
भोपाल। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद अब सरकार व बैंक इसे लेकर सतर्क होते दिख रहे हैं। इसी के तहत वित्त मंत्रालय बैंकों में गिरवी चीजों के बदले लोन पर नया नियम लाने की तैयारी कर रहा है। इसके अनुसार बैंक यदि 50 करोड़ रुपए से अधिक राशि का लोन देंगे तो उन्हें गिरवी चीजों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। यह जानकारी बैंक वेबसाइट पर डालेंगे। वहीं इसी बीच गीतांजलि ज्वैलर्स के बाद अब भारत के एक और बड़े ज्वैलर्स द्वारा SBI सहित कई बैंकों को चूना लगाने की बात सामने आ रही है।
लोन पर नया नियम की सूचना के सामने आते ही मध्यप्रदेश के व्यवसाइयों सहित आम जनता ने इसे एक अच्छा फैसला बताया है।
यदि ये कानून बन जाए तो बैंकों से हो रहे फ्रॉड काफी हद तक कम हो जाएंगे। क्योंकि हर कस्टमर की जानकारी दूसरे बैंक को भी रहेगी।
- वीके गुप्ता, पूर्व बैंक कर्मचारी
ये नियम सही है, कम से कम लोगों की जानकारी होने के चलते सही लोगों को ही लोन मिलेगा। कई बार तो बैंक हम जैसे छोटे व्यवसाइयों को लोन नहीं देते कारण कुछ भी हो, लेकिन इस व्यवस्था से हमें और आम जन को फायदा ही होगा।
- सारिका शर्मा, डायरेक्टर निजी कंपनी
जरूरत से ज्यादा लोन और गड़बड़ी इस व्यवस्था से तुरंत पकड़ में आ जाएगी। लोन लेना कुछ लोगों को जरूर मुश्किल हो जाएगा, लेकिन इसका फायदा पूरे देश को होगा।
- सुनील शुक्ला, व्यवसायी भोपाल
इस तरह के फ्रॉड से आम आदमी का पैसा ही चला जाता है। यदि ये नियम आया तो काफी हद तक इस तरह के फ्रॉड्स पर रोक लग सकेगी। साथ ही आम आदमी का पैसा भी बैंक में सुरक्षित रहने के साथ ही बैंक को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा।
- नीतिन झा, सीए
SBI- एक और फ्रॉड आया सामने...
जानकारी के अनुसार सीबीआई ने चेन्नई की कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध कथित रूप से 824.15 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यह ऋण उसने भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 14 बैंकों के गठजोड़ से लिया गया था। सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने आज इस मामले में कई स्थानों पर छापेमारी की।
सीबीआई ने यह एफआईआर 14 बैंकों के गठजोड़ की ओर से एसबीआई की शिकायत पर दर्ज की है। एजेंसी ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. इसके प्रवर्तक निदेशक भूपेश कुमार जैन, निदेशक नीता जैन, तेजराज अच्चा, अजय कुमार जैन और सुमित केडिया तथा कुछ अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। इस सिलसिले में कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के प्रवर्तकों के आधिकारिक और आवासीय परिसरों पर छापेमारी की गई।
यह कंपनी सोने के आभूषण बनाती है। इनका विपणन क्रिज ब्रांड नाम से किया जाता है। एसबीआई ने सीबीआईको की गई अपनी शिकायत में कहा है कि कंपनी ने इन आभूषणों की बिक्री 2014 तक वितरकों के जरिये की। वर्ष 2015 में उसने अपना कारोबारी माडल बदलकर बिजनेस टु बिजनेस कर लिया और बड़े खुदरा आभूषण कारोबारियों को आपूर्ति शुरू की।
इन ऋण खातों को 2008 में एसबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक से लिया था। इसकी बैंकिंग व्यवस्था को मार्च, 2011 में बदलकर बहु- बैंकिंग व्यवस्था कर दिया गया।
एसबीआई का आरोप है कि यह धोखाधड़ी 824.15 करोड़ रुपये की है। इसके नुकसान की भरपाई के लिए सिक्योरिटी सिर्फ 156.65 करोड़ रुपये है।
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि शिकायत मिली है और उसके बाद एजेंसी बैंक के संपर्क में है, क्योंकि शिकायत में कई खामियां है, जिन्हें बैंक को दुरुस्त करना है।
सूत्रों ने कहा कि सीबीआई द्वारा छापेमारी पूरी करने से पहले ही यह शिकायत सार्वजनिक हो गई जिससे ऐसी आशंका है कि सीबीआई को संभवत: महत्वपूर्ण दस्तावेजी प्रमाण हासिल नहीं हो पाएंगे।
सूत्रों ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने संभवत: इस शिकायत को लीक किया है। बैंक का आरोप है कि कनिष्क ने 2009 से रिकार्डों तथा वित्तीय ब्योरे की गलत जानकारी देकर कंपनी की बेहतर तस्वीर दिखाई जिससे कर्ज हासिल किया जा सके।
उसने कहा कि कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. और उसके निदेशकों ने बैंक के अधिकार और हितों के खिलाफ इस राशि को इधर उधर किया। एसबीआई ने जांच एजेंसी से कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लि. और उसके प्रवर्तक निदेशक भूपेष कुमार जैन तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया है।
कंपनी के खातों को कर्ज देने वाले विभिन्न बैंकों ने2017-18 में धोखाधड़ी वाला और गैर निष्पादित एनपीए घोषित कर दिया था।
राजधानी भोपाल में ATM से फ्रॉड...
