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हिजाब विवाद में सांसद प्रज्ञा ठाकुर की भड़काऊ एंट्री, बोलीं- भारत में हिजाब की आवश्यकता नहीं

सांसद प्रज्ञा ठाकुर का इस मामले पर कहना है कि, भारत में हिजाब पहनने की कोई आवश्यकता नहीं है। हिजाब तो घरों में पहनना चाहिए।

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हिजाब विवाद में सांसद प्रज्ञा ठाकुर की भड़काऊ एंट्री, बोलीं- भारत में हिजाब की आवश्यकता नहीं

भोपाल. कर्नाटक से शुरु हुए हिजाब विवाद पर मध्य प्रदेश में बिगड़े हालातों के बीच बयानबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पक्ष विपक्ष के बयानों के बीच अब इस मामले में भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की एंट्री हो गई है। सांसद प्रज्ञा ठाकुर का इस मामले पर कहना है कि, भारत में हिजाब पहनने की कोई आवश्यकता नहीं है। हिजाब तो घरों में पहनना चाहिए। हमारे घरों में, सनातनियों के घरों, हिंदुओं के घरों में तो मां को पूजा जाता है। स्त्रियों की भी पूजा होती है। जिनके घरों में बहन का नाता नहीं है। जहां बुआ की लड़की, मौसी की लड़की, बाप की पहली बीबी की लड़की, सबसे शादी कर सकते हैं उन्हें अपने घरों में हिजाब पहनना चाहिए।

बता दें कि, सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर मंगलवार को बरखेड़ा स्थित राम मंदिर परिसर में सनातन महापंचायत कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं। उस दौरान साध्वी ने ये भी कहा कि, आपके मदरसे होते हैं। आप मदसरों में हिजाब लगाएं या कुछ और... हमें क्या मतलब है। आप वहां के अनुशासन में रहिए। लेकिन, अगर आप पूरे देश के विद्यालयों, महाविद्यालयों का अनुशासन बिगाड़ोगे और ज्ञान का अनुशासन बिगाड़ोगे, ज्ञान में हिजाब चलाने लगोगे तो ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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हिजाब से कर डाली खिजाब की तुलना

इस दौरान साध्वी प्रज्ञा ने ये तक कहा कि, सफेदी मिटाने और बुढ़ापा छिपाने खिजाब लगाया जाता है, हिजाब का इस्तेमाल चेहरा छिपाने के लिए करना चाहिए। इसे चेहरे पर डालकर निकलना चाहिए। लेकिन क्यों, किससे डर, किससे पर्दा? साध्वी ने कहा कि, बाहर निकलकर तुम सूरत दिखाओ या ना दिखाओ। आप खूबरसूरत हैं या बदसूरत। हमें क्या लेना। जहां हिजाब पहनना है, वहां खिजाब लगाकर रखेंगे। जहां खिजाब लगाना है, वहां हिजाब लगाकर रखेंगे। भाई उल्टा करोगे तो उल्टा होगा ही।


'जहां नारी को श्रेष्ठ स्थान, वहां हिजाब की क्या जरूरत ?'

अपने बयान में साध्वी प्रज्ञा ने आगे ये भीकहा कि, पर्दा उससे करना चाहिए, जो हमारी तरफ कु-दृष्टि रखे। ये तो तय है कि, हिंदू कभी कु-दृष्टि नहीं रखते। जहां नारी की पूजा नहीं होती, वो स्थान श्मशान के समान है। जहां नारी की पूजा होती है, वहीं सनातन होता है। ये सनातन की संस्कृति है कि नारी की पूजा की जाती है। हमारे यहां दुष्टों को मारने के लिए देवता देवी का आह्वान करते हैं। इसलिए नारी का स्थान सर्वोपरि है। अर्धांगिनी, पति का स्थान आधा शरीर कहलाता है। अर्धनारेश्वर की प्रतिमा हम देख सकते हैं। जहां नारी का श्रेष्ठ स्थान है वहां हिजाब पहनने की जरूरत ही नहीं।

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