
जर्जर मकानों पर बेपरवाह जिम्मेदार
भोपाल/संत हिरदाराम नगर. राजधानी में बेहतर मानसून के चलते कभी रुक-रुक कर तो कभी झमाझम बारिश हो रही है। ऐसे में नगर निगम की अनदेखी संतनगर के रहवासियों के लिए मुसीबत बनी हुई है। सबसे ज्यादा परेशानी उन जर्जर हो चुके भवनों को लेकर है, जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं और देखरेख के अभाव में कभी भी हादसे की वजह बन सकते हैं। खास बात है कि नगर निगम ने इन जर्जर हो चुके भवनों को पूरी तरह दरकिनार कर रखा है, यहां न तो नोटिस देने की कार्रवाई की गई है और न ही अन्य कोई सुरक्षा के उपाय। संतनगर के रहवासी क्षेत्रों के अलावा मुख्य बाजार में भी कई ऐसे जर्जर मकान हैं, जिनके निचले हिस्से में दुकानें संचालित हो रही हैं तो ऊपरी मंजिलों में लोग रहते हैं।
संतनगर में जर्जर भवनों की संख्या एक दर्जन से अधिक है, पर नगर निगम द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मानसून सत्र में पानी से कमजोर होती इन जर्जर भवनों की नींव की वजह से हादसों की आशंका बनी रहती है। नगर निगम द्वारा जर्जर भवनों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए नोटिस की अदाएगी समेत इन्हें गिराने की कार्रवाई करने का दावा तो किया जाता है, पर इस तरह की कार्रवाई संतनगर में नहीं की गई है। घनी बस्ती होने से इन जर्जर भवनों की वजह से होने वाले हादसों में जान-माल की हानि होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
मिनी मार्केट भी देखरेख के अभाव में हुआ जर्जर
सबसे व्यस्ततम बाजार होने के बाद भी मिनी मार्केट में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नगर निगम द्वारा यहां पर आदर्श मार्ग बनाया जा रहा है। मकानों और दुकानों को तोड़ दिया गया। मकान-दुकान आधे तोडऩे के बाद वह जर्जर हालत में हैं। वह इतने जर्जर हालत में हो गए हैं कभी भी गिर सकते हैं। यही नहीं उसके नीचे छोटे-छोटे व्यापारी अपना व्यवसाय कर रहे हंै।
यहां जर्जर भवन बन सकते हैं मुसीबत
संतनगर में मिनी मार्केट में माया जनरल स्टोर के सामने पहले एक बैंक संचालित होता था, इसे वनट्री हिल्स में शिफ्ट किया गया है। देखरेख के अभाव में ये भवन जर्जर हो चुका है। इस भवन के नीचे कई छोटे व्यापारी कारोबार करते हैं। इसके अलावा जोन कार्यालय भवन, कृष्णाा प्लाजा का कुछ हिस्सा, भोपाल सहकारी बैंक की शाखा भी जर्जर भवनों में संचालित हो रही है।
संत नगर में भी एक दर्जन से ज्यादा ऐसे भवन हैं जो जर्जर हालात में हैं। आदर्श मार्ग निर्माण के दौरान मिनी मार्केट में मकानों और दुकानों को तोड़ दिया गया। मकान-दुकान आधे तोडऩे के बाद वह जर्जर हालत में हैं। वह इतने जर्जर हालत में हो गए हैं कभी भी गिर सकते हैं।
आत्माराम सूर्यवंशी, रहवासी
Published on:
09 Sept 2018 10:14 am
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