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छह साल में तीन हजार बढ़ गई मकानों की संख्या पर टैक्स जीआईएस सर्वे के आधार पर वसूल रहे

नगरपालिका ने राजस्व में बढ़ोत्तरी किए जाने के लिए वर्ष 2016 में जीआईएस (ग्लोबलइंफॉर्मेशन सिस्टम) सर्वे कराया गया था। जिसमें 26 हजार मकान होना बताए गए थे।

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नगरपालिका में शनिवार को लोक अदालत के दौरान 23 लाख रुपए का टैक्स जमा किया गया

नगरपालिका में शनिवार को लोक अदालत के दौरान 23 लाख रुपए का टैक्स जमा किया गया

बैतूल। नगरपालिका ने राजस्व में बढ़ोत्तरी किए जाने के लिए वर्ष 2016 में जीआईएस (ग्लोबलइंफॉर्मेशन सिस्टम) सर्वे कराया गया था। जिसमें 26 हजार मकान होना बताए गए थे। इस सर्वे के आधार पर नगरपालिका पिछले सात सालो से शहरवासियों से टैक्स वसूल रही है, लेकिन इन सात सालों में शहर में तीन हजार से अधिक नए मकान भी बने हैं, पर नगपालिका के संपत्तिकर कर वसूली में आज तक कोई वृद्धि नहीं हो सकी है। आज भी नगरपालिका के संपत्तिकर की चालू डिमांड 3.20 करोड़ है। जबकि सात वर्ष पूर्व भी लगभग इतनी ही डिमांड थी, जिसमें मामूली वृद्धि भर हुई है।
शहर में 17 हजार उपभोक्ता जमा करते हैं टैक्स
बैतूल शहरी क्षेत्र में करीब 17 हजार उपभोक्ता हैं जिनसे नगरपालिका सलाना टैक्स की वसूली करती है, लेकिन इनमें से 12 से 13 हजार उपभोक्ता ही नियममित रूप से टैक्स की अदायगी करते हैं। जबकि कुछ वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद ही टैक्स जमा करते हैं। जिसके कारण नगरपालिका पर पिछला बकाया टैक्स का बोझ बढ़ते जा रहा है। पिछले साल का 4 करोड़ 14 लाख 31 हजार 608 रुपए का टैक्स वसूलना बकाया हैं। जिसे इस वित्तीय वर्ष में शामिल किया गया है। वर्तमान में नगरपालिका की टैक्स वसूली महज 20 प्रतिशत ही होना बताई जा रही है।

2018 से अब तक 1700 को मिली मकान बनाने की परमिशन
नगरपालिका ने वर्ष 2018 से अब तक कुल 1700 लोगों को मकान बनाने की परमिशन जारी की हैं। जबकि परमिशन के लिए 2500 के लगभग आवेदन आए थे, लेकिन दस्तावेज अधूरे होने की वजह से नगरपालिका ने परमिशन नहीं दी गई। बताया गया कि अवैध कॉलोनियों में लोगों ने बिना परमिशन लिए ही मकान बना लिए हैं और सालों से निवास कर रहे हैं, लेकिन टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं। नगरपालिका में ऐसे मकानों का कोई रिकॉर्ड भी दर्ज नहीं है। जिसकी वजह से नगरपालिका को हर साल टैक्स का नुकसान हो रहा है।

मोहर्रिर से कराया जा रहा सर्वे
जीआईएस सर्वे के बाद जिन संपत्तियों का नगरपालिका में रिकॉर्ड दर्ज नहीं हो सका हैं अब उन संपत्तियों का नगरपालिका सर्वे करा रही है। नपा के राजस्व अधिकारी ब्रजगोपाल परते ने बताया कि मोहर्रिर वार्डों में जाकर निर्माणाधीन एवं नवागत बने हुए मकानों का सर्वे कर रहे है। मकानों की नापजोख भी की जा रही हैं ताकि संपत्तिकर के रिकॉर्ड को दुरस्त किया जा सके। यदि नए मकानों को भी संपत्तिकर में जोड़ लिया जाए तो संपत्तिकर की डिमांड काफी बढ़ सकती हैं। वैसे नगरपालिका का दावा है कि लोग स्वयं आकर टैक्स जमा कर देते हैं, लेकिन जिस तरह से संपत्तिकर में पिछला बकाया बढ़ते जा रहा हैं उसे देखकर लगता नहीं कि लोग टैक्स की अदायगी कर रहे है।

पिछले साल से 37.88 लाख बढ़ गई संपत्तिकर की डिमांड
टैक्स का पिछला बकाया बढऩे और संपत्तिकर में पेनाल्टी लगने से नगरपालिका की डिमांड सालाना तेजी से बढ़ रही है। इस वित्तीय वर्ष में नगरपालिका की कुल डिमांड 9 करोड़ 51 लाख 56 हजार 141 रुपए हो गई है। जबकि अकेले संपत्तिकर की डिमांड 3 करोड़ 57 लाख 98 हजार 243 रुपए हैं। वहीं गत वित्तीय वर्ष में कुल डिमांड 7 करोड़ 98 लाख 15 हजार 188 रुपए थी और संपत्तिकर की चालू डिमांड 3 करोड़ 20 लाख 9 हजार 620 रुपए थी। देखा जाए तो गत वित्तीय वर्ष की तुलना में संपत्तिकर में 37 लाख 88 हजार 623 रुपए की वृद्धि हो गई है।
इस प्रकार की जाती है संपत्तिकर की गणना
जब टैक्स की गणना की जाती है तो जिस भी संपत्ति का वार्षिक भाड़ा मूल्य 6 हजार या उससे अधिक होता है, उस पर संपत्तिकर एवं अन्य कर लगाए जाते हैं। वार्षिक भाड़ा मूल्य दरअसल में टैक्स की गणना करने के लिए जो निर्धारित दरे हैं और संपत्ति का क्षेत्रफल, भवन की संरचना के आधार पर तय होता है। इसी के आधार पर संपत्तिकर की गणना करने का प्रावधान है। वहीं जिस संपत्ति का वार्षिक भाड़ा मूल्य 6 हजार से कम होता हैं उससे सिर्फ समेकित कर ही वूसल किया जाता है।