
वल्लभ भवन के कर्मचारियों को साइबर ठगों ने कॉल किया तो उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग में कॉल लिस्ट दिखाकर शिकायत की।
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: क्या अब कोई भी साइबर खतरे से अछूता है? इसका जवाब आपको आज की पत्रिका की इस खबर में मिल सकता है। देश में साइबर अपराध ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। मंत्री-संत्री, पुलिस अफसर-सरकारी कर्मचारी किसी का डेटा सुरक्षित नहीं है।
वल्लभ भवन के कर्मचारी हों या बड़े अधिकारी, ठग हर किसी को निशाना बना रहे हैं। छत्तीसगढ़ में पुलिस महकमा साइबर अपराधियों के निशाने पर है, वहीं राजस्थान में उच्च स्तर की राजनीतिक शख्सियतों को अनजान फ ोन आ रहे हैं। साइबर अपराधी सरकारी योजनाओं और विभागों के नाम का दुरुपयोग कर कॉल और मैसेज के जरिए लोगों को डराने और धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं। सायबर विशेषज्ञों का मानना है कि डेटा लीक होने की आशंका है।
संतोष बड़ोदिया सामान्य प्रशासन की लेखा शाखा में एएसओ है। एक सप्ताह में इनके पास दो बार विदेशी नंबरों से फोन आया। पहला कॉल नहीं उठाया। दूसरी बार चेतावनी दी कि 2 घंटे में सिम बंद कर देंगे। बचना हो तो 1 दबाओ। उन्होंने कॉल काट दिया, जिसके बाद ठग नंबर बदल फोन कर रहे हैं।
देवेंद्र दुबे, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में सहायक ग्रेड- 3 के पद पर पदस्थ है। पहले 19 और फिर 21 नवंबर को फोन आया। कहा हमारे पास आपकी जानकारी अधूरी है, जिसे अपडेट करना होगा। लिंक दे रहे हैं, उसे खोलकर अपडेट कर दें, नहीं तो सिम बंद हो जाएगी। उन्होंने फोन काट दिया।
वल्लभ भवन के 2500 अफसर और कर्मचारी भी साइबर ठगों के निशाने पर हैं। उन्हें कई दिनों से कॉल आ रहे हैं। इसमें कई अंतरराष्ट्रीय नंबर भी हैं। कॉलर सिम बंद करने की बात कहकर डरा रहे हैं। वे लिंक भेजते हैं और क्लिक करने कहते हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों ने सामान्य प्रशासन विभाग को 48 फोन नंबरों की सूची सौंपी है।
कर्मचारियों ने जांच की मांग की है। आशंका है बैंक या शासन स्तर से डेटा लीक हुआ। जो नंबर सामान्य प्रशासन विभाग के पास रजिस्टर्ड हैं, उसी पर कॉल आ रहे हैं। देखा गया है, डिजिटल अरेस्ट के लिए ठग ने खुद को वल्लभ भवन का अफसर बताया था।
-जो नंबर बैंक में व विभागों में पंजीकृत, वे ठगों के पास।
-एक दिन में 200 से अधिक नंबरों पर ठगों ने किए कॉल।
- मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष सुधीर नायक ने बताया, 19 नवंबर को 200 से ज्यादा कर्मियों को फोन आए।
जबलपुर. शहपुरा के सीएम राइज स्कूल के प्राचार्य बाल पांडे को पाकिस्तान के नंबर से वॉट्सऐप कॉल कर ठगी का प्रयास किया गया। लेकिन प्राचार्य की जागरूकता ने उन्हें बचा लिया। पुलिस ने बताया, उखरी रामेश्वरम कॉलोनी के पांडे को बुधवार सुबह 10.30 बजे वॉट्सऐप कॉल आया। कॉलर ने पुलिस अफसर बता कहा-आपका बेटा रेप केस में गिरतार हो गया है। पैसे दो छोड़ देंगे। प्राचार्य को फोन पर बेटे की आवाज सुनाई दी, पापा बचा लो। प्रार्चा को शक हुआ तो दूसरे फोन से पुणे में रह रहे बेटे से बात की। वह सुरक्षित था।
