scriptयहां हर 20 मिनट में एक महिला पर आता है खतरा, रिपोर्ट में जानिए कारण | Natioanl crime record beuro women helpline number 1090 | Patrika News

यहां हर 20 मिनट में एक महिला पर आता है खतरा, रिपोर्ट में जानिए कारण

locationभोपालPublished: Feb 27, 2020 03:15:36 pm

Submitted by:

Faiz

दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश एक बार फिर पहले पायदान पर आया है। ये सिलसिला लगातार तीसरे भी जारी रहा। में छात्रा के साथ हुई दरिंदगी के बाद आत्महत्या ने एक बार फिर मध्य प्रदेश को झकझोर कर रख दिया।
 

news

भोपाल/ सरकार के महिला सुरक्षा को लेकर लाख दावों के बावजूद मध्य प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाली दरिंदगी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश के बेतूल में गैंगरेप पीड़िता ने बीते मंगलवार को केरोसिन डालकर आत्मदाह कर लिया। 95 फीसदी जली आठवीं की छात्रा की बुधवार को अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पीड़िता ने आत्मदाह से पहले सुसाइड नोट में खुद को मारने का कारण तीन युवकों द्वारा सामुहिक बलात्कार बताया था। फिलहाल, ने आरोपियों को गिरफ्तार कर बंधक बनाकर गैंग रेप करने के तहत आईपीसी की धारा 376 डी और 376 टू एन के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

 

पढ़ें ये खास खबर- देश में सबसे महंगी है यहां बिजली, फिर भी बढ़ने वाले हैं दाम!


इसी सप्ताह चर्चा में रहे ये मामले

घटना के बाद पुलिस की कार्यशैली पर फिर कई सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, इसी सप्ताह में प्रदेश में ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी लड़की की आबरू से खिलवाड़ हुआ हो। इससे पहले भोपाल के हबीबगंज स्टेशन के नजदीक भी युवती के साथ रेप का मामला सामने आया। इससे पहले उज्जैन और गुना में भी महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले चर्चा में रहे, जिसे लेकर सरकार और पुलिसिया कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।

 

पढ़ें ये खास खबर- जो बैंक नहीं पहुंच सकते उन तक खुद रुपये पहुंचाता है ये ATM Man, जानें कैसे करता है काम


NCRB के आंकड़ों में चौकांने वाले खुलासे

दुष्कर्म के मामले में मध्य प्रदेश एक बार फिर पहले पायदान पर आया है। ये सिलसिला लगातार तीसरे साल यानी 2016-17 के बाद 2018 में भी जारी रहा। ये कहना है राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की हालिया जारी रिपोर्ट का। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में देशभर में कुल 33,356 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए। इनमें से अगर मध्य प्रदेश में हुए दुष्कर्मों का आंकलन किया जाए तो, देश के 16 फीसदी से ज्यादा मामले सिर्फ मध्य प्रदेश में ही हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में यहां दुष्कर्म के 5,433 मामले दर्ज हुए हैं। इन दर्ज मामलों के हिसाब से एमपी देश का पहला राज्य है जहां इतने दुष्कर्म हुए हैं। हैरानी की बात तो ये हैं कि, इनमें से 54 मामले तो ऐसे हैं, जिसमें पीड़िता की उम्र छह साल से भी कम है।

 

पढ़ें ये खास खबर- Central Government के कई विभागों में निकलीं बंपर नौकरियां, ऐसे करें आवेदन


हर 20 मिनट में यहां कॉल करके मदद मांगती है महिला

प्रदेश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, बीते साल महिला सुरक्षा से संबंधित हेल्पलाइन नंबर 1090 पर करीबन हर 20 मिनट पर किसी ना किसी पीड़ित महिला की कॉल आई। इनमें ज्यादातर शिकायते यौन उत्पीड़न और मोबाइल पर धमकी से संबंधित थीं। रिपोर्ट मे ये खुलासा भी हुआ कि, जो मध्य प्रदेश साल 2017 में देश की महिलाओं के लिए सबसे कम सुरक्षित राज्यों की सूची में तीसरे स्थान पर था, जिसने एनसीआरबी की पिछले रिकॉर्ड को इस बार भी कायम रखा। यही नहीं, इस बार भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की सूची में मध्य प्रदेश पहले पायदान पर आ पहुंचा है। आंकड़ों के जारी होने के बाद महिला सुरक्षा को लेकर आए दिन सामने आने वाले सरकारी दावों की पोल खोल दी है।

 

पढ़ें ये खास खबर- अब नहीं दिखेगा एक भी भिखारी, इस तरह तैयार की जा रही है लिस्ट


इनका कहना है

इन आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आता है कि, साल दर साल महिला अपराध में बढ़ोतरी हो ही रही है। जिसमें पुलिसिया रवैय्या काफी सुस्त नजर आ रहा है। वहीं, पुलिस की माने तो उनका कहना है कि, 1090 राज्य महिला हेल्पलाइन पर मिलने वाली शिकायतों के समाधान के लिए वो हमेशा तत्पर रहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जब बात शिकायत दर्ज कराने की आती है तो ज्यादातर शिकायतकर्ता ही पीछे हट जाते हैं।

 

वहीं, दूसरी तरफ 1090 महिलाओं हेल्पलाइन की उप अधीक्षक (डीएसपी) सुनीता कॉर्नेलियस ने साल 2015 के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, क्योंकि उसी साल से ये हेल्पलाइन शुरु की गई थी, जबकि उस समय लोगों में अवेयरनेस काफी ज्यादा थी। बावजूद इसके उस साल 24,467 शिकायतों में से सिर्फ 836 केस ही दर्ज किए गए, जबकि साल 2014 में 23,340 शिकायतों में से सिर्फ 876 केस दर्ज हुए। यानी साफ है कि, इतनी शिकायतें तो सामने आईं, लेकिन इनमें सिर्फ 5 फीसदी लोग ही केस दर्ज कराते हैं। इसके अलावा दर्ज की गई शिकायतों में करीबन 20 फीसदी तो जांच में झूठी पाई गईं थी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो