29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सिविल सर्विस डे : एमपी से सिर्फ 0.5 परसेंट स्टूडेंट्स ही क्रेक कर पाते हैं एग्जाम

यूपीएससी का इंग्लिश-विंग्लिश को हां, हिन्दी मीडियम को ना

2 min read
Google source verification
stiudents

भोपाल। सिविल सर्विसेज में सलेक्ट होना हर युवा प्रतिभागी का सपना होता है। इस सपने को शहर के युवा भी कड़ी मेहनत से पूरा कर रहे हैं। यूपीएससी और एमपीपीएससी में सिलेक्शन के लिए युवा सालों तक प्रिपरेशन करते हैं। हालांकि यूपीएससी में मप्र का सिलेक्शन परसेंटेज न के बराबर है। हर साल यूपीएससी में महज पांच से सात सिलेक्शन होते हैं। औसत देखा जाए तो 0.5 प्रतिशत सिलेक्शन हो रहे हैं। 2008 के बाद से हिन्दी मीडियम स्टूडेंट्स के लिए इस एग्जाम को क्रेक करना सपना ही हो गया है।

अंग्रेजी के मुकाबले क्षेत्रीय भाषाओं के आधे छात्र भी एग्जाम क्लियर नहीं कर पाते। भोपाल से मैनिट, आरजीपीवी और एलएनआइयू में पढऩे वाले स्टूडेंट्स के सबसे ज्यादा सिलेक्शन होते हैं। एक्सीलेंस, नूतन कॉलेज और बीएसएसएस इसमें फिसड्डी साबित हो रहे हैं। एक्सीलेंस कॉलेज में तो सिविल सर्विसेज को ध्यान में रखकर टॉप प्रोफेसर्स लगाए गए थे। यहां भी बीस सालों में दो या तीन सिलेक्शन हुए।

करंट अफेयर्स पर करें फोकस

अब तक ग्रामीण और शहरी पढ़ाई का सिविल सर्विसेज में काफी अंतर था। सिविल सर्विसेज की तैयारी ग्रेजुएट होने के बाद ही शुरू करें। स्कूलिंग और कॉलेज में स्कोरिंग करने के साथ कॉन्सेप्ट भी क्लियर करें। क्योंकि बिना बेसिक्स एग्जाम क्रेक करना असंभव है। यूपीएससी में मेहनती नहीं, स्मार्ट प्रतिभागी सिलेक्ट होते हैं। स्कूल में हर तरह के कॉम्पीटिशन में भाग लें, ताकि अच्छा एक्सपोजर मिल सके। करंट अफेयर्स पर फोकस करें। कम से कम दो पेपर रोज पढ़े। यदि ऐसा किया तो एग्जाम क्रेक करना आसान होगा। दो अटेम्प्ट के बाद बहुत कम प्रतिभागी सलेक्ट हो पाते हैं। हालांकि अब एग्जाम पैटर्न भी चेंज हो रहा है। अब भारत सरकार की योजनाओं से जुड़े प्रश्न ज्यादा पूछे जाने लगे हैं। यानी पेपर अब बेसिक लेवल की तरफ जा रहा है। ग्रामीण स्टूडेंट्स को इसका फायदा होगा।

हिन्दी ट्रांसलेशन भी बड़ी परेशानी

यूपीएससी और एमपीपीएससी में हिन्दी भाषा में प्रश्न पत्र तो होता है, लेकिन इसके लिए गूगल सॉफ्टवेयर का यूज किया जाता है। एमपीपीएससी में लगातार इसे लेकर सवाल खड़े होते हैं। वहीं परेशानी यूपीएससी में भी है। वहां काफी लंबे-लंबे प्रश्न पूछे जाते हैं। सॉफ्टवेयर की गलती से कई बार अर्थ का अनर्थ तक हो जाता है। दोनों ही आयोग अब भी प्रश्न पत्र को मैन्युअली चैक कराने पर ध्यान नहीं दे रहे। इसी कारण हिन्दी बेल्ट के अधिकांश मेधावी छात्र यूपीएससी में शामिल होने का साहस नहीं जुटा पाते। इसका एक कारण हिन्दी में स्तरीय सामग्री का अभाव भी है। पिछले तीस सालों से हिन्दी का अच्छा मटेरियल नहीं मिल पा रहा। यूपीएससी में भी अंग्रेजी ऑनलाइन लिट्रेचर, मैग्जीन, न्यूज पेपर और बुक्स से ही प्रश्न पूछे जाते हैं। हिंदी माध्यम ेके प्रतिभागी इन्हें नहीं पढ़ पाते जिसके चलते दिल्ली की कोचिंग की मदद लेते हैं।