इन लोगों ने महिला बाल विकास विभाग में डेढ़ माह पूर्व सम्पर्क भी किया। विभाग ने अपने स्तर से 57 बच्चों के स्कूल और कॉलेज में फीस माफ करने के लिए पत्र भी स्कूल शिक्षा विभाग को लिखा, लेकिन सरकारी सिस्टम में फीस उलझ गई है। अगर जल्द ही सरकार ने इन बच्चों की स्कूल फीस की व्यवस्था नहीं की तो इनके भविष्य पर संकट खड़ा हो सकता है।
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बुआ ने भरी 58 हजार रुपए फीस
इशिका उम्र 20 और अक्षिता उम्र 16 वर्ष। दोनों बच्चियां पढ़ाई में होशियार हैं। कोरोना की दूसरी लहर में माता-पिता का साया छिन गया। बुआ कल्पना शुक्ला दोनों बच्चियों की देखभाल कर रही हैं। वे खुद आरटीओ से रिटायर्ड हैं, नौ माह गुजरने के बाद भी उनको फंड और पेंशन मिलना शुरू नहीं हुआ। कल्पना ने बताया उन्होंने महिला बाल विकास विभाग में सम्पर्क साधा था, लेकिन व्यवस्था नहीं हुई। उन्होंने दोनों की 58 हजार फीस भरी है। इशिका की बीबीए की पढ़ाई पूरी होने वाली है, अगर उसकी नौकरी लग जाए तो बहुत बड़ा सहारा हो जाएगा।
चचेरे नाना ने 11 हजार जमा कर दाखिला कराया
रूही और माही दोनों बहनों की उम्र 6 साल है। कोरोना की दूसरी लहर में बच्चियों के माता-पिता नहीं रहे। इनकी देखभाल अब इनके चचेरे नाना मुकेश रैकवार करते हैं। उन्होंने बताया कि, सरकार की तरफ से हर माह पांच-पांच हजार रुपए और राशन मिल जाता है। लेकिन, स्कूल फीस भरने को लेकर अभी तक किसी ने सम्पर्क नहीं किया। करीब डेढ़ माह पूर्व केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन के लिए जरूर फोन आया था। इसके बाद वह फोन भी आना बंद हो गया। उन्होंने ही एक निजी स्कूल में 11 हजार रुपए की फीस भरकर दोनों बच्चियों का कक्षा एक में दाखिला कराया है।
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मजबूर बच्चे विभाग ही पहुंच रहे
वहीं, कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी फीस न भर पाने के कारण स्कूल संचालकों ने उनके एडमिट कार्ड तक रोक रखे हैं। चार-चार हजार रुपए फीस के लिए स्कूल उनको परेशान कर रहे हैं। ऐसी एक छात्रा कलेक्टोरेट स्थित महिला बाल विकास विभाग ही पहुंच गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी योगेंद्र यादव ने उसकी फीस के संबंध में उच्च अफसरों से चर्चा के बाद छात्रा को भरोसा दिलाया कि जल्द ही उसकी फीस भर जाएगी। तब कहीं जाकर वह बच्ची वापस लौटी। इसी प्रकार कोलार में एक ही परिवार के तीन बच्चों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। अधिकारी इनकी रिपोर्ट बनाकर उच्च स्तर पर प्रस्तुत कर चुके हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
इस संबंध में अधिकारी, महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी योगेंद्र यादव का कहना है कि, हमनें अपने स्तर से 57 बच्चों की स्कूल और कॉलेज फीस माफ करने के लिए गत शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है। अभी तक किसी की फीस माफ नहीं हुई। इस संबंध में उच्च अधिकारियों से आज चर्चा करेंगे।
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