
MP News (फोटो सोर्स : AI जेनरेटेड)
MP News:मध्यप्रदेश सहित देशभर के आयुर्वेद छात्रों को अपनी साढ़े पांच साल की स्नातक पढ़ाई के दौरान नेशनल कमीशन फॉर इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआइएसएम) द्वारा अनिवार्य किए गए ऑनलाइन इलेक्टिव कोर्सेस की फीस के कारण आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कॉलेजों की मोटी फीस (निजी कॉलेजों में 2 लाख से 5 लाख रुपये सालाना तक) देने के बावजूद, छात्रों को अब हर ’प्रोफ’ (प्रोफेशनल एग्जाम स्टेज) में इलेक्टिव कोर्स के लिए अतिरिक्त फीस देनी पड़ रही है। यह फीस सीधे छात्रों द्वारा आयोग को जमा की जाती है।
देशभर के 600 से ज्यादा आयुर्वेद कॉलेजों में हर साल 40 हजार से अधिक छात्र प्रवेश लेते हैं। प्रत्येक छात्र को प्रति ’प्रोफ’ कम से कम 1770 रुपए (जीएसटी सहित) फीस देनी पड़ती है, जिससे छात्रों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। डॉ. राकेश पाण्डेय के अनुसार, इस अनिवार्यता के कारण एनसीआइएसएम को देशभर के छात्रों से प्रति ’प्रोफ’ न्यूनतम 7 करोड़ 8 लाख से ज्यादा की राशि प्राप्त होती है।
छात्रों को बेसिक ऑफ फॉर्मेकोलॉजी, फंडामेंटल्स ऑफ आयुर्वेद, बेसिक ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन, टेलोमेडिसिन एण्ड टेलेहेल्थ जैसे विभिन्न विषयों में ऑनलाइन इलेक्टिव कोर्स करना अनिवार्य है। इनमें से प्रत्येक कोर्स की फीस 500 रुपए रखी गई है।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने छात्र हित में इन ऑनलाइन इलेक्टिव कोर्सेस को पूरी तरह से फ्री करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि छात्र पहले से ही लाखों फीस दे रहे हैं। इस संबंध में केंद्रीय आयुष मंत्री, केंद्रीय आयुष सचिव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा है।
Published on:
02 Oct 2025 12:27 pm
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