आधुनिक विषयों के अन्तर्सम्बन्धों पर भी शोध होना चाहिए
भोपाल। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के आधुनिक विषय विभाग द्वारा 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में संत साहित्य की उपादेयता' विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो नन्दकिशोर पाण्डेय, अधिष्ठाता, कला संकाय तथा निदेशक, शोध राजस्थान विवि जयपुर थे। वेविनार में बिहार, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि के विद्वानों व शोधकर्ताओं ने अपने-अपने शोधपत्रों का वाचन किया। कुल 170 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। मुख्य अतिथि प्रो पाण्डेय ने वर्तमान समय में साहित्य को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा की। उनका मानना था कि सभी बच्चों को पुस्तकों का सानिध्य मिलना ही चाहिए। सारस्वत अतिथि प्रो शिशिर कुमार पाण्डेय ने कहा कि आधुनिक विषयों के अन्तर्सम्बन्धों पर भी शोध होना चाहिए। हम किसी भी एक काल को उसके आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक सभी बिन्दुओं के आधार पर परखते हैं। यह सभी पक्ष एक-दूसरे को किस प्रकार प्रभावित करते हैं यह भी महत्वपूर्ण है। सत्राध्यक्ष प्रो जे भानुमूर्ति ने कहा कि महामारी के काल में सभी ने किसी ना किसी प्रकार की परेशानी का अनुभव किया है। यह पता चला है कि समस्याएं किस किस प्रकार से मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। शोधकर्ताओं को चाहिए कि वे विभिन्न विषयों पर आधारित ऐसे शोध करें जिनमें समस्याओं का हल मिलता हो। इस काल को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इस चुनौती पर विजय प्राप्त करना ही लक्ष्य होना चाहिए।