
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: रूपेश मिश्रा. देश में डेटा सुरक्षा में लापरवाही से साइबर ठगों की चांदी हो रही है और आम लोगों को मुसीबत। विशेषज्ञों का मानना है कि आम लोगों का व्यक्तिगत डेटा लीक होना ही साइबर ठगी का सबसे बड़ा हथियार है। अमरीकी साइबर सुरक्षा फर्म रीसिक्योरिटी की एक रिपोर्ट में में दावा किया गया कि करीब 81.5 करोड़ भारतीयों की निजी जानकारी डार्क वेब पर लीक हो गई है। नाम, फोन नंबर, पता, आधार, पासपोर्ट जानकारी सहित अन्य डेटा ऑनलाइन बिक्री के लिए लीक किया गया है।
देश में डेटा लीक की घटनाएं आम हैं लेकिन डेटा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कंपनियां इसके प्रति लापरवाह हैं। व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून के बावजूद लोग निजी डेटा बेच रहे हैं। हालात की गंभीरता इसी से जाहिर होती है कि भारत में 70 प्रतिशत कंपनियां डेटा की सुरक्षा पर खर्च करने से बेचती हैं।
विदेशों में कंपनियां अपने आइटी बजट का 20 प्रतिशत तक साइबर सुरक्षा पर खर्च करती हैं, जबकि भारतीय कंपनियां महज 5-10 प्रतिशत खर्च करती हैं। 'पत्रिका' के रक्षा कवच अभियान के तहत यह पड़ताल की गई है कि आखिर खामियां क्या-क्या हैं, जिनकी वजह से बेतहाशा साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और इस गिरोह के सरगना भी पकड़ से बाहर हैं।
हमने विशेषज्ञों से यह समझने की कोशिश की। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने डिजिटल गिरफ्तारी, सिम कार्ड और संदिग्ध आइडी ब्लॉक करने जैसे कुछ कदम तो उठाए हैं, लेकिन ये सतही उपाय हैं।
Updated on:
16 Dec 2024 11:23 am
Published on:
16 Dec 2024 10:36 am
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