SEIAA officers dispute: सिया में चेयरमैन और अफसरों के बीच ढाई महीने से तकरार जारी है। प्रोजेक्ट अटके, आरोप गंभीर। अब सीएम मोहन यादव के दखल से हल की उम्मीद बढ़ गई है। विदेश दौरे से लौटने के बाद वह इस मामले को बड़ा निर्णय ले सकते है। (corruption allegation)
SEIAA officers dispute: स्टेट एन्वायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के चेयरमैन व अफसरों के बीच ढ़ाई महीने से चल रहे विवाद और उसकी एक-एक नस से राज्य व केंद्र के जिम्मेदार अफसर वाकिफ है लेकिन कार्रवाई की पहल किसी भी स्तर से नहीं हो रही है। नतीजा सिया से मिलने वाली पर्यावरणीय अनुमति से जुड़े कई सरकारी व निजी प्रोजेक्ट लंबित है। यही नहीं, जनमानस में छवि भी भ्रष्टाचार वाली बन रही है। अब उम्मीद है कि रविवार को विदेश यात्रा से लौट रहे सीएम डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) के हस्तक्षेप के बाद मामले का पटाक्षेप हो।
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे प्रोजेक्ट जो सिया में पर्यावरणीय अनुमति के लिए किए जाते हैं,लेकिन उन पर 45 दिन के भीतर कार्रवाई कर अनुमति जारी नहीं की जाती। उन्हें सैक पूरी तरह निरस्त नहीं करते हुए कुछ शर्तें लगाकर सिया की ओर प्रेषित करती हैं। ऐसे प्रकरणों में नियमों के तहत डीम्ड अनुमतियां जारी होती हैं जो कि सदस्य सचिव आर. उमा महेश्वरी के अवकाश पर होने के दौरान तत्कालीन प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला ने पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी के संज्ञान से आगे बढ़ाया था। यदि सैक शतों के साथ अनुशंसा की बजाए आपत्ति लगाती, तब किसी भी स्तर से डीम्ड अनुमति नहीं होती और प्रोजेक्ट पुन: प्रकरण में चले जाते।
सदस्य सचिव उमा महेश्वरी ने आरोप लगाए कि लैपटॉप व कक्ष की मांग करते हैं। एजेंडा घर पहुंचाने का दबाव डालते हैं। बैठक में कुछ कहते हैं और बाद में निर्णय पलट देते हैं। एक जैसे प्रकरणों में भी भिन्न-भिन्न निर्णय देते हैं। सेवानिवृत्त आइएएस हैं। वे सीधे भ्रष्टाचार की मंशा से काम करते हैं।- नवनीत एम. कोठारी, प्रमुख सचिव (पर्यावरण)
आर. उमा महेश्वरी, सदस्य सचिव (सिया) ने कहा कि चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान (chairman shivnarayan singh chauhan) ने पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी और तत्कालीन प्रभारी सदस्य सचिव श्रीमन शुक्ला पर नियमों के विरुद्ध प्रोजेक्टों को पर्यावरणीय अनुमति देने के आरोप लगाए।
चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने गैर कानूनी काम करने, दस्तावेजों में हेराफेरी करने, बैठकें नहीं कराने के आरोप लगाए। उन्होंने इन आरोपों पर राज्य व केंद्र के अफसरों को भी पत्र लिखकर जानकारी दी। वहीं दफ्तर में तालाबंदी कर उन्हें बेदखल करने, परेशान करने की शिकायत भी कर चुके हैं।
सिया की 6 महीने में 21 बैठकें हो चुकी हैं, इनमें 57 प्रोजेक्टों को पर्यावरणीय अनुमति मिली है। इसके अलावा 45 दिन की अवधि में आने वाले 237 प्रकरणों को विशेष शर्तों के तहत अनुमति हुई। इस तरह 6 महीने में 294 प्रकरणों को अनुमति हुई है।