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बड़ा खुलासा: देव आनन्द को हो गया था अपनी मौत का आभास, पढ़ें पूरी खबर

30 रुपए लेकर बॉलीवुड में हीरो बनने आया था ये एक्टर...

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bollywood actor dev anand death anniversary

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अशोक मनवानी
भोपाल। अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में जन्में धरमदेव पिशोरीमल आनन्द ने अभिनय, फिल्म निर्माण और निर्देशन तीन क्षेत्रों में हाथ आजमाया लेकिन वे सबसे ज्यादा अभिनय में ही कामयाबी पा सके। फिल्म 'हम दोनों' जिसमें देव आनन्द दोहरी भूमिका में थे, अपनी यादगार फिल्मों में शामिल करते थे। इस फिल्म में साधना और नंदा दो अभिनेत्रियां थीं। वर्ष 1961 के 50 बरस बाद वर्ष 2011 में उनके लिए हम दोनों की रंगीन फिल्म का निर्माण एक अनोखा अनुभव रहा। दरअसल देव आनन्द हम दोनों में भावनात्मक रूप से जुड़े थे। यह श्वेत श्याम फिल्म जब बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में ले जाई गई थी तब फिल्म की दोनों अभिनेत्रियां साधना और नंदा उनके साथ समारोह में शामिल हुईं। देव आनन्द ने वर्ष 2007 में प्रकाशित अपनी आत्म कथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में इसका सविस्तार जिक्र किया है। बर्लिन फिल्म फेस्टिवल की यादों को उन्होंने अपनी पुस्तक में काफी स्थान दिया है।

ये थी उनकी लोकप्रिय फिल्में

वर्ष 1945 में फ़िल्म 'हम एक हैं' से उनका अभिनय शुरू हुआ। वे साल 2005 तक 60 साल तक अभिनय की पारी खेलते रहे। देव आनन्द की विशेषता यह थी कि वे अनेक फिल्मों में नई और अपनी आयु से काफी कम आयु की अभिनेत्रियों के साथ आए। शुरूआती दौर में सुरैया, शीला रमानी, वहीदा रहमान , साधना, वैजयंती माला, नंदा, जीनत अमान और मुमताज उनकी अभिनेत्रियां रहीं। इसके बाद टीना मुनीम के साथ देस परदेस फिल्म काफी चर्चित रही। देव आनन्द की बहुत लोकप्रिय फिल्मों में जिद्दी काला पानी, टेक्सी ड्राईवर, गाइड, ज्वेल थीफ, मुनीम जी, सी.आई.डी., पेइंग गेस्ट, असली नकली,हरे राम हरे कृष्णा, जॉनी मेरा नाम आदि शामिल हैं। साजन की गलियां उनकी अप्रदर्शित फ़िल्म है। इसमें मोहम्मद रफी का सुंदर गीत था-हमने जिनके ख़्वाब सजाए ,आज वो मेरे सामने है...। देव-साधना की लोकप्रिय जोड़ी थी इस फ़िल्म में। कभी यू ट्यूब पर आप इस फ़िल्म के गीत देखेंगे तो वही देव साहब की स्टाइल 'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया...' याद आ जायेगी।

स्टाइल हो गई हिट

इंग्लिश लिटरेचर में लाहौर से ग्रेजुएट देव आनन्द को भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मभूषण और फालके अवार्ड से सम्मानित किया गया है। खास बात यह है कि एक जमाने में हर भारतीय युवक देव आनन्द की स्टाइल का मुरीद हो गया था। उनकी रोमांटिक छवि के दीवाने बहुत थे।

भोपाल भी आए थे देव आनंद

मध्यप्रदेश के भोपाल नगर में 1997 में देव आनन्द अपने प्रशंसक राजेश ऊधवानी गाइड के आमंत्रण पर आए थे। तब लाल परेड ग्राउण्ड पर राजधानी वासियों ने उनका हृदय से स्वागत किया था। ऐसा बताते हैं कि देव आनन्द को अपनी मौत का आभास हो गया था। इसको जानने के बाद वह अंतिम समय बिताने इंग्लैंड चले गए थे, जहां 88 बरस की आयु में उन्होंने तीन दिसंबर 2011 को आखिरी सांस ली।

नहीं रास आई राजनीति

आज जब बॉलीवुड में अनेक नए अभिनेता एंट्री ले रहे हैं और साल में दस-पन्द्रह फिल्में तक हथिया लेना चाहते हैं तब देव आनन्द जैसे अभिनेता याद आते हैं जो फिल्म निर्माता से पूरी पटकथा और अपनी भूमिका जानने के बाद फिल्म में काम करने का फैसला लेते थे। देश में आपातकाल के दौर में तत्कालीन हालातों से खिन्न देव आनन्द के मन में एक राजनैतिक दल बनाने का विचार आया था जिसे उन्होंने क्रियान्वित भी किया। हालांकि राजनीति उन्हें रास नहीं आती थी।

ये है देव आनंद की असल कामयाबी

भारतीय सिनेमा में स्वत्रंतता के बाद सबसे ज्यादा कामयाब दस अभिनेताओं में देव आनन्द शुमार थे। उन्होंने आधी शताब्दी तक बड़े पर्दे पर सम्मानजनक स्थान बनाया। आज भी जब उन पर फिल्माया कोई यादगार गीत या उनकी अभिनीत फिल्मे टी.वी. चैनल्स पर आती है, चालीस-पैंतालिस वर्ष से अधिक आयु वाले दर्शकों के हाथ में चेनल बदलता रिमोट वहीं थम जाता है और वे आधी-अधूरी ही सही देव आनन्द की फिल्म जरूर देखना चाहते हैं। यही देव आनन्द की असल कामयाबी है।