वहीं इसी बीच भोपाल में भी बैंक में एक गड़बड़ी का मामला सामने आया है जिसमें बागसेवनिया थाना क्षेत्र में 84 लाख रुपए गबन करने वाले दोनों कैशलोडर एटीएम में जमा रुपए से दोगुने की मैन्युअल रिसीप्ट बनाकर धोखाधड़ी करते थे। एटीएम के ऑडिट से पहले दूसरे एटीएम से रुपया निकालकर उसमें डाल देते थे। ऑडिट के बाद रुपए को वापस उसी एटीएम में डाल देते थे, इससे गबन का पता नहीं चलता था। दोनों के कब्जे से 30 लाख रुपए बरामद हुए हैं।
लोजिकेश सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के ब्रांच मैनेजर ने अपने दो कैशलोडर पूरन सिंह पांडे और नवीन सिंह अरोरा के खिलाफ बागसेवनिया थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि ये गिरोह बनाकर काम करते थे। पूछताछ में बताया कि इनके पास एटीएम खोलने की चाबी व कोड नंबर होता था। बिना कोड व चाबी के एटीएम को खोलना मुश्किल था।
इसी का इस्तेमाल करते हुए ये एटीएम में कम रुपए डाल अधिक की पर्ची बना देते थे। उसके बाद कंपनी को रिसीप्ट दे देते थे। जिससे इनके गबन का पता नहीं चलता था। गबन के बाद दोनों आरोपी यह रुपए ब्रांडेड सामान खरीदने के साथ ही महंगी होटलों में खर्च करते थे।
रोज लेकर चलते थे एक करोड़ रुपए
कंपनी के दोनों कैशलोडरों का वेतन १३-१३ हजार रुपए महीना था। औसतन हर रोज ४३३ रुपए इन्हें वेतन मिलता था। इन्हें कंपनी शहर के विभिन्न एटीएम में रुपए डालने के लिए एक करोड़ देती थी। वेतन में जरूरत पूरी नहीं होने पर दोनों का मन डिगा और ये पिछले दो साल से अंजाम दे रहे थे।
ये होगा नए नियम में...
बैकिंग घोटाले सामने आने के बाद बैंक लोन के नियमों को मजबूत बनाने की कोशिशें चल रही हैं। इसी के तहत वित्त मंत्रालय बैंकों में गिरवी चीजों के बदले लोन पर नया नियम लाने की तैयारी कर रहा है। इसके अनुसार बैंक यदि 50 करोड़ रुपए से अधिक राशि का लोन देंगे तो उन्हें गिरवी चीजों की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। यह जानकारी बैंक वेबसाइट पर डालेंगे।
इसके अलावा, एक कॉमन 'रजिस्ट्री बैंक' बनाने की भी बात चल रही है। जहां एक ही जगह बैंकों की गिरवी चीजों की जानकारियां मौजूद होंगी। मंत्रालय का मानना है कि इस नियम से लोन के बदले गिरवी चीजों के मूल्यांकन में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी। अभी कम कीमत वाली चीजों को कागज पर ज्यादा का बताकर लोन दे दिए जाते हैं।
ये होगा फायदा...
- जानकारी सार्वजनिक होने से दूसरे बैंक भी जान सकेंगे, गिरवी रखी चीजों के बदले दिए गए लोन सही हैं या नहीं।
परेशानी : जानकारों का मानना है कि प्रॉपर्टी के दाम कम होने के बावजूद लोन ज्यादा अमाउंट का दिया जाता है।
- इस संबंध में वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि लोन पर बैंक जो सिक्योरिटी लेते हैं, उनमें कम कीमत की चीजों को ज्यादा बताते हैं। इससे ज्यादा लोन पास हो जाता है। ऐसे में लोन लेने वाला डिफॉल्टर हो जाए तो बैंक लोन की वास्तविक रिकवरी नहीं कर पाता। क्योंकि नीलामी से उतने दाम नहीं मिल पाते।
जवाबदेही : बैंको के वरिष्ठ अफसर लिखकर देंगे लोन में कोई फ्रॉड नहीं।
- बैंकों के 50 करोड़ से अधिक के लोन की जवाबदेही अफसरों की होगी।उन्हें हर साल यह लिखित में देना
होगा कि बैंक मेंं चलने वाले 50 करोड़ से अधिक के लोन में फ्रॉड नहीं है।
लोन लेने वाले विलफुल डिफॉल्टर नहीं हैं। अभी वे यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि फ्रॉड की जानकारी उन्हें नहीं थी।
फायदा: मनमर्जी से लोन नहीं दे सकेंगे बैंकों के अफसर, धोखाधड़ी पता चलेगी।
- गिरवी चीजें सार्वजनिक रहेंगी तो बैंक जान सकेंगे, जो लोन दिए हैं, वे सही हैं या नहीं। अधिकारी के फर्जीवाड़े का पता चलेगा। अगर कोई बैंक किसी मकान को गिरवी रख 1 लाख का लोन देता है,लेकिन बाजार में उसकी कीमत 50 हजार ही है। ऐसे में बैंक अधिकारी मनमर्जी से लोन नहीं दे सकेंगे।
Published on:
21 Mar 2018 06:21 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
