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MP School Teacher: शहर के स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक, कई गांवों में सिर्फ एक शिक्षक, जल्द होगा एक्शन

mp school teacher vacancy: शहरी क्षेत्र में तय संख्या के मुकाबले तीस हजार शिक्षक ज्यादा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इससे उलट स्थिति है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग होना है।

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भोपाल

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Manish Geete

Aug 29, 2024

High Court's strict stand on the merger of teachers in MP

High Court's strict stand on the merger of teachers in MP

mp school teacher vacancy:मध्य प्रदेश के बड़े शहरों के स्कूल शिक्षकों से ओवरलोड हैं। अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत तय हुआ अनुपात इनमें बिगड़ गया है। स्कूल शिक्षा विभाग से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ।

जारी आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में तय संख्या के मुकाबले तीस हजार शिक्षक ज्यादा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इससे उलट स्थिति है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग होना है। इसकी सूची स्कूल शिक्षा विभाग ने जारी कर दी है। इसके मुताबिक जिले में 1145 शिक्षक ज्यादा हैं। यहां भी शहरी क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या सबसे ज्यादा है। जारी रिपोर्ट के तहत बैरसिया के स्कूलों में 196, ग्रामीण फंदा में 257, फंदा अरबन नया शहर में 452 और पुराना शहर में 210 शिक्षक स्कूलों में अतिशेष हैं।

बंद हो चुके हैं साढ़े चार सौ स्कूल

प्रदेश के करीब साढ़े तीन हजार ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी बच्चे नहीं हैं, लेकिन शिक्षक तैनात हैं। इनमें से साढ़े चार सौ स्कूल ऐसे हैं जिन्हें हाल में ही बंद करने के निर्देश हुए हैं। तो वहीं दूसरी ओर 20 हजार सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं।

क्यों बनी स्थिति

इसके पीछे ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया को कारण बताया गया। दो साल पहले इस प्रक्रिया में शिक्षकों ने बड़े शहरों के स्कूलों में पदस्थापना ले ली, जबकि वहां पहले से ही शिक्षकों की भरमार थी। स्थानांतरण से अतिशेष शिक्षकों की संख्या दोगुनी हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल खाली हैं। अब भी प्रदेश के करीब 22 हजार सरकारी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं।

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गड़बड़ी उजागर...
फिर भी विभाग कह रहा ज्यादा हैं शिक्षक

इधर, स्कूल शिक्षा विभाग की एक रिपोर्ट में कई गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। राजधानी सहित प्रदेश कई स्कूलों में पढ़ाने वालों की कमी है लेकिन ऑनलाइन जानकारी में विभाग इन्हें भरा बता रहा है। कई ऐसे शिक्षकों को स्कूलों में दिखाया गया जिनका तबादला हो चुका है। इसका असर पढ़ाई पर पढ़ रहा है। शिक्षक इसमें सुधार के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। परीक्षा तैयारी का समय पास है। इस बीच अतिषेक शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां पद खाली हैं। रिपोर्ट में गड़बडिय़ों से उन स्कूलों से भी शिक्षकों को दूसरी जगह भेजा जा सकता है जहां कमी है। इसमें सुधार कराने में अलग से समय लगेगा।

पोर्टल अपडेट नहीं, पुरानी जानकारी के भरोसे विभाग

शिक्षक संगठनों ने बताया कि पोर्टल पर जानकारी अपडेट नहीं हुई। अतिशेष शिक्षकों की सूची में अनेक विसंगतियां हैं। कई स्कूलों में शिक्षकों के विषय गलत बताए गए। वहीं पोर्टल दिए गए ब्योरे में कुछ स्कूल तो ऐसे हैं जहां दो प्रिंसिपल को कार्यरत बताया जा रहा है। जबकि पद एक ही है।

सुधार के लिए डीपीआई को पत्र

शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र कौशल ने बताया कि अतिशेष शिक्षकों की ऑनलाइन काउंसलिंग के माध्यम से अन्य शालाओं में पदस्थापना करने से पूर्व पोर्टल को आज की स्थिति में अपडेट की जाना है। सुधार के लिए लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र भेजा है।

डिजिटल सिग्नेचर ने रोके सैकड़ों आदेश, अब चक्कर काट रहे लोग

स्कूल शिक्षा विभाग (school education department) ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा देने रहा है। यहां कामकाज इस पर ही आधारित हैं। यह प्रक्रिया सैंकड़ों शिक्षकों के लिए छह माह से मुसीबत बनी हुई। डीपीआई (Dpi) से आदेशों पर डिजिटल सिग्नेटर नहीं किए गए। ऐसे में सैकड़ों आदेश रुके गए हैं। अब शिक्षक दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के विषय या दूसरी जानकारी में सुधार के लिए जिला स्तर पर प्रक्रिया हुई। शिक्षकों ने जिला स्तर पर शिकायत दर्ज कराई थी। इसके आधार पर संभाग स्तर पर सुधार तो हो गया, लेकिन आदेश जारी नहीं हो पाया। ये राज्य स्तर के लोक शिक्षण संचालनालय से जारी होने थे। करीब छह माह से अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर नहीं हो पाए। ऐसे में छह माह से शिक्षक जिला स्तर और संभाग स्तर पर दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

विवादों के बीच अतिशेष के लिए शुरू हुई प्रक्रिया

खाली स्कूलों में शिक्षकों को भेजने के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई। वहीं सूची में विसंगतियों और सुधार को लेकर भी विवाद जारी हैं। राजधानी में दिनभर जिला शिक्षा कार्यालय पर शिक्षकों का जमावड़ा लगा रहा। बाकी जिलों में भी यही स्थिति रही। काउंसिलिंग प्रक्रिया रोकने की मांग की है।

लोक शिक्षक संचालनालय संचालक केके द्विवेदी के डिजिटल हस्ताक्षर से शिक्षकों के दस्तावेजों में सुधार के आदेश जारी होना थे। शिक्षक संगठन के उपेन्द्र कौशल ने बताया कि प्रक्रिया सुधार बाद शुरू की जानी चाहिए। गलतियों के आधार पर प्रक्रिया से स्कूलों की हालत बिगड़ जाएगी।