भोपाल एसबीआइ में खोले कई बोगस खाते
सीबीआइ ने 94 गवाह पेश किए। आरोपी जितेंद्र प्रताप सिंह की ओर से 15 ने गवाही दी। कोर्ट ने दस्तावेज और गवाहों के बयान के आधार पर पाया कि जितेंद्र प्रताप सिंह ने 1999 से 2005 तक आय से ज्यादा अनुपातहीन संपत्ति बनाई। इसके लिए उसने पत्नी, बेटियों और दामाद के नाम का इस्तेमाल किया। बेटियों और दामाद ने अलग-अलग नाम से एसबीआइ भोपाल की कई शाखाओं में बोगस खाते खोले और नकदी जमा कर परिवार के सदस्यों के नाम चल-अचल संपत्ति बनाई।
यह था मामला
2005 में सीबीआइ और एसीबी भोपाल ने एसबीआइ के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र प्रताप सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। भोपाल और बिलासपुर स्थित घर की तलाशी ली थी। इसमें चल-अचल संपत्ति, सोने-चांदी के जेवर और कई बैंकों के फिक्स्ड और रेकरिंग डिपॉजिट के दस्तावेज मिले थे। सीबीआइ ने दो साल बाद 2007 में विशेष कोर्ट में चार्जशीट पेश की। इसमें उनकी पत्नी किरण, बेटियां अन्वेषा, गरिमा और नम्रता के साथ दामाद समीर सिंह को भी आरोपी बनाया। साक्ष्य रखे कि जितेंद्र सिंह ने 1999 से 2005 तक आय के वैध स्रोतों से करीब 37 लाख, 13 हजार, 113 रुपए की अनुपातहीन संपत्ति बनाई।