
भोपाल. राज्य सरकार ने गरीबों, श्रमिकों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। योजना का लाभ उन्हें सीधे तौर पर मिल सके, इसलिए उनके खाते में राशि ट्रांसफर की जाती है। ऐसी एक योजना कॉपी वितरण योजना भी है, जिसका लाभ लेने हितग्राही श्रमिक को दाम चुकाने पड़ते हैं। इसके बावजूद सभी को लाभ नहीं मिल पाता।
खाते में राशि ट्रांसफर हो तो खजाने का बोझ भी होगा कम
योजना के तहत श्रमिकों के दो बच्चों को ही लाभ मिल सकता है। श्रमिकों को बच्चों के नाम और राशि कंपनी को देनी होती है। यह जानकारी संबंधित फैक्ट्री या उद्योग राज्य के कल्याण आयुक्त मप्र श्रम कल्याण मंडल भेजी जाती है। योजना का लाभ पहले आओ, पहले पाओ के तहत मिलता है। यानी जिनकी सूची पहले आ गई उसे इसका लाभ मिल जाता है और शेष को इनकार कर दिया जाता है। हितग्राही के खाते में राशि ट्रांसफर होने पर खजाने का बोझ भी कम होता है.
योजना का बजट दो करोड़ रुपए का है, लेकिन इससे ज्यादा ही खर्च होता है। प्रिंटिंग का खर्च अधिक है। निजी प्रिंटर से छपाई कराने विभाग टेंडर बुलाता है और फिर आर्डर दिए जाते हैं। ऐसे में दिक्कत सामने आती है. यही कारण है कि फैक्ट्री आदि में कार्यरत संगठित श्रेत्र के श्रमिकों के बच्चों को रियायती दर पर कॉपी मुहैया कराने की इस कॉपी वितरण योजना की समीक्षा की मांग उठने लगी है।
योजना की खामियां
हितग्राही को समय पर कॉपी न मिलने पर आश्वासन ही दिया जाता है। ऐसे में वे न तो बाजार से कॉपी खरीद पाते हैं और न ही उन्हें समय पर इसका लाभ मिलता है। कई बार आधा सत्र बीतने के बाद उन्हें लाभ मिला। ऐसे में उन्हें मजबूरी में बाजार दर पर कॉपी, रजिस्टर खरीदना पड़तीं हैं। अफसरशाही हितग्राही के खाते में राशि देने को तैयार नहीं। आखिरकार फिर वही पुरानी प्रक्रिया काम शुरू हो गया।
Published on:
20 Dec 2021 10:24 am
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