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एमपी में तबादलों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, याचिका पर जून में जारी ट्रांसफर आदेश रद्द किए

Transfer- एमपी में तबादलों पर जमकर बवाल मचा है। राज्य में थोकबंद तबादलों के करीब ढाई माह बाद भी राजनैतिक और प्रशासनिक हलचल जारी है।

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! नाबालिग न साबित होने पर आजीवन कारावास घटाकर 10 साल सश्रम कैद(photo-patrika)

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला! नाबालिग न साबित होने पर आजीवन कारावास घटाकर 10 साल सश्रम कैद(photo-patrika)

Transfer- एमपी में तबादलों पर जमकर बवाल मचा है। राज्य में थोकबंद तबादलों के करीब ढाई माह बाद भी राजनैतिक और प्रशासनिक हलचल जारी है। खासतौर पर स्कूली शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग में हुए ज्यादातर ट्रांसफर सवालों के घेरे में हैं। उच्च शिक्षा विभाग के एक ऐसे ही केस में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। कोर्ट ने एक कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य की याचिका पर सुनवाई में जून में जारी किए गए 2 ट्रांसफर आदेश रद्द कर दिए हैं। उनका रिटायरमेंट के दो माह पहले ट्रांसफर कर दिया गया था पर हाईकोर्ट से इससे राहत मिल गई है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार सिंह के तबादले से जुड़ी याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति मनिंदर एस भट्टी की एकलपीठ ने जून में जारी हुए दो तबादला आदेशों को निरस्त कर दिया है।

याचिकाकर्ता डॉ. प्रदीप सिंह की अक्टूबर 2025 में सेवानिवृत्ति

याचिकाकर्ता डॉ. प्रदीप सिंह की अक्टूबर 2025 में सेवानिवृत्ति तय है। उन्होंने अदालत में दलील दी थी कि केवल दो माह शेष रहने पर ट्रांसफर करना अनुचित है। पहले भी इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उनके प्रतिनिवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था और अंतरिम राहत दी थी, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने कोई निर्णय नहीं लिया।

राज्य सरकार की ओर से पैनल अधिवक्ता ने यह तर्क रखा कि अंतरिम सुरक्षा अवधि समाप्त हो चुकी है, इसलिए याचिकाकर्ता को नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करना चाहिए। अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद इंदौर पीठ के पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि रिटायरमेंट से एक वर्ष से कम समय बचे अधिकारियों का ट्रांसफर सामान्यत: नहीं होना चाहिए। साथ ही, ऐसे तबादले से पेंशन और सेवानिवृत्ति संबंधी प्रक्रियाएं प्रभावित होने की आशंका रहती है।

9 जून और 20 जून के दोनों ट्रांसफर आर्डर रद्द

मामले की सुनवाई करते हुए एमपी हाईकोर्ट ने माना कि अब डॉ. प्रदीप सिंह केवल कुछ ही माह सेवा में हैं और इस परिस्थिति में ट्रांसफर आदेश निरर्थक होगा। लिहाज़ा अदालत ने याचिका को मंज़ूर करते हुए 9 जून 2025 और 20 जून 2025 को जारी दोनों आदेशों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।