सवाल है कि आखिर किस स्तर पर चूक हुई। भौतिक सत्यापन करने वाली टीम ने काउंसिल को गलत रिपोर्ट दी या फिर काउंसिल ने सब जानते हुए नियम ताक पर रखकर मान्यता दी। इतना ही नहीं, काउंसिल की मान्यता के बाद डायरेट्रेट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ने कैसे अपनी मुहर लगा दी। इन सवालों के जवाब सीबीआइ की जांच से मिल रहे हैं। घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ टीम भी कॉलेज माफिया से गठजोड़ कर बैठी और अपनी रिपोर्ट में ही अनसूटेबल कॉलेजों को सूटेबल बता दिया।
14 नायब और तहसीलदारों को नोटिस
सरकार की सख्ती के बाद अब विभागों ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गुरुवार को राजस्व विभाग ने नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी रिपोर्ट देने वाले 14 नायब और तहसीलदारों को नोटिस दिया है। वे मान्यता देने वाली निरीक्षण टीम में थे। उनकी रिपोर्ट के बाद नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता दी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्रवाई का प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजा था। विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है।
इन्हें नोटिस
पल्लवी पौराणिक, तत्कालीन तहसीलदार, इंदौर
अंकिता यदुवंशी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, विदिशा
ज्योति ढोके, तत्कालीन नायब तहसीलदार, नर्मदापुरम
रानू माल, नायब तहसीलदार, आलीराजपुर
अनिल बघेल, नायब तहसीलदार, झाबुआ
सुभाष कुमार सुनेरे, नायब तहसीलदार, देवास
जगदीश बिलगावे, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर
यतीश शुक्ला, नायब तहसीलदार, रीवा
छवि पंत, तत्कालीन नायब तहसीलदार, छिंदवाड़ा
सतेंद्र सिंह गुर्जर, तत्कालीन नायब तहसीलदार, धार
रामलाल पगोर, नायब तहसीलदार, बुरहानपुर
जीतेंद्र सोलंकी, तत्कालीन नायब तहसीलदार, झाबुआ
अतुल शर्मा, तत्कालीन नायब तहसीलदार, सीहर
कृष्णा पटेल, तत्कालीन नायब तहसीलदार, खरगोन।
कॉलेजों की जांच करने वाले 111 अफसरों को नोटिस
पत्रिका की खबर के बाद गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग जागा। नर्सिंग काउंसिल के तत्कालीन अध्यक्ष-रजिस्ट्रार पर कार्रवाई शुरू की। प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने बताया, अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस दिए हैं। जवाब आने पर कार्रवाई होगी। कॉलेजों का निरीक्षण करने वाले दलों के 111 अफसरों को भी नोटिस दिया। बता दें, नर्सिंग काउंसिल के पदेन अध्यक्ष डीएमई होते हैं। रजिस्ट्रार शासन नियुक्त करता है।
जांच के घेरे में काउंसिल के ये जिम्मेदार
2020-22 में अध्यक्ष रहीं उल्का श्रीवास्तव डीएमई, 2022-24 में अध्यक्ष रहे डीएमई जितेन्द्र शुक्ला, 2020- 21 इसमें रजिस्ट्रार रहीं चन्द्रकला दिवगैया, 2021-22 में सुनीता शिजू और 2022-23 में रजिस्ट्रार रहे योगेश शर्मा।
मान्यता मिलने की प्रक्रिया कड़ी, फिर भी लगा दी सेंध
0-नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए ऑफलाइन व्यवस्था बंद है। आवेदन ऑनलाइन होता है। दस्तावेज ऑनलाइन जमा होते हैं। हार्डकॉपी भी ली जाती है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। 0-आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद टीम कॉलेज का भौतिक निरीक्षण करती है। टीम में राज्य स्तर से नर्सिंग काउंसिल या चिकित्सा शिक्षा के सदस्य व स्थानीय सदस्य होते हैं। कलेक्टर के प्रतिनिधि भी होते हैं। टीम में 3 लोग होते हैं, यह संख्या बढ़ सकती है।
0-कॉलेज तय मापदंडों पर दस्तावेज देते हैं। टीम स्थानीय स्तर पर अस्पताल का भौतिक जांच कर सत्यापित रिपोर्ट देती है। भवन-जमीन, कर्मी, संसाधन व अन्य मानक देखे जाते हैं। 0-निरीक्षण में मापदंड पर खरे उतरे कॉलेजों की अनुशंसा होती है। रिपोर्ट नर्सिंग काउंसिल रजिस्ट्रार को देते हैं। कार्यकारिणी बैठक में मंजूरी मिलती है। फिर मान्यता मिलती है।
0-काउंसिल कार्यकारिणी या रजिस्ट्रार स्तर पर खामी पकड़ी गई तो मंजूरी नहीं मिलती। छोटी कमियां दूर करने वक्त देते हैं। 0-नर्सिंग काउंसिल से मंजूरी के बाद मान्यता सूची जारी की जाती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी सूची भेजी जाती है। डीएमई नर्सिंग काउंसिल में रहते हैं, इसलिए उनकी मंजूरी भी लगती है। पहले वे नर्सिंग काउंसिल के प्रमुख होते थे, अब अलग से नर्सिंग काउंलिस के प्रभारी बनाए गए हैं।
0-यदि किसी कॉलेज की मान्यता प्रक्रिया के बीच या मान्यता मिलने के बाद शिकायत आने पर जांच होती है। शिकायत डीएमई या उसके ऊपर के अधिकारी के पास आए तो काउंसिल जांच कर उन्हें भी रिपोर्ट देती है। यदि काउंसिल के स्तर पर ही शिकायत हुई तो रजिस्ट्रार स्तर तक ही फाइल जाती है।
एमयू ने रद्द की 66 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता
जबलपुर. मेडिकल यूनिवर्सिटी ने अनसूटेबल 66 नर्सिंग कॉलेजों की सत्र 2020-21 की संबद्धता रद्द कर दी। हाईकोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता रद्द की थी। इन कॉलेजों में 5000 छात्र हैं। हाईकोर्ट से बनी कमेटी कॉलेजों का भविष्य तय करेगी। वहीं, हाईकोर्ट के आदेश पर सभी कॉलेजों के 28 हजार विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए हैं।