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इसलिए नई टीम नहीं बना पा रहे नंदकुमार सिंह

भोपाल। नंदकुमार सिंह चौहान दोबारा प्रदेशाध्यक्ष तो बन गए लेकिन अपनी नई टीम बनाने में उलझ रहे हैं। दिल्ली नेतृत्व प्रदेश कार्यकारिणी के ऐलान पर सहमति दे चुका है लेकिन चौहान की मुश्किल यह है कि उन्हें सभी नामों के बीच संतुलन साधना है। इसके चलते फैसला टल रहा है। प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव […]

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Arvind Khare

Mar 29, 2016

nandu

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भोपाल। नंदकुमार सिंह चौहान दोबारा प्रदेशाध्यक्ष तो बन गए लेकिन अपनी नई टीम बनाने में उलझ रहे हैं। दिल्ली नेतृत्व प्रदेश कार्यकारिणी के ऐलान पर सहमति दे चुका है लेकिन चौहान की मुश्किल यह है कि उन्हें सभी नामों के बीच संतुलन साधना है। इसके चलते फैसला टल रहा है।



प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीभरे होंगे। ऐसे में नई टीम की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। पार्टी ने अभी से चुनाव की तैयारियों पर काम शुरू कर दिया है। इस बार दलित मतदाताओं के लिए खास एजेंडा है। नंदकुमार की नई टीम में दलित नेताओं को मौका मिलना तय है। लेकिन, अन्य वर्गों के बीच भी संतुलन रखना होगा। वर्तमान टीम में जातिगत समीकरण काफी कमजोर रहे हैं। अब दिल्ली से स्पष्ट निर्देश है कि सभी का ध्यान रखा जाए।


हो सकते हैं नए चेहरे

हाल ही में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में नंदकुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से प्रदेश कार्यकारिणी पर चर्चा की थी। शाह से कुछ नामों पर बातचीत हुई है, लेकिन बड़ी चुनौती कुछ चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने पर रहेगी। कुछ विधायकों को पद से हटाया जा सकता है। निगम मंडल में लाल बत्ती हासिल कर चुके नेताओं को भी टीम में नहीं रखा जाएगा। इसी वजह से ज्यादातर चेहरे नए हो सकते हैं।



पुरानी टीम के संग बैठक

भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक 31 मार्च को होगी। पहले नई टीम के बाद कार्यसमिति का चल रहा था, लेकिन राष्ट्रीय संगठन के इसी महीने सारे प्रदेशों में बैठक कराने के निर्देशों के कारण पुरानी टीम की मौजूदगी में ही बैठक होगी। कार्यसमिति में पार्टी के दलित एजेंडा, सिंहस्थ और अगले एक साल के आयोजनों की रूपरेखा पर चर्चा होगी।