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पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग को लेकर घमासान, कांग्रेस बोली जेपी धनोपिया हैं पहले से अध्यक्ष

obc commission: ओबीसी आरक्षण के बाद अब पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद को लेकर घमासान...।

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भोपाल

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Manish Geete

Sep 03, 2021

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मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बाद पिछड़ा वर्ग आयोग का मुद्दा गर्माया।

भोपाल। ओबीसी आरक्षण पर चल रही राजनीतिक के बीच अब पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाने को लेकर घमासान शुरू हो गया है। शिवराज सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन को बना दिया, इसके बाद कांग्रेस ने कहा है कि शिवराज सरकार जनता को गुमराह कर रही है। इसके अध्यक्ष तो पहले से जेपी धनोपिया हैं, फिर शिवराज सरकार कैसे नया आयोग कैसे बना सकती है। हम कोर्ट में जाएंगे।

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश सरकार की अक्ल पर तरस आ रहा है। हमारे लीडर कमलनाथजी ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान जेपी धनोपिया को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया था। दुर्भाग्यवश कांग्रेस की सरकार चली गई और शिवराज सिंह ने बदले की भावना से उन्हें अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के खिलाफ हम हाईकोर्ट गए, जहां से स्टे मिल गया। लिहाजा, स्टे के अनुसार हमारे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी धनोपिया ने निर्णय का पालन किया। सरकार ने उस निर्णय की अवमानना की।

दरअसल, मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग पहले से काम कर रहा है, जिसके अध्यक्ष कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया हैं, जबकि शिवराज सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाने की घोषणा की है, जिसका अध्यक्ष बालाघाट से भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को बनाया है। इस प्रकार मध्यप्रदेश में अब दो आयोग काम करेंगे। दोनों ही दल पिछड़ा वर्ग को 14 से 27 फीसदी आरक्षण की बात कर रहे हैं।

धनोपिया बोले - मैं आज भी विधिवत अध्यक्ष हूं

कांग्रेस नेता जेपी धनोतिया ने कहा है कि मप्र सरकार की ओर से मुझे मार्च 2020 में मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। कमलनाथजी ने मुझे कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था। बाद में बीजेपी सरकार ने इस आदेश को निरस्त करने का प्रयास किया। हमने उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। कोर्ट ने इस स्टेट को मेंटेन किया गया। आज भी मैं विधिवत रूप से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष हूं। यह आयोग संवैधानिक संस्था है, एक्ट के द्वारा बनाई गई संस्था है, विधानसभा में विधेयक पारित हुआ है, केंद्र सरकार ने संवैधानिक मंत्री का दर्जा दिया गया है।

यह संवैधानिक नहीं है

धनोपिया ने कहा कि जो गौरीशंकर बिसेन की नियुक्ति लोगों को गुमराह करने के लिए नियुक्ति की गई है। वह पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग, आयोग बनाने की बात हुई है। शिवराज सिंह ने यह 15 अगस्त को ही घोषणा की गई थी। यह विधिक आयोग नहीं है, नियमानुसार नहीं है। एक संस्था बनाई गई है। संस्था का उद्देश्य है कि बीजेपी की ओर से उनके नेता को उपकृत करना, गौरीशंकर बिसेन को मंत्री के रूप में उपकृत करना। और ओबीसी वर्ग को गुमराह करके उनकी जानकारी एकत्र करना, कहां क्या समस्या है, जिसे सरकार निराकरण करेगी। यह भ्रांतिवश गलत कहा जा रहा है कि गौरीशंकर बिसेन मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष बनाए गए हैं। यह गलत है। वो सिर्फ एक सामान्य संस्था की तरह जैसे जांच आयोग, घटना आयोग के लिए बनाए जाते हैं, वैसा बनाया गया है और उसी तरह यह पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं, जो संवैधानिक संस्था नहीं है।

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कांग्रेस बोली हम हाईकोर्ट जाएंगे

कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस के सीनियर नेता जेपी धनोपिया न्यायपालिका के अनुसार आज भी पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं। शिवराज सरकार आते ही धनोपिया को दफ्तर नहीं दिया गया, प्यून नहीं दिया, उन्हें स्टाफ नहीं दिया, उन्हें वाहन भी नहीं दिया। यह ओछी मानसिकता का प्रतीक है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उससे ज्यादा हमला आज न्यायापालिका पर सरकार ने किया है कि जेपी धनोपिया के अध्यक्ष रहते हुए गौरीशंकर बिसेन को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बना दिया। इसके खिलाफ हम हाईकोर्ट में जाएंगे। धनोपिया फिर से आयोग के पद पर काबिज होंगे।

पहले क्या हुआ था

जेपी धनोपिया को 17 मार्च को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया था। उन्होंने 17 मार्च को कार्यभार ग्रहण किया था। शिवराज सरकार ने शपथ लेने के दूसरे दिन कमलनाथ सरकार के दौरान की गई नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया था। शिवराज सरकार के इस आदेश की संवैधानिकता को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान 27 मई 2020 को हुई थी, जिसमें न्यायामूर्ति विजय शुक्ला की बेंच की ओर से निरस्तीकरण आदेश के प्रभाव पर रोक लगाते हुए यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। पिटीशनर की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पक्ष रखा था। गौरतलब है कि इससे पहले युवा आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग आदि में भी कमलनाथ सरकार के अंतिम दिनों में की गई नियुक्तियों को शिवराज सरकार ने रोक लगा दी थी। इन सभी में भी उच्च न्यायालय ने यथास्थइति बनाए रखने के आदेश जारी किए हुए हैं।