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जेल में बैठकर बंदी ने किया साइबर क्राइम, बैरक की टीवी में देखता था वेबसीरीज

उसने जेल अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया था....

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भोपाल। यह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है कि जेल में बैठे बंदी ने न केवल साइबर क्राइम किया, बल्कि उसे इसके लिए वे सारी सुविधाएं भी मिलीं जो बाहर संभव नहीं था। इसके बाद उज्जैन केंद्रीय जेल में साइबर फ्रॉड और धोखाधड़ी के मामले में 15 फरवरी 2018 से बंद बीड़ (महाराष्ट्र) निवासी 28 वर्षीय अमर अग्रवाल को नौ अक्टूबर को भोपाल जेल में ट्रांसफर किया गया। बंदी ने कोर्ट, डीजीपी और जेल डीजी से शिकायत की थी कि जेल में उसे प्रताड़ित किया जा रहा है और साइबर हैकिंग के जरिए रुपयों की मांग की जा रही है। इसमें उसने जेल अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया था।

इधर, उज्जैन जेल प्रशासन के मुताबिक अमर अग्रवाल और जेल के कुछ अधिकारियों और प्रहरियों की मिलीभगत सामने आई थी। इसके बाद सख्ती बरती गई तो अमर ने शिकायत की। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जांच का जिम्मा साइबर सेल को सौंपा गया है। साइबर सेल ने एफआइआर दर्ज कर एसपी रियाज इकबाल की अगुवाई में एसआइटी गठित की है। जेल अधिकारी और प्रहरी जांच के दायरे में बंदी को जेल में लैपटॉप समेत अन्य डिवाइस मुहैया कराने और हैकिंग या अन्य साइबर अपराध के जरिए प्रहरियों के बैंक खातों में रुपए जमा कराने के मामले में जेलर समेत एक महिला और एक पुरुष प्रहरी और अन्य जेल अधिकारी जांच के दायरे में हैं। राज्य साइबर सेल इन सभी के बैंक खातों को खंगाल रही है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस मामले में बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है।

यह है पूरा मामला

फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले बंदी अमर खुद को इंटरनेशल हैकर बताता था। उसने लैपटॉप-इंटरनेट के जरिए कुछ ही देर में एक प्रहरी के बैंक खाते में लाखों रुपए ट्रांसफर कराए। जेल के एक आला अधिकारी ने अमर से टीपू सुल्तान पर अंग्रेजी में किताब लिखवाने के लिए संपर्क किया। बंदी को केबिन भी मुहैया कराया जाता था।

बैरक की टीवी में देखता था वेबसीरीज

अगर को जेल में मिल रहे वीआइपी ट्रीटमेंट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बैरक में लगी टीवी में वह वेबसीरीज देखता था। आरोपी अमर के कई नाम है। इनमें से एक श्रीकृष्ण केशकर और दूसरा अभिजीत मदने है। उसे उज्जैन था। वह सूरत में किए गए ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में भी जेल में रह चुका है।

योगेश देशमुख, एडीजी, राज्य साइबर सेल का कहना है कि इस मामले में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई है। इसके लिए एसआइटी का गठन किया गया है।

अरविंद कुमार, डीजी जेल का कहना है किजेल में इंटरनेट व अन्य डिवाइस की उपलब्धता समेत जेल अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच करवाई जाएगी। जांच राज्य साइबर सेल कर रही है।