
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: देश में साइबर ठगी और अपराध जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसे रोकने के प्रयास उतनी तेजी से नहीं बढ़ रहे। अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अलग से साइबर थाने और साइबर सेल का गठन तो कर दिया गया, पर ज्यादातर थानों में साइबर विशेषज्ञ पुलिसकर्मियों की कमी है।
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आइटी) एक्ट के तहत साइबर अपराध होने पर निरीक्षक से नीचे के स्तर का पुलिसकर्मी अनुसंधान नहीं कर सकता। इसी का लाभ साइबर अपराधियों को मिल रहा है। साइबर अपराधों की संख्या के आगे अनुसंधान अधिकारी न के बराबर हैं।
पुलिस की मानें तो तेजी से बढ़ते अपराध को देखते हुए आइटी एक्ट में संशोधन की जरूरत है। उप निरीक्षक को भी अनुसंधान का अधिकार दिया जाना चाहिए। इससे अनुसंधान अधिकारियों की संख्या में काफी इजाफा हो सकेगा। इतना ही नहीं, पुलिस में साइबर विशेषज्ञों की अलग से भर्ती होनी चाहिए। भारत में 15500 से अधिक थाने हैं, जिनमें साइबर थाने भी शामिल हैं।
राज्यों में साइबर थानों और विंग का गठन तो कर दिया पर स्टाफ के नाम पर अप्रशिक्षित पुलिसकर्मियों को साइबर थानों में लगा दिया। इससे साइबर अपराध पर कार्रवाई खानापूर्ति बनकर रह जाती है। मध्यप्रदेश में साइबर अपराध को देखते हुए राजधानी भोपाल के सभी 37 थानों में साइबर हेल्प डेस्क खोल दी है, प्रदेश के बाकी जिलों में इसके खोलने का ऐलान हो गया है।
साइबर अपराधी एक राज्य में बैठकर दूसरे राज्य में शिकार बना रहे हैं। साइबर अपराधियों के गढ़ में दूसरे राज्य की पुलिस की ओर से कार्रवाई आसान नहीं होती। ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिनमें गांव के गांव साइबर ठगी में लिप्त हैं। ज्यादातर स्थानीय लोगों का अपराध में लिप्त होना जांच में बड़ी बाधा साबित होता है। पुलिसकर्मियों के मुताबिक, सभी राज्यों की पुलिस की एक संयुत सेल होनी चाहिए, ताकि तुरंत कार्रवाई हो सके।
1.वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और जालसाजों की ओर से धन की हेराफेरी रोकने 'नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली' से सहायता ले सकते हैं। टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर '1930' भी शुरू की है।
2.साइबर अपराध जांच, फोरेंसिक, अभियोजन के महवपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम के माध्यम से पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम पोर्टल पर मुहैया कराए हैं।
3. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के तहत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर किसी भी साइबर अपराध की रिपोर्ट की जा सकती हैं। इसे एफआइआर में बदलना और आगे की कार्रवाई संबंधित राज्य की कानून प्रवर्तन एजेंसियां करती हैं।
केंद्र के पोर्टल के अनुसार, अक्टूबर 2024 में जिन राज्यों में साइबर अपराधियों की लोकेशन ट्रेस की गई, उनमें लगभग 1000 से लेकर 6500 तक साइबर अपराधी सक्रिय मिले। सबसे ज्यादा राजस्थान में 6,453 और इसके बाद झारखंड 5,247 में मिले। मध्यप्रदेश 1,144 के साथ आठवें स्थान पर है।
आइटी एक्ट में अनुसंधान का स्तर उप निरीक्षक तक करना चाहिए। इससे अनुसंधान में तेजी आएगी और जल्दी न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी।
-दीपक चौहान, अधिवक्ता
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Updated on:
14 Dec 2024 09:44 am
Published on:
14 Dec 2024 09:42 am
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