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बड़ी खबर- बाजार में बिक रहा नकली माल, जांच में महज 30 प्रतिशत मावा ही शुद्ध मिला

Only 30 mawa coming from Morena Gwalior and Bhind is pure

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14000 kg of adulterated mawa and sweets seized in MP

14000 kg of adulterated mawa and sweets seized in MP

त्योहारों के सीजन में मावा की खपत तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही बाजारों में बिक रहे मावा में मिलावट भी बढ़ती जा रही है। प्रदेश के कई इलाके मावा के लिए विख्यात हैं। मालवा निमाड़ क्षेत्र और ग्वालियर-चंबल इलाका का मावा नाम से ही बिकता है। राजधानी भोपाल में मुरैना, ग्वालियर और भिंड के मावा की सबसे ज्यादा डिमांड है। यहां का मावा अच्छा माना जाता है पर असलियत कुछ और ही है। हकीकत तो यह है कि बाजार में बिक रहा ज्यादातर मावा मिलावटी है। जांच में केवल 30 प्रतिशत मावा ही शुद्ध पाया गया है।

मावा की शुद्धता पर सामने आए तथ्य इसकी मिठाइयां खाने के शौकीन लोगों की चिंता बढ़ा सकते हैं। मध्यप्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार मावा के लिए विख्यात ग्वालियर और चंबल इलाके से आ रहा अधिकांश माल मिलावटी है। कुछ कारोबारी फैट निकालकर पाम आयल का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां के मावा की शुद्धता की गारंटी दी जाती रही है पर कुछ मुनाफाखोर इस साख पर पलीता लगा रहे हैं।

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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के आंकड़ों के अनुसार भिंड, मुरैना और ग्वालियर से लाकर भोपाल में बेचा जा रहा 30 प्रतिशत मावा ही शुद्ध पाया गया है। जांच में 70 प्रतिशत मावा मिलावटी और अमानक पाया गया। विभागीय अमले ने जनवरी से लेकर अब तक 100 क्विंटल मावा पकड़ा। जांच में इसमें से 70 प्रतिशत मावा अशुद्ध पाया गया।

ग्वालियर चंबल अंचल का मावा अपनी गुणवत्ता के जाना जाता रहा है। कुछ लालची कारोबारियों ने इसका अनुचित लाभ उठाया और वे मिलावटी मावा भेजने लगे। ग्वालियर, भिंड, मुरैना से आनेवाला ज्यादातर मिलावटी मावा भोपाल के लिए फर्जी नामों से बुक कर भेजा जा रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, मिलावटी मावा स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। ग्वालियर, भिंड, मुरैना के कई कारोबारी मावा से फैट निकाल लेते हैं। ज्यादा लाभ लेने के लिए इसमें पाम आयल मिला देते हैं।