
मैं और बहू लड़ेंगे चुनाव, टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय पर कांग्रेस में नहीं जाऊंगा: बाबूलाल गौर
भोपाल@हर्ष पचौरी की रिपोर्ट...
मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले गोविंदपुरा सीट को लेकर तमाम चर्चाओं के बाद आखिरकार ये सीट भाजपा की ओर से पूर्व सीएम बाबू लाल गौर की पुत्र वधु कृष्णा गौर को मिल गया है।
इससे पहले जब तक यह सीट रोकी गई थी तब तक कई तरह की चर्चाओं से क्षेत्र का माहौल गर्म बना हुआ था। इस दौरान खुद बाबूलाल गौर द्वारा लगातार विरोध में उतरने की बात भी चर्चाओं में थी।
वहीं अब कृष्णा गौर को टिकट मिल जाने के बाद विरोधी या वे लोग जो इस सीट से टिकट की आशा लगाए बैठे थे इसे बाबूलाल गौर की प्रेशर पॉलीटिक्स का कारण बता रहे हैं।
इन्हीं सब के बीच बाबूलाल गौर ने सारे आरोपों को नकारते हुए कहा है कि मैंने किसी प्रकार की प्रेशर पॉलीटिक्स नहीं की, मैंने तो बस पार्टी से आग्रह किया था, जो मान लिया गया। इसका कारण ये भी है कि जनता को हम पर भरोसा है।
एक ओर जहां जानकार तक इसे काफी हद तक प्रेशर पॉलीटिक्स का हिस्सा मान रहे हैं वहीं पत्रिका से चर्चा करते हुए पूर्व सीएम बाबूलाल गौर ने कहा कि कृष्णा गौर को प्रेशर पॉलिटिक्स के द्वारा टिकट नहीं मिला है। हमने पार्टी से आग्रह किया था और हमें पार्टी पर पूरा भरोसा था। साथ ही जनता पर भी पूरा भरोसा है।
गुरूवार को जारी हुई थी सूची....
मध्यप्रदेश में होने वाले चुनावों को देखते हुए गुरुवार को जारी हुई भाजपा की सूची में गोविंदपुरा की सीट से कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाया गया है। जिसके चलते इस सीट पर निगाह लगाए कई भाजपाइयों के नाराज होने की सूचना सामने आ रही है।
BJP कार्यालय में हुआ विरोध...
दरअसल इस सीट पर कृष्णा गौर को प्रत्याशी बनाए जाने की बात सामने आते ही कृष्णा गौर के विरोध मे तपन भौमिक के समर्थक BJP कार्यालय जा पहुंचे और विरोध करने लगे थे।
यहां उन्होंने भाजपा कार्यालय में वंशवाद हाय हाय और वंशवाद नहीं चलेगा नहीं चलेगा के नारे लगाए। इसके बाद बैठे तपन समर्थक धरने पर बैठ गए।
वहीं इससे पहले मप्र पर्यटन विकास निगम अध्यक्ष तपन भौमिक ने भोपाल की गोविंदपुरा सीट से यह कहते हुए दावा ठोका था कि मैं गौर का असली उत्तराधिकारी हूं। दरअसल चुनाव से पहले या यूं कहें टिकट घोषित होने से पहले चल रही खींचतान के बीच गोविंदपुरा सीट पर कईयों की नज़र लगी हुई थी।
ऐसे मिला कृष्णा गौर को टिकट!...
राजनीति के जानकारों की माने तो गोविंदपुरा जैसी हाईप्रोफाइल सीट को भाजपा किसी भी स्थिति में हारने को तैयार नहीं थी। ऐसे में बाबूलाल के विरोध में आने से भाजपा के लिए लगातार मुश्किलें बढ़ती जा रहीं थी, लेकिन भाजपा पूरी तरह से कमजोर भी नहीं दिखना चाहती थी इसी को लेकर टिकट कृष्णा गौर को दिया गया।
Published on:
09 Nov 2018 01:30 pm
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