
मध्यप्रदेश में भी सक्रिय हो रहे हैं दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां...।
MP Vidhan Sabha Election 2023 politics of familyism. हमेशा परिवारवाद का विरोध करने वाली भाजपा इस बार नए फार्मूले को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 /strong> में आजमा सकती है। आज ही भाजपा ने पूर्व मंत्री जयंत मलैया के निष्कासित बेटे सिद्धार्थ मलैया को वापस पार्टी में लेकर यह संकेत दे दिए हैं कि पार्टी नेता पुत्रों को भी तवज्जो देने जा रही है। यही फार्मूला भाजपा ने कर्नाटक में भी आजमाया है। कर्नाटक में चल रहे चुनाव में इस बार 25 ऐसे प्रत्याशी उतारे हैं जो किसी मंत्री या सांसदों के रिश्तेदार हैं।
मध्यप्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव है। चुनाव की तैयारियों में अभी से जुटी भाजपा इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है। अब तक नेता पुत्रों को टिकट नहीं देकर पार्टी कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप लगाती रही है। लेकिन, इस बार एक-एक टिकट को लेकर भाजपा संजीदा है। यही कारण है कि पार्टी ने भाजपा के बुजुर्ग नेता पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे को दोबारा से भाजपा की सदस्यता दे दी है। गुरुवार 27 अप्रैल को प्रदेश भाजपा कार्यालय में सिद्धार्थ मलैया को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, संगठन मंत्री हितानंद शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में दोबारा सदस्यता दिलाई। इससे संकेत मिल रहे हैं कि उम्र दराज नेताओं की जगह उनके बेटे-बेटियों को भी भाजपा टिकट दे सकती है। गौरतलब है कि जयंत परिवार का दमोह में काफी प्रभाव है।
भाजपा में भी परिवारवाद
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। इस बार भाजपा ने बुजुर्ग नेताओं को टिकट नहीं देकर इस बार उनके बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है। मतलब यहां अधिक उम्र वालों को टिकट काटा गया है और किसी न किसी तरह उनके रिश्तेदारों को टिकट दिया गया है। ऐसे प्रत्याशियों की संख्या लगभग 25 है। यदि ऐसा फार्मूला कर्नाटक में सफल हुआ तो मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियों के लिए रास्ते खुल जाएंगे।
मध्यप्रदेश में सक्रिय हुए नेताओं के बेटे-बेटियां
कर्नाटक में दिग्गज नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिलने के बाद मध्यप्रदेश में भी नेता पुत्र सक्रिय हो गए हैं। जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के बेटे को वापस भाजपा में लेने के फैसले से माना जा रहा है कि सिद्धार्थ को दमोह से टिकट मिल सकता है। कई दिग्गज नेताओं ने भी अपने बच्चों के राजनीतिक भविष्य बनाने की तैयार कर ली है।
जीत के लिए सिद्धांतों से समझौता
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए सिद्धांतों से समझौता कर सकती है। क्योंकि साउथ में एक मात्र कर्नाटक ही राज्य है जहां बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही है। वहां जीत के लिए बीजेपी ने कई सिद्धांतों को एक तरफ रख दिया। जो फैसले भाजपा कर्नाटक में ले रही है यह इस बात के संकेत हैं कि उन फार्मूले को मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी प्रयोग किया जा सकता है।
यह नेता पुत्र कतार में
पिता के क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं कार्तिकेय
सीएम शिवराज सिंह के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान अपने पिता की बुदनी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। पिछले दिनों ही उन्होंने वहां क्रिकेट का बड़ा आयोजन कराया था। इसके साथ ही वे कई कार्यक्रम करवा रहे हैं। लोगों की समस्या सुनकर उसका समाधान भी करवाते हैं। जब-जब सीएम व्यस्त रहते हैं उनकी अनुपस्थिति में कार्तिकेय बुदनी क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। उन्हें भी बुदनी में अपने पिता का उत्तराधिकारी माना जाता है।
क्रिकेट के जरिए राजनीति में सिंधिया
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया के पास क्रिकेट एसोसिएशन की बड़ी जिम्मेदारी है। वे मैनेजिंग कमेटी में हैं। इसके अलावा ग्वालियर संभागीय क्रिकेट एसोसिएशन में उपाध्यक्ष हैं। वे मीटिंग भी लेते हैं और फैसले भी लेते हैं। पिता जब-जब चुनाव में खड़े हुए उनके क्षेत्र में प्रचार करने जरूर जाते हैं। खास बात है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया और उनके बेटे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री भी क्रिकेट एसोसिएशन में कदम रखने के बाद हुई थी। इसलिए महाआर्यमन सिंधिया के लिए भी कहा जाता है कि उन्होंने भी राजनीति में पहला कदम रख दिया है। वे उस समय भी सुर्खियों में आए थे जब पीएम मोदी से मुलाकात कर तस्वीरें शेयर की थी।
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केंद्रीय मंत्री तोमर के बेटे देवेंद्र भी एक्टिव
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। ग्वालियर में वे कुछ समय से बड़े आयोजन भी करवा रहे हैं। जिसमें सीएम शिवराज सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक शामिल हो चुके हैं। देवेंद्र ने 2008 में भाजपा ज्वाइन की थी। तभी से वे मुरैना जिले की दिमनी और ग्वालियर शहर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। पिता की अनुपस्थिति में वे मुरैना संसदीय क्षेत्र में एक्टिव नजर आते हैं।
मंत्री गोविंद सिंह का बेटा आकाश भी राजनीति में
सिंधिया समर्थक नेता एवं शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बेटे आकाश सिंह भी राजनीति में सक्रिय हैं। वे कुछ समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रमों में भी नजर आते हैं। टीवी सीरियल में काम कर चुके आकाश अपने पिता की सुरखी विधानसभा सीट को जिताने का जिम्मा भी संभाल चुके हैं।
गौरीशंकर की बेटी मौसम की दावेदारी
पूर्व मंत्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन की बेटी मौसम बिसेन भी राजनीति में उतर चुकी हैं। वे पिता के साथ कई कार्यक्रमों में शामिल होती हैं। बिसेन बेटी के चुनाव लड़ाने की बात कई बार सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं। हालांकि पिछले चुनाव में बिसेन ने बेटी को टिकट दिलाने की पैरवी की थी, लेकिन विरोध के कारण टिकट नहीं मिली थी। मौसम बिसेन इस बार जोरशोर से दावेदारी कर रही हैं।
क्या पिता की विरासत संभालेंगे अभिषेक भार्गव
भाजपा के सीनियर लीडर एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी राजनीति में भाग्य आजमाना चाहते हैं। पिछले दो चुनावों में तो वे लोकसभा चुनाव में दावेदारी कर चुके हैं। हो सकता है उम्र अधिक होने के कारण पिता गोपाल भार्गव को टिकट नहीं मिले। इसलिए अभिषेक भार्गव को विधानसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। अभिषेक फिलहाल राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं और समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश में उपाध्यक्ष भी रह चुके अभिषेक पिता गोपाल भार्गव की रहली विधानसभा सीट में हमेशा एक्टिव नजर आते हैं।
Updated on:
27 Apr 2023 02:51 pm
Published on:
27 Apr 2023 02:44 pm
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