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पेंशन घोटाला, चार वैल्यूम की रिपोर्ट का अध्ययन करने एक बार और बैठेगी कैबिनेट कमेटी

- किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी पहलुओं का अध्ययन

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भोपाल। सामाजिक सुरक्षा पेंशन घोटाले रिपोर्ट की जांच के लिए कैबिनेट कमेटी की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में हुई। चार वेल्यूम में एक हजार से अधिक पन्नों की इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कमेटी एक बार और बैठेगी। यह बैठक 17 दिसम्बर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के पहले होगी।

मंत्रालय हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में वित्तमंत्री तरुण भनोत, पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया मौजूद रहे। पेंशन घोटाला में इंदौर नगर निगम घोटाला सबसे बड़ा है। यह घोटाला कैलाश विजयवर्गीय के महापौर कार्यकाल का है। बैठक के दौरान रिपोर्ट के एक-एक बिन्दु और अनुशंसाओं पर चर्चा हुई।

बताया गया कि राष्ट्रीयकृत बैंकों और डाकघर के जरिए पेंशन बांटने के बजाय सहकारी संस्थाओं के जरिए पेंशन बांट दी गई। इसी में बड़ा घोटाला हुआ। यह भी देखा गया कि पेंशन बांटने के नियम किसके कहने पर लिए गए। रिपोर्ट में जिन पर जिम्मेदारी तय की गई है वास्तव में वे जिम्मेदार हैं या फिर किसी को बचाने की कोशिश की गई है। इसको जांचने के लिए कमेटी एक बार बैठेगी।

सभी दोषियों के खिलाफ हो एक्शन, पेंशन में कटौती का निर्णय

सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के पेंशन से जुड़े मामलों पर मंत्रालय में एक अन्य कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने की। मंत्री सिंह ने निर्देश दिए कि वित्तीय अनियमितता करने वाले यदि किसी अधिकारी, कर्मचारी का रिटायरमेंट हो चुका है तो दण्ड स्वरूप उसकी पेंशन में कटौती की जाए। उन्होंने एलर्ट किया कि यह भी देख लिया जाए कि ऐसा न हो कि जूनियर को दण्डित कर सीनियर को छोड़ दिया जाए। जिसकी जिम्मेदारी बनती है उस पर एक्शन होना चाहिए।

बैठक में सहकारिता, महिला एवं बाल विकास, नगरीय प्रशासन आदि विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के पेंशन संबधी प्रकरण संबंधित विभागों के प्रमुख सचिवों ने कमेटी के समक्ष रखे। महिला बाल विकास विभाग के दो प्रकरणों में से एक प्रकरण में 10 प्रतिशत पेंशन 3 वर्ष के लिए रोके जाने का निर्णय लिया गया। दूसरे में दोष सिद्ध होने से पेंशन स्थाई रूप से रोके जाने का निर्णय लिया गया। सहकारिता विभाग के प्रकरण में संबंधित से सहकारी समिति को हुई क्षति की राशि 10 लाख रुपए वसूलने तथा पेंशन न रोके जाने का निर्णय लिया गया। वहीं नगरीय प्रशासन विभाग के प्रकरण में संबंधित की पेंशन स्थाई रूप से रोके जाने का निर्णय लिया गया।