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बच्चे कर रहे ऑनलाइन पढ़ाई, ऑफलाइन परीक्षा कराने पर अड़े स्कूल

- कक्षाएं 50 फीसदी क्षमता से लगाने की अनुमति, प्राथमिक कक्षाओं में उपस्थिति 10 फीसदी तक ही,फिर कैसे होंगीऑफलाइन परीक्षाएं - अभिभावक बोले पहली से आठवीं कक्षा तक ऑनलाइन ही ली जाए परीक्षा, बडी कक्षाओं के विद्यार्थियों को ही बुलाकर लें परीक्षा

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भोपाल. तीसरी लहर का पीक गुजर जाने की स्थिति आ जाने के आधार पर राज्य सरकार ने 50 फीसदी क्षमता के साथ स्कूल खोल दिए हैं। अनुमति भले ही 50 फीसदी की हो लेकिन कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति इससे भी कम है। सबसे कम उपस्थिति प्राथमिक कक्षाओं में है। जहां बमुश्किल 10 फीसदी बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे है। लेकिन इसके बावजूद निजी स्कूल उच्च कक्षाओं के साथ-साथ प्राथमिक कक्षाओं की परीक्षाएं भी ऑफलाइन कराने पर अड़े हुए हैं। अभिभावकों को लगातार इसकी जानकारी देकर बच्चों को परीक्षाओं मेंभेजने का दबाव बनाया जा रहाहै। इसके चलते अभिभावकों में नाराजगी है।

ऑनलाइन ही हो प्राथमिक कक्षाओं की परीक्षाएं
अभिभावकों का कहना है कि, तीसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है और केस भी पूरी तरह कम नहीं होकर घट-बढ़ रहे हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहींकिया जा सकता। बोर्ड की कक्षाओं सहित नवमी और 11 वीं की बड़ी कक्षाओं में ऑफलाइन परीक्षाएं जरूर कराई जाएं लेकिन प्राथमिक-माध्यमिक कक्षाओं की परीक्षाएं ऑनलाइन ही हो।

वैक्सीन का कवच भी नहीं कैसे भेज दें?

अभिभावकों और जानकारों का कहना है कि, पहली से आठवीं तक के छोटे बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे हैं और इनके पास वैक्सीन की सुरक्षा भी नहीं है, उन्हें पूरी 100 फीसदी क्षमता से परीक्षा के लिए कैसे बुलाया जा सकता है। इसमें भी पहली से पांचवी तक के बिल्कुल छोटे बच्चे तो सोशल डिस्टेसिंग और मास्क हमेशा लगाने की सुरक्षा भी नहीं अपना सकते है, इसलिए इस सम्बंध में स्कूलों को विकल्प देना ही चाहिए।

कोई स्पष्ट निर्देश नहीं
स्कूल ऑनलाइन परीक्षा लें या ऑफलाइन परीक्षा ही लेंगे, इस सम्बंध में अब तक राज्य सरकार या स्कूल शिक्षा विभाग ने कोई निर्देश नहीं निकाले हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस सम्बंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं होने के चलते कुछ भी कहने से बच रहे हैं। ऐसे में कुछ ही दिनों में शुरू होने जा रही परीक्षाओं को लेकर गफलत की स्थिति बन गई है।

सरकार ने तीसरी लहर खत्म होने के पहले ही जल्दबाजी में स्कूल खोलने का निर्णय ले लिया। 50 फीसदी क्षमता की बात कही गई हो लेकिन छोटी कक्षाओं में उपस्थिति 10 फीसदी भी नहीं है। प्राथमिक-माध्यमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों के पास वैक्सीन की सुरक्षा भी नहीं है। ऐसे हालातों में सबको स्कूल बुलाकर परीक्षा कैसे ली जा सकती है? अभिभावकांकी मांग है कि प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं तक की परीक्षा ऑनलाइन ही ली जाए।

प्रबोध पंड्या , महासचिव पालक महासंघ