ब्लैक फंगस को हराने वाले कई मरीज न तो देख सकते हैं न ही ठीक से खा सकते हैं। मुंह में खाना डालो तो वह नाक से बाहर आता है। ठीक होने के बाद भी कई मरीज ब्लैक फंगस का दंश झेल रहे हैं। अब मरीजों की स्थिति यह है कि उन्हें खुद का चेहरा देखने से भी डर लगता है। हालांकि उनके घर वाले ये सोचकर ही खुश हैं कि उनका मरीज अब ठीक हो चुके है।
खुद का चेहरा देखने में डर लगता है : हरनाम 22 दिन में कोरोना ठीक हो गया था, इसी दौरान दाहिने हाथ और सिर के दाहिने हिस्से में दर्द शुरू हुआ। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने ब्लैक फंगस बताया और हमीदिया में भर्ती कर लिया। ऊपर का जबड़ा सुन्न हो गया और चेहरा, आंख सब काले पडऩे लगे। डॉक्टरों ने कहा कि आंख और जबड़ा भी निकालना पडेग़ा। अब ठीक हूं, लेकिन खुद का चेहरा देखने में भी डर लगता है।
कोरोना से उबरने के करीब 15 दिन बाद दाहिने गाल, नाक और जबड़ा सुन्न होने लगा। डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस अंदर फैल चुका है, ऊपर का जबड़ा और तालू भी काटना पड़ेगा। ऑपरेशन के 10 दिन बाद मुझे डिस्चार्ज कर दिया, लेकिन 20 दिन बाद फिर वहीं दिक्कत होने लगी। जांच में पता चला कि संक्रमण दोबारा हो गया। इस बार आंख निकालनी पड़ी। डॉक्टर का कहना था कि अगर और देर होती तो जान भी जा सकती थी।
हमीदिया अस्पताल के नाक, काल, गला विशेषज्ञ डॉ. यशवीर जेके बताते हैं कि ब्लैक फंगस के मरीज अगर देर से इलाज के लिए आते हैं तो दिक्कत बढ़ जाती है। नतीजा हर 30 में से 3 मरीज संक्रमण के बाद आंख खो देते हैं। इतने ही मरीजों का ऊपरी जबड़ा काटना पड़ता है। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए जरूरी है कि वे घर पर भी कम से कम छह महीने साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
कुल मरीजों का इलाज 502
सर्जरी की 450
दोबार सजरी हुई 52
रोशनी चली गई 47
ऊपरी जबड़ा हटाया 52
निचला जबड़ा हटाया 40
दोनों जबड़े हटाए 04
तालू का एक हिस्सा काटा 04 Must Read- बनाए ऐसे खास दीये कि देशभर से आने लगी डिमांड