
Sawan Somvar: सावन की बारिश में धुलकर नया और हरा-भरा हो जाता है तिलक सिंदूर महादेव मंदिर।
Sawan Somvar 2024: मध्य प्रदेश के इटारसी शहर से 20 किलोमीटर दूर स्थित सतपुड़ा की खूबसूरत हरी-भरी वादियों में पहाड़ों के बीच है भगवान शिव का अनूठा शिवालय तिलक सिंदूर धाम मंदिर। इस शिवालय की खासियत ये भी है कि यहां भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इसी वजह से इसका नाम भी तिलक सिंदूर धाम पड़ा है।
किंवदंती है कि इसी स्थान पर भगवान गणेश ने सिंदूरी नामक राक्षस का वध किया था, और उसके सिंदूरी रक्त से भगवान शिव का अभिषेक किया गया था। तभी से यहां भगवान शिव का सिंदूर से अभिषेक किया जाता है। मान्यता यह भी है कि मंदिर का संबंध गौड़ जनजाति से है। आदिवासी पूजा अर्चना के दौरान सिंदूर का उपयोग करते हैं।
पौराणिक कथा के मुताबिक भस्मासुर ने कड़ी तपस्या कर भगवान शंकर को प्रसन्न किया था। इसके बाद भगवान शिव ने भस्मासुर को यह वरदान दिया था कि तुम जिसके सिर पर हाथ रखोगे वह भस्म हो जाएगा। अब भस्मासुर को लगा कि शिव ने जो वरदान दिया है क्यों न उसे आजमाया जाए।
इसका परीक्षण करने के लिए भस्मासुर ने शिव के सिर पर ही हाथ रखने को कहा। भस्मासुर की इस इच्छा से भोलेनाथ घबराकर वहां से भागे और सतपुड़ा के घने पहाड़ों और जंगलों के बीच इसी गुफा में एक लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
कथा के मुताबिक अपने को लिंग रूप में स्थापित करने के बाद भगवान शिव ने खुद को छिपाने के लिए सिंदूर का लेप भी कर लिया। फिर पास ही एक गुफा में बरसों तक रुके रहे। इसी दौरान उन्होंने उस गुफा से पचमढ़ी जाने के लिए एक सुरंग का निर्माण किया था। यहीं से वे पचमढ़ी के जटाशंकर में जाकर छुपे थे।
मान्यताओं के अनुसार आज भी यहां वह सुरंग मौजूद है, जो पचमढ़ी तक पहुंचती है। यहां पहुंचने वाले लोग इस गुफा के दर्शन भी करते हैं।
मध्य प्रदेश की सतपुड़ा की पहाडिय़ों पर पचमढ़ी से टिमरनी के बीच गौंड़ राजाओं का राज्य था। इन राजाओं ने ही तिलकसिंदूर में शिवालय की स्थापना की थी। गौंड़ जनजाति बड़े देव को मानते हैं, इसलिए तिलकसिंदूर में भगवान शिव को बड़े देव का कहा जाता है।
जमानी गांव में रहने वाले हेमंत दुबे बताते हैं कि तिलकसिंदूर तांत्रिक साधनाओं के लिए भी जाना जाता है। भवानी अष्टक में तिलक वन का के जिक्र को भी तिलक सिंदूर से जोड़कर देखा जाता है।
सावन के महीने में आम शिवालयों की तरह यहां भी सावन सोमवार (Sawan Somvar 2024) पर भक्तों की भीड़ लगती है। सावन के हर सोमवार को मेलों का आयोजन किया जाता है। वहीं शिवरात्रि पर भी यहां मेला लगता है। मान्यता है कि यहां आन वाले हर भक्त को शिव का आशीर्वाद जरूर मिलता है।
Updated on:
11 Jul 2024 12:02 pm
Published on:
11 Jul 2024 11:32 am
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