
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: साइबर ठगी की कहानी में रोज नए-नए किरदार या कहें कि नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। कई बार मोबाइल पर आने वाली लिंक को क्लिक करते ही खाते से पैसा साफ हो जाता है। थाना पुलिस, बैंक, कस्टम, पार्सल के नाम पर डिजिटल अरेस्ट करके पैसा ठग उनके खाते में डलवा रहे हैं।
हाल ही में सरकार ने पैन कार्ड 2.0 से जुड़ी कुछ नई योजनाओं की घोषणा की है। इस बीच, साइबर अपराधी लोगों को फंसाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। अब वे पैन कार्ड 2.0 के नाम पर फर्जी लिंक भेजकर लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं। इसके पहले शादी कार्ड के नाम पर भी रुपए साफ करने की जानकारियां सामने आई है।
साइबर ठगी से जुड़े इस तरह के मामलों में एक्सपर्ट का कहना है कि जितना हो सकें मोबाइल से दूरी बनाए रखें और किसी भी अनजानी कॉल को रिसीव नहीं करें। हो सके तो मोबाइल का डाटा भी बंद रखें। मोबाइल लिंक को बिना जानकारी के नहीं खोले और डिलीट कर दें।
सबसे पहले तो पत्रिका का आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो साइबर फ्राड को लेकर लोगों को जागरूक कर रहा है। मेरा सभी व्यवसायी से आग्रह है कि वे किसी को भी बैंक से जुड़ी जानकारी शेयर नहीं करें। बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। ज्यादातर मामलों में बच्चे ही मोबाइल पर आने वाली लिंक को क्लिक कर देते हैं। पल भर में ही बड़ा आर्थिक नुकसान हो जाता है।
-बलदेव खेमानी, अध्यक्ष भोपाल लोहा निर्माता एवं विक्रेता संघ, भोपाल
व्यापारी वर्ग का लेन-देन का काम चलता रहता है। प्रतिष्ठान से लेकर बैंक तक रोजाना काम पड़ता है। हम तो सावधानी बरतते ही हैं साथ ही हमारे यहां आने वाले कस्टमर, स्टॉफ और परिवार के लोगों को भी सलाह देते हैं कि अनजानी ङ्क्षलक को क्लिक नहीं करें। पत्रिका ने लोगों को जागरूक करने के लिए अच्छी मुहिम शुरू की है।
-नरेश चोटरानी, व्यापारी
पत्रिका अखबार लगातार पढ़ रहा हूं। साइबर क्राइम से बचने के लिए अखबार लोगों को काफी कुछ जानकारी और सलाह दे रहा है। जहां तक पैसे ठगने की बात है तो यह सब अज्ञानतावश हो रहा है। आपके मोबाइल की जानकारी दूसरों को देने से बचना चाहिए। अनजानी कॉल आने पर तुरंत फोन रिसीव नहीं करना चाहिए। ऐसी जानकारी हमारी दुकान पर आने वाले ग्राहकों को भी देते हैं।
-शैलेन्द्र गुप्ता, लोहा व्यापारी, भोपाल
साइबर अपराधी लोगों को व्हाट्सएप, ई-मेल या मैसेज के जरिए पैन कार्ड अपडेट या 2.0 वर्जन के लिए एक ङ्क्षलक भेजते हैं। ङ्क्षलक पर क्लिक करने पर व्यक्ति से उसकी जानकारी मांगी जाती है, जैसे कि आधार नंबर, बैंक की जानकारी और ओटीपी बताते ही इसका गलत इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह पैन कार्ड अपडेट करने या 2.0 वर्जन के लिए कोई लिंक नहीं भेजती। लोगों को सलाह दी है कि वे किसी भी ङ्क्षलक पर क्लिक न करें और इस तरह के संदेशों से सतर्क रहें।
सुरक्षा के लिए यह करें उपाय अब 70 ह्रश्वलस वालों के लिए आयुष्मान की जो घोषणा की गई है, उसे लेकर भी फोन कॉल आना शुरू हो गए है। हकीकत यह है कि कोई भी बैंक, पुलिस या अन्य एजेंसियां इस तरह फोन कॉल नहीं करती। इस तरह के फोन आने पर तुरंत उस कॉल को काट दें। मोबाइल के फ्रंट कैमरे में ङ्क्षबदी लगा दे, ताकि आपका चेहरा सामने नहीं आएगा।
अब 70 ह्रश्वलस वालों के लिए आयुष्मान की जो घोषणा की गई है, उसे लेकर भी फोन कॉल आना शुरू हो गए है। हकीकत यह है कि कोई भी बैंक, पुलिस या अन्य एजेंसियां इस तरह फोन कॉल नहीं करती। इस तरह के फोन आने पर तुरंत उस कॉल को काट दें।
मोबाइल के फ्रंट कैमरे में बंदी लगा दे, ताकि आपका चेहरा सामने नहीं आएगा। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें। केवल आधिकारिक वेबसाइट या सरकारी पोर्टल पर ही जानकारी दें। अगर कोई संदिग्ध मैसेज या लिंक मिले, तो साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत दर्ज करें। पैन कार्ड, बैंक की जानकारी को सुरक्षित रखें।
साइबर क्राइम से जुड़े रोज नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। ठगोरे कहीं दूर बैठकर लोगों को मोबाइल पर ङ्क्षलक भेज रहे हैं। इसलिए हमें किसी भी अनजानी लिंक पर क्लिक नहीं करें। ठगों के नए-नए तरीके लोगों को परेशानी में डाल रहे हैं। उनकी मेहनत की कमाई उड़ा रहे हैं। इसलिए, किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले सावधानी बरतें। इसके अलावा रात को सोते समय मोबाइल को तकिए से दूर रखें। जिन घरों में बाय-फाय की सुविधा है, उसे भी काम होने के बाद बंद कर देना चाहिए।
-शोभित चतुर्वेदी, साइबर एक्सपर्ट
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Updated on:
12 Dec 2024 10:37 am
Published on:
12 Dec 2024 10:36 am
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