
भोपाल . प्रधानमंत्री मोदी ( Narendra Modi ) से लेकर उनके मंत्री तक जब स्वच्छता अभियान की शुरुआत हुई तो सड़क से लेकर टॉयलेट तक साफ-सफाई करते नजर आए। पीएम मोदी स्वच्छ भारत अभियान के कार्यक्रमों में झाड़ू लगाते नजर आते हैं। दिल्ली में तो कई सांसद टॉयलेट की भी सफाई की थी। लेकिन भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ( Sadhvi Pragya ) तो पब्लिक को बोल रही हैं कि मैं नाली और शौचालय की सफाई करवाने के लिए सांसद नहीं बनी हूं।
दरअसल, सीहोर पहुंची साध्वी प्रज्ञा बोलीं कि मैं जिस काम के लिए सांसद बनी हूं, वो काम करवाइए न। मैं नाली और शौचालय साफ करवाने के लिए थोड़े ही न सांसद बनी हूं। मैं आपकी समस्याओं को सुनूंगी और लोकसभा में जाकर उठाऊंगी। देश के कई ऐसे सांसद हैं जो पंद्रह साल से हैं, लेकिन संसद में एक भी सवाल नहीं पूंछे हैं। तो क्या आप ऐसा सांसद चाहते हैं। साध्वी ने कहा कि मैं नाली साफ करने के लिए नहीं बनूं। हम आपके शौचालय साफ करने के लिए नहीं बनाए गए हैं। हम जिस काम के लिए बने हैं, वो काम ईमानदारी से करेंगे। ये हमारा पहले भी कहना था और करना है और आगे भी करेंगे।
क्या मोदी पर तंज था?
सांसद साध्वी प्रज्ञा के इस बयान के मायने भी निकलने शुरू हो गए हैं। क्या पीएम मोदी जिस स्वच्छ भारत मिशन को लेकर इतनी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। क्या साध्वी ने उन्हीं को टारगेट करने के लिए यह बयान दिया है। क्योंकि पीएम मोदी साध्वी प्रज्ञा से नाथूराम गोडसे वाले बयान को लेकर नाराज चल रहे हैं। मोदी सरकार स्वच्छ भारत अभियान पर करोड़ों रुपये की राशि खर्च कर रही है। साथ ही जागरूकता फैलाने के लिए आए दिन अधिकारी और सांसद खुद सफाई करते नजर आ जाते हैं। ऐसे में साध्वी की यह बात किसके लिए हैं।
अलग-थलग महसूस करती हैं साध्वी
नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने के बाद से ही भोपाल की सांसद बीजेपी में खुद को अलग-थलग महसूस करती हैं। पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें न तो कोई सार्वजनिक कार्यक्रम में बुलाते हैं। न ही मेल जोल रख रहे हैं। एनडीए सांसदों की बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी ने साध्वी प्रज्ञा की अनदेखी की थी। क्योंकि पीएम मोदी ने साध्वी प्रज्ञा के बयान को लेकर कहा था कि मैं उन्हें कभी माफ नहीं करूंगा। क्योंकि उन्होंने घोर अपमानजनकर बयान दिया है।
विवादों से पुराना नाता
दरअसल, साध्वी प्रज्ञा मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी हैं। जब बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया उसके बाद से ही विवादों में हैं। लेकिन मुंबई एटीएस के चीफ रहे हेमंत करकरे के ऊपर बयान देकर वो और चर्चा में आ गईं। बाद में उन्होंने माफी जरूर मांगी लेकिन बीजेपी ने भी साफ कर दिया कि पार्टी इनके बयानों से इतेफाक नहीं रखती है। फिर नाथूराम गोडसे वाले बयान से भी बीजेपी की काफी किरकिरी हुई।
शपथ के दौरान भी हुआ था विवाद
साध्वी प्रज्ञा जब लोकसभा में शपथ ले रही थीं, तब उनके नाम को लेकर विरोधी सदस्यों ने आपत्ति जताई थी। आपत्ति इस बात को लेकर थी कि वो अपना संन्यास वाली नाम ले रही थीं। बात में लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर ने उनके कागजातों की जांच की फिर वह तीसरी बार में शपथ ले पाईं। वो भी ईश्वर के नाम की शपथ लीं।
Updated on:
21 Jul 2019 10:17 pm
Published on:
21 Jul 2019 05:34 pm
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