
मीराबाई की रचनाओं का फ्यूजन कर जीता दिल, वहीं नाटक ‘कोजनी कहां’ का मंचन
भोपाल। भक्तिकाल के साहित्य से सराबोर मीराबाई की रचनाओं को यंगस्टर्स तक पहुंचाने के लिए साया कल्चरल एंड वेलफेयर सोसायटी की ओर से शहीद भवन में शुक्रवार को ‘मेरे तो गिरधर गोपाल’ संगीत संध्या का आयोजन किया गया। मीराबाई की रचनाओं पर आधारित इस फ्यूजन म्यूजिक शो में सिंगर अनिरुद्ध सक्सेना, अंकू शुक्ला और विकास सिरमोलिया ने प्रस्तुति दी। अनिरूद्ध ने ‘अली मौसो हरी बिन राह न जाए...’ से संगीत सभा का शुरुआत की।
इसी के साथ उन्होंने जब च्को बिरहिनी को दुख जाने ना...’ सुनाया। अंकू शुक्ला ने ‘पायोजी मैंने राम रतन धन पायो...’, ‘मैं गिरधर रंग-राती...’ भजन को सुनाया। वहीं अगली कड़ी में विकास सिरमोलिया ने ‘हे री मैं तो प्रेम-दीवानी मेरो दरद न जाणै कोय...’ सुनाकर दर्शकों को फ्यूजन म्यूजिक से बांधने का प्रयास किया। अंत में ‘पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी...’ के साथ संगीत संध्या का समापन किया। संगीत समारोह में तबला, जेम्बे पर सौरभ अहिरवार, ड्रम पर राहुल सिममोलिया, डप पर सुनील गौतेल, की-बोर्ड पर भवानी शंकर मालवीय, बेस गिटार पर अमित हवेलिया, लीड गिटार पर रूचिर शुक्ला ने संगत दी।
व्यंग्य में दिखाई महिलाओं की सामाजिक स्थिति
जनजातीय संग्रहालय में अभिनयन श्रृंखला में शुक्रवार को नाटक ‘कोजनी कहां’ का मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन अन्नपूर्णा सोनी ने किया। दर्पण रंग समिति, कटनी के कलाकारों ने नाटक की प्रस्तुति दी। कोजानी कहां का मतलब कौन जाने कहां होता है। इस नाटक में व्यंग्य के माध्यम से नाटक में समाज में महिलाओं की स्थिति प्रस्तुत की गई।
नाटक में दिखाया गया कि जहां एक ओर महिलाओं को देवी मान कर पूजा जाता है, वहीं उनके साथ आवश्यकता की पूर्ती करने वाली वस्तु के समान बर्ताव किया जाता है। इस नाटक में बघेली फाग, भगत, रामचरित मानस, विवाह गीत आदि को बघेलखंड की लोक परंपरा और सभ्यता से जोड़ते हुए प्रस्तुत किया गया है।
नाटक की सूत्रधार बुढिय़ा पात्र निरंतर उस जगह की तलाश में अग्रसर है, जहां रुढि़वादी रीति रिवाज और घूंघट की घुटन नहीं हो और स्त्रियां इन बेडिय़ों से मुक्त, खिलौना या देवी न होकर सामान्य इंसान हों। इस यात्रा में उसकी मुलाकात जुगुन्ति और चंपा जैसी कई औरतों से होती है।
चंपा का पति बुधुआ, बचपन में शादी हो जाने और काम के लिए बाहर चले जाने के कारण चंपा को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करता और दूसरी शादी कर लेता है। वहीं जुगुन्ति का पति कलुआ उसी की कमाई के पैसों से दारू पीता है और उसे ही बेतहाशा मारता-पीटता है।
Published on:
19 May 2018 06:21 pm
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