
प्रतिबंध को ठेंगा हावड़ा में पतली पॉलीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से निगम के नियम का खुला उल्लंघन
17 मई 2017 को पॉलीथिन की थैलियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया था। तब यह घोषणा की गई थी कि इसके बाद प्रदेश में पॉलीथिन कैरी बैग्स पूरी तरह बंद हो जाएंगे, लेकिन अपने लागू होने के समय से लेकर अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं आया जब यह कुछ कम भी हुआ हो।
पॉलीथिन बैग्स का निर्माण, विक्रय और वितरण, उपयोग करने वालों पर कार्रवाई की जाने की सूरत भी दिखाई नहीं दी। हालात यह है कि राजधानी सहित किसी बड़े शहर में पॉलीथिन निर्माण की फैक्ट्री पकड़ी नहीं जा सकी।
राजधानी में दो सालों में मात्र दो थोक विक्रेता दुकानदारों पर कार्रवाई हुई है जिसमें भी मात्र चंद हजार का मामूली जुर्माना ही हुआ। प्रदेश भर में प्लास्टिक बैग खुलेआम उपयोग किए जा रहे हैं। दो सालों में प्रदेश में जहां हजारों क्विंटल प्लास्टिक उपयोग करके कचरा पैदा किया जा चुका है, वहीं जिम्मेदारों के पास कार्रवाई दिखाने के लिए मात्र चंद सौ किलो जब्त पॉलीथिन बैग ही हैं।
महाराष्ट्र ने बना दी सिंगल यूज्ड प्लास्टिक की बॉय बैक पॉलिसी
ऐसे लागू की बॉय बैक पॉलिसी महाराष्ट्र सरकार ने 11 अप्रेल 2018 को आदेश जारी करके सिंगल यूज्ड प्लास्टिक प्रोडक्ट उत्पादनकर्ताओं के लिए इन्हें वापस खरीदना अनिवार्य कर दिया है। बोतलबंद पानी बेचने वाली कम्पनियों को उत्पाद पर ही बाय बैक रेट लिखना अनिवार्य होता है, ऐसा सामान बेचने वाले दुकानदारों को उसे वापस खरीदना पड़ता है जहां से कम्पनियां उन्हें वापस खरीद कर रीसाइकल करती हैं।
ऐसा करके एक तरह से निर्माताओं को पाबंद करने के साथ प्लास्टिक कचरे को भी कम करने का प्रयास हुआ है। 'महाराष्ट्र में न केवल पॉलीथिन बैग पर रोक है बल्कि सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का उपयोग सीमित करने में भी यह प्रदेश से कहीं आगे है। प्रदेश में जागरूकता, कुछ कदमों से प्लास्टिक कचरे पर कुछ नियंत्रण हुआ है, लेकिन कई स्तरों पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। - इम्तियाज अली, निदेशक, सार्थक
Published on:
30 May 2019 08:16 am
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