
सीएम मोहन ने किया अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ (Photo Source- Patrika)
International Forest Fair : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुधवार को राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान पहुंचकर अंतर्राष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा- 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश में वन संपदा एवं वन्य जीवों का संरक्षण करते हुए राज्य सरकार लगातार विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है। पीएम मोदी ने आयुर्वेद को अपनाकर उसे बढ़ावा दिया है। भारतीय संस्कृति में वन एवं पेड़ों के संरक्षण की परंपरा रही है। सीएम ने कहा- जल्द ही राज्य में गैंडे और जिराफ भी लाए जाएंगे।
शहर में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय वन मेला इसे आगे बढ़ा रहा है। वन मेले का पूरे प्रदेश को इंतजार रहता है। यहां आयुर्वेदिक उत्पादों के 350 से अधिक स्टॉल्स लगाए गए हैं। यही नहीं, यहां 80 आयुर्वेदिक डॉक्टर और 100 से ज्यादा वैद्य आमजन को निःशुल्क परामर्श दे रहे हैं।
राज्य सरकार प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों, जिला यूनियनों एवं अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। तेंदुपत्ता सहित अन्य वनोपज का संग्रहण करने वालों को इन पर बोनस देकर आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। प्रदेश सरकार ने ट्राईफेड के माध्यम से 32 लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 25 प्रतिशत की वृद्धि की जा रही है। प्रदेश सरकार वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए राष्ट्रीय उद्यानों व अभयारण्य की संख्या बढ़ा रही है। वर्ष 2026 में रानी दुर्गावती के नाम पर बनने जा रहे नौरादेही अभयारण्य में चीतों को बसाया जाएगा। मध्यप्रदेश में शीघ्र ही जंगली गैंडे और जिराफ लाये जायेंगे।
सीएम मोहन ने भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की और विंध्या हर्बल समेत कई स्टॉलों का अवलोकन कर औषधि एवं हर्बल उत्पादों की जानकारी ली। कार्यक्रम के दौरान सीएम मोहन को रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लघु वनोपज को प्रोत्साहित करने वाले गीत 'लघु वनोपज हमारी शान' का विमोचन किया। साथ ही, विंध्या हर्बल के नए लोगो और विभिन्न उत्पादों से सुसज्जित वेलनेस किट का औपचारिक विमोचन भी किया।
सीएम ने कहा, आज लघु वनोपज के कई उत्पाद बाजार में मिल रहे हैं। जब एलोपैथिक दवाएं आराम न दें तो लोग आयुर्वेद की शरण में जाते हैं। हमारे घर-घर में आयुर्वेदिक नुस्खों का भंडार है। मौजूदा परिदृश्य में मेडिकल साइंस तो प्रशंसनीय है, लेकिन आयुर्वेद उत्पादों का भी अपना अलग महत्व है। कोरोनाकाल में आयुर्वेदिक काढ़ा दुनिया के लिए अमृत के समान साबित हुआ। हमारी सरकार भी आयुर्वेद चिकित्सा एवं योग को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है। प्रदेश में पहले सिर्फ 7 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय थे, पिछले एक साल में हमने 8 नए शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोले हैं।
Published on:
18 Dec 2025 08:32 am
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