जीवन परिचय
एम विश्वेश्वरैया के 157वें जन्मदिन के मौके पर गूगल ने भी डूडल (Google Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है। उनका पूरा नाम मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया है। उन्हें सर एमवी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले स्थित चिक्काबल्लापुर तालुक में एक तेलुगु परिवार में जन्म हुआ था। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे। विश्वेश्वरैया की मां का नाम वेंकाचम्मा था। उनके पूर्वज आंध्र प्रदेश से यहां आकर बसे थे। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने जन्मस्थान से ही की।आगामी पढ़ाई उन्होंने बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज से की। मेधावी छात्र होने के कारण उन्हें सरकारी मदद मिली जिससे वह आगे पढ़ाई जारी रख सके। मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। 1883 की एलसीई और एफसीई (आज के समय की BE) की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया। इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर रखा। उनके कामों को देखते हुए साल 1955 में उन्हें सर्वोच्च भारतीय सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। सार्वजनिक जीवन में बतौर इंजीनियर उनके योगदान के लिए भारत हर साल उनके जन्मदिन को इंजीनियर डे के रूप में मनाता है।
इंजीनियरिंग पर युवाओं का बढ़ता रुझान
भारत एक विकासशील देश है। आज यहां विभिन्न इंजीनिरिंग कॉलेजेस हैं। भारत आईटी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश बन गया है। भारत समेत मध्य प्रदेश में आईटी इंजीनियर्स की भारी संख्या है। इसके साथ ही इंजिनियरिंग के दूसरे कोर्स भी भारत युवाओं का रोजगार के तौर पर बड़ी पसंद बनते जा रहे हैं। यानि तय है कि, इस तरह इंजीनियरिंग के लिए देश प्रदेश के युवाओं का रुझान बढ़ता रहा तो एक दिन भारत के इंजीनियर्स विश्व में सबसे प्रसिंद्ध माने जाएंगे।