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देश में सबसे महंगी है यहां बिजली, फिर भी बढ़ने वाले हैं दाम!

locationभोपालPublished: Feb 27, 2020 12:38:30 pm

Submitted by:

Faiz

देश में सबसे महंगी है मध्य प्रदेश की बिजली, फिर आम लोगों को देने वाली है बड़ा झटका

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देश में सबसे महंगी है यहां बिजली, फिर भी बढ़ने वाले हैं दाम!

भोपाल/ जिस तरह मध्य प्रदेश पेट्रोल डीजल पर सबसे ज्यादा वैट चुकाने के कारण देश में सबसे महंगा ईंधन बेचने वाला राज्य है, ठीक उसी तरह प्रदेश की बिजली भी यहां लगने वाले कर के चलते देशभर में रिकॉर्ड कायम किये हुए है। ऐसी स्थिति के बावजूद प्रदेश में एक बार फिर बिजली की दरों में बढ़ोतरी की कवायद शुरु हो गई है। सात राज्यों को बिजली बेचने वाली मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों को होने वाले नुकसान की पूर्ति करने के लिए छह माह के भीतर ही दूसरी बार बिजली दरों में बढ़ोतरी की तैयारी है।

 

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बिजली कंपनियों ने इतनी दर बढ़ाने की उठाई मांग

बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग को बिजली 5.28 फीसदी महंगी करने का प्रस्ताव दिया है। बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव के जरिये करोड़ों रुपए का घाटे का हवाला दिया है। कंपनियों के अनुसार, उन्हें 2000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। प्रदेश की मध्य, पूर्व और पश्चिम बिजली कंपनियों ने साल 2020 के लिए घरेलू बिजली की दरें 5.28 बढ़ाने को कहा है। आयोग द्वारा इस प्रस्ताव को अपनी वेबसाइट पर भी जारी कर दिया है। कंपनियों का तर्क है कि, ये बढ़ोतरी विद्युत में हो रहे नुकसान को कम करेगी।

 

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बिजली खरीदने वाले राज्य भी दे रहे प्रदेश से सस्ती

अब बड़ा सवाल ये है कि, जो राज्य खुद के उत्पादन से पड़ोस के सात राज्यों को बिजली बेच रहा है। हैरानी की बात ये है कि, मध्य प्रदेश से बिजली खरीदने वाले दिल्ली, हरियाणा, बिहार राज्य तो ऐसे हैं, जो मध्य प्रदेश से ही बिजली खरीदने के बावजूद करीब आधे दामों तक सस्ती बिजली अपने राज्यों को मुहैय्या कराते हैं। दिल्ली में उपभोक्ताओं को 4 रुपए प्रतियूनिट की दर से बिजली मिलती है, जबकि बिहार 3 रुपए यूनिट के हिसाब से लोगों से भुगतान कराता है।

 

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महंगी बिजली मिलने का ये कारण आया सामने

इधर, मध्य प्रदेश में महंगी दरों का कारण सामने आया कि, यहां मांग से ढाई गुना ज्यादा उत्पादन हो रहा है। बीते सालों के आंकड़ों के अनुसार, सरकार को प्रदेश की खपत के लिए 7148 मेगावॉट यूनिट औसत जरूरत होती है, बावजूद इसके दस हजार मेगावाट अधिक बिजली खरीद का अनुबंध किया है। अतिरिक्त बिजली खरीद का खर्च भी उपभोक्ताओं से वसूला जाता है, इसलिए राज्य में बिजली के भरपूर उत्पादन और उपलब्धता के बावजूद लोगों को महंगी बिजली मिल रही है।

 

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6 महीने पहले ही बढ़े हैं बिजली के दाम

हालांकि, बीते साल ही बिजली कंपनियों ने घाटे का हवाला देते हुए बिजली की कीमतो में 12 फीसदी बढ़ोतरी करने की मांग की थी। लेकिन उस दौरान नियामक आयोग ने उसमें 7 फीसदी दरें ही बढ़ाईं थीं। वहीं, अब सिर्फ 6 महीनों के भीतर ही एक बार फिर बिजली की दरों में 5.28 फीसदी बढ़ोतरी करने की मांग उठी है। अगर बिजली दरों में और बढ़ोतरी होती है तो इसका सीधा असर महंगाई की चौतरफा मार झेल रही प्रदेश की जनता पर पड़ेगा।

 

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मौजूदा समय में ये है पर यूनिट दर

मध्य प्रदेश में 2019 की 17 अगस्त से लागू हुईं बड़ी हुई दरों में घरेलू बिजली में 5.1 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी, वहीं गैर घरेलू बिजली की दरों में 4.9 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इनमें उपभोक्ताओं को बिजली भुगतान तय यूनिट के आधार पर करना पड़ता है। यानी मौजूदा समय में प्रदेश में उपभोक्ताओं को 50 यूनिट तक 4.05 यूनिट/रुपया की दर से चुका रहे हैं। वहीं, 51 से 150 यूनिट तक 4.95 यूनिट/रुपया चुकाना पड़ता है। 151 से 300 यूनिट के बीच रीडिंग आने पर उपभोक्ता को 6.30 यूनिट/रुपया की दर से भुगतान करना पड़ता है। साथ ही, 300 से अधिक यूनिट रीडिंग आने पर 6.50 यूनिट/रुपया की दर से भुगतान करना होता है।

 

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सरकार और विपक्ष में वार-पलटवार

इस बीच नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं। लगातार बढ़ रहे घाटे पर शिवराज सिंह चौहान के आरोप का कमलनाथ सरकार के मंत्री प्रियव्रत सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि, प्रदेश में बिजली को लेकर बने हालात की जिम्मेदार शिवराज सरकार खुद है। मंत्री प्रियव्रत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, बिजली कंपनियों के बड़े घाटे के लिए तत्कालीन शिवराज सरकार की गलत नीतियां ही जिम्मेदार है। उन्होंने लिखा बिजली कंपनियों का 47 हजार करोड़ का घाटा शिवराज सरकार की देन है। तत्कालीन बीजेपी सरकार की गलत नीतियों के कारण बिजली कंपनियों को भयंकर घाटे में पहुंचा दिया। ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा कि, सीएम कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार दिखावा करने में नहीं बल्कि काम करने पर विश्वास करती है। प्रदेश सरकार का उद्देश्य सूबे को सस्ती बिजली उपलब्ध कराना है।

 

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शिवराज ने ट्वीट कर लगाए थे ये आरोप

मामले को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में बिजली कंपनियों के बढ़ते घाटे के लिए मौजूदा सरकार की नीतियों और खराब फैसलों को जिम्मेदार ठहराया था। शिवराज ने कहा है कांग्रेस सरकार ने छोटे फायदे की जगह दूरगामी परिणामों के बारे में जरा भी सोचा होता तो बिजली कंपनी को बर्बाद होने से रोका जा सकता था. आखिरकार कब जागेगी सरकार।

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