MP News: एक साल में तीन फसलों के लालच में मध्यप्रदेश के किसान फसलों में विषैला रसायन घोल रहे हैं, जो सेहत के लिए घातक हो सकता है। प्रदेश में मूंग की फसल को जल्द पकाने के लिए पैराक्वाट डाइक्लोराइड रसायन का बड़े पैमान पर इस्तेमाल किया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह कीटनाशक देश में प्रतिबंधित है। इसके बावजूद अन्य नामों से यह बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है। दरअसल किसान रबी और खरीफ की फसल के बीच तीन महीनों में मूंग की फसल तैयार करने के लिए यह जहरीला जतन कर रहे हैं।
प्रदेश में ऐसी मूंग(Moong) अब बाजार में बिकने को तैयार है। प्रदेश के 36 जिलों के 14.35 लाख हेक्टेयर में मूंग की खेती होती है। उत्पादन 20.23 लाख टन होता है। सरकार ने इसका समर्थन मूल्य 8682 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पैराक्वाट डाइक्लोराइड के छिड़काव वाले मूंग को खाने से श्वसन तंत्र और तंत्रिका तंत्र पर गंभीर असर पड़ता है। किडनी, लिवर फेल्योर के अलावा कैंसर व पार्किसंस जैसी बीमारी हो सकती है। लंग्स खराब हो जाते हैं।
पैराक्वाट डाइक्लोराइड बहुत ही टॉक्सिक हर्बीसाइड है। इसकी थोड़ी मात्रा ही जानलेवा हो सकती है। श्वास के जरिए विषाक्तता शरीर में जाने से फेफड़े में फाइब्रोसिस हो सकता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी 2024 के शोध के अनुसार पार्किसंस की बढ़ती समस्या के लिए यह रसायन भी जिम्मेदार है।
नर्मदापुरम, रायसेन, हरदा और नरसिंहपुर सहित कई जिलों के किसान मूंग फसल की जल्दी कटाई के लिए फसल को सुखाने में इस खतरनाक रसायन का छिड़काव कर रहे हैं। इससे दो-तीन दिन में फसल सूख जाती है, लेकिन मूंग कच्चा रहता है। पैराक्वाट जमीन को भी विषाक्त बनाता है।
पेस्टीसाइड का स्टैडिंग क्रॉप में उपयोग प्रतिबंधित है। इसे सिर्फ खरपतवार नाशक में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह खतरनाक हर्बी साइड है। इसका एंटीडोज नहीं बना है। -डॉ. बीके चौधरी, प्रधान वैज्ञानिक, खरपतवार अनुसंधान निदेशालय जबलपुर
पैराक्वाट केमिकल आर्गेनो फॉस्फेट फेमिली का सदस्य है। कैंसरकारक है। इससे आंखें व श्वसन तंत्र प्रभावित होते हैं। -डॉ.सुबोध वार्ष्णेय, गैस्ट्रोलॉजिस्ट, भोपाल
Updated on:
15 Jun 2025 03:41 pm
Published on:
15 Jun 2025 08:14 am