जबलपुर. सोशल मीडिया पर सिविल लाइन की बुजुर्ग से महिला ने दोस्ती की। तीन माह तक भरोसा जीता। फिर दो माह में 29 खातों में 53 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए। सोनम यादव ने खुद को इंग्लैंड (यूके) का बताया था। रिटायर्ड अफसर (70) ने झांसे में आ गए। कहा, यूके से वह मिलने आ रही है। 55 लाख का सोना-डॉलर ला रही है। बुजुर्ग को गिफ्ट और यूके से आने की टिकट की फोटो भेजी। फिर कहा, दिल्ली एयरपोर्ट पर सोना-डॉलर पकड़े गए। छुड़ाने को पैसे मांगे। बुजुर्ग ने भेज दिए। बाद में गिरोह ने उन्हें इतना तंग किया कि वे अवसाद में आ गए।
साइबर ठगों ने राजधानी में बुजुर्ग डॉक्टर दंपती को शिकार बना लिया। रीगल पैराडाइज अवधपुरी के डॉ. महेश मिश्रा और डॉ. रागिनी मिश्रा को बुधवार सुबह सीबीआइ अफसर बनकर फोन किया। जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का डर दिखाकर 48 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखा। गुरुवार को 10.50 लाख रुपए खाते में जमा करा लिए।
रागिनी को डिजिटल अरेस्ट का फरेब पता था, लेकिन ठग उन्हें बचने का मौका नहीं दिया। रुपए ऐंठने के बाद ठगों को बातों में फंसा कर वे निकली और पुलिस कमिश्नर को सूचना दी। बचाने पहुंचे गोविंदपुरा एसीपी दीपक नायक से भी ठगों से वीडियो कॉल पर तीखी नोक-झोंक भी हुई।
ठगों ने गुरुवार को डॉ. रागिनी से कहा, अभी आपको गिरतार नहीं कर रहे, लेकिन सिक्योरिटी के तौर पर खाते में 10.50 लाख रुपए जमा करो। गुरुवार दोपहर दो घंटे के लिए महिला को घर से निकलने दिया और उन्होंने बैंक पहुंचकर आरोपियों के खाते में रकम ट्रांसफर कर दी।
डॉ. महेश और डॉ. रागिनी कानपुर में शासकीय प्रसूति अस्पताल में पदस्थ थे। कुछ बरसों से भोपाल में रह रहे हैं। रागिनी ने बताया, बुधवार सुबह सैर के दौरान फोन आया। कहा, वह सीबीआइ मुंबई का अफसर है। आपका बैंक खाता मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल हो रहा है। इसमें 427 करोड़ रुपए आए हैं। पहले भरोसा दिया, केस की जांच करेंगे। इसके बाद दोनों को डिजिटल अरेस्ट कर लिया। पति लौटे तो उन्हें मामला बताया। इसके बाद ठगों ने पति को भी उलझाकर जांच में सहयोग करने की बात कही और वीडियो कॉल के सामने बैठा लिया।
पूर्व मंत्री और आइएएस आइपीएस भी शिकार जयपुर कमिश्नरेट के साइबर थाने में अगस्त में 16 लाख की ठगी का मामला दर्ज हुआ। जयपुर के भाजपा सरकार में मंत्री अरुण चतुर्वेदी शिकार, 16 लाख की ठगी का केस दर्ज। रिटायर्ड आइएएस करण सिंह डिजिटल अरेस्ट हुए। 5 लाख रुपए से अधिक ठगे।
उधर छत्तीसगढ़ में साइबर ठगों पुलिस की वेबसाइट को भी नहीं छोड़ा। कई लोगों को एफआइआर दर्ज होने के नाम पर धमकी देकर ब्लैकमेल कर चुके हैं।
Updated on:
30 Nov 2024 10:50 am
Published on:
30 Nov 2024 09:45 am
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