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बच्चों से गंदा काम करा रहे माता-पिता और रिश्तेदार

अपने ही मासूमों को धकेल रहे दलदल में

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अपने ही मासूमों को धकेल रहे दलदल में

प्रवीण मालवीय भोपाल. अपराधों में नाबालिगों और छोटे बच्चों को मोहरा बनाने के मामले लगातार आ रहे हैं। ऐसे मामलों में चौंकाने वाली बात यह है कि अपराधों में बच्चों का उपयोग कोई गिरोह नहीं बल्कि उनके अपने ही कर रहे हैं। शहर में अपराध के आरोप में पकड़े गए बच्चों में से अधिकांश के मामलों में बच्चों की काउंसिलिंग में यह बात सामने आई है।

बच्चों और नाबालिगों की मदद से कराई जा रही चोरी, अड़ीबाजी और बड़े अपराधों में जहां परिजन ही पीछे होते हैं वहीं बच्चों से भीख मंगवाने और छोटे-छोटे सामान बिकवाने का काम गिरोह कर रहे हैं, लेकिन इन पर भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

इस तरह के अपराधों में नाबालिगों के हाथ
— मोटरसाइकिल और वाहन चोरी
— चोरियां करवाना
— अड़ीबाजी करवाना

केस 1
रातीबड़ इलाके में एक पिता अपने आठ साल के बच्चे से शराब बिकवा रहा था। पुलिस ने बच्चे को शराब बेचते देखा तो उसकी काउंसिलिंग कराने के साथ पिता के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियिम की धारा 77-78 लगाकर पिता को गिरफ्तार कर लिया।
केस 2
लालघाटी इलाके के शादी हाल से जेवरातों से पर्स चोरी के मामले में बच्चों की भूमिका सामने आई। जब चोरी के मामलों में इन बच्चों को पकड़ा गया तो उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया। बाल सुधार गृह में रखने के दौरान अकेले अधिवक्ता ने आकर उनकी जमानत कराने की कोशिश शुरू कर दी। अधिकारियों की सख्ती के बाद परिजन सामने आए और पता चला कि अपराध के पीछे उनका ही हाथ है।

चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर अर्चना सहाय के अनुसार रेस्क्यू करके लाए गए बच्चों की काउंसिलिंग के बाद जब सच सामने आया तो खुद उनके अपने परिजन लिप्त मिले। पूछताछ में सामने आया कि पिता-चाचा या दूसरे रिश्तेदार नए कपड़े, शेरवानी आदि डे्रस पहनाकर बच्चों को समारोह में भेजते हैं और खुद दूर खड़े होकर देखते हैं। बच्चा पकड़ा भी जाए तो यह सामने नहीं आते। बच्चा भी ऐसा ट्रेंड होता है कि कुछ नहीं बताता, फिर जब इन्हें सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया जाता है तो वकील को भेजकर जमानत की कोशिश करते हैं। इस पर रोक लगाने की आवश्यकता है।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य, बृजेश चौहान बताते हैं कि यदि बच्चों के माता-पिता या रिश्तेदार बच्चों से ऐसे कृत्य करा रहे हैं तो उन पर जेजे एक्ट की धारा-75 के तहत कार्रवाई हो सकती है। पुलिस को ऐसे मामलों में संजीदगी से कदम लेकर इस तरह के अभिभावकों पर भी कार्रवाई करना चाहिए, जिससे बच्चों का शोषण और अपराध में उनका उपयोग नहीं किया जा सका और बच्चों को अपराध के दलदल में जाने से बचाया जा सके।

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