्त निर्देश जारी किए हैं कि, बिना हेल्थ चेकअप के घोड़ों की खरीदा नहीं जाएगा।

पहले भी मचा चुका है तबाही

ऐसा पहली बर नहीं है कि, ये वायरस अभी ही सामने आया है। इससे पहले भी ये वायरस दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में तबाही मचा चुका है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने तीन नमूनों में निपाह वायरस की मौजूदगी पाई है। ये वायरस संक्रामक तौर पर महामारी का रूप ले सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस (NiV) एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी की वजह बनता है। इस बीमारी को 'निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस' नाम से भी जा ना जाता है।