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चूहे से इस बच्ची को था इतना लगाव कि उसकी मौत पर खुद भी दे दी जान

काफी देर तक दरवाजा नहीं खोलने पर उन्होंने पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा और फंदा काट कर शव नीचे उतारा।

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suicide of little girl for Rat

भोपाल। किसी भी जीव के साथ कुछ समय तक रहने के चलते उससे लगाव हो जाना एक सामान्य सी बात है। ऐसे में उस जीव की मौत हो जाना उससे जुड़े हर किसी को गमगीन कर जाता है। लोग घरों में डॉग्स सहित कई प्रकार के घरेलू जानवर पालते हैं।

जिनसे उन्हें काफी लगाव भी हो जाता है, ऐसे में उनको लगी हल्की सी चोट भी हमें परेशान कर देती है। वहीं यदि उसकी मौत हो जाए तो सभी काफी समय तक उसकी याद में परेशान रहते हैं। लेकिन भोपाल में ऐसा ही एक अजीब मामला सामने आया है, जहां एक 7वीं की छात्रा अपने पालतू चूहे की मौत से इस कदर दुखी हुई की उसने खुद भी आत्महत्या जैसा कदम तक उठा लिया।

इससे पहले छात्रा ने चूहे की मौत के बाद उसे पार्क में दफनाया और श्रद्धांजलि देकर घर आकर कमरे में जाकर मौत को गले लगा लिया। पुलिस को घटना स्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। परिजनों का संदेह कि छात्रा ने डिप्रेशन में आकर आत्मघाती कदम उठाया होगा।

ऐसे समझें पूरा मामला...
पुलिस के मुताबिक, मूलत: राजगढ़ निवासी महेन्द्र सिंह राठौर बड़े किसान हैं, साथ ही मोबाइल टावर मेंटेनेंस का काम करते हैं। उनकी पत्नी वसुंधरा गृहिणी हैं। वंसुधरा अपनी 12 वर्षीय बेटी दिव्यांशी, 9 वर्षीय प्रियदर्शिनी और 7 वर्षीय बेटे सूर्यवर्धन को पढ़ाने के लिए सुरभि विहार, अयोध्या नगर मेंं किराए के मकान में रह रही हैं।

दिव्यांशी शहर के एक नामी स्कूल में सातवीं में पढ़ती थी। शुक्रवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे दिव्यांशी अपने कमरे में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली।
घटना का खुलासा तब हुआ जब मां उसे कमरे में देखने पहुंची। काफी देर तक दरवाजा नहीं खोलने पर उन्होंने पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा और फंदा काट कर शव नीचे उतारा। तब तक काफी देर हो चुकी थी।

दिव्यांशी को चूहे से था बहुत लगाव :
पुलिस का कहना है कि चार दिन पहले ही दिव्यांशी के पिता बच्चों की जिद पर एक सफेद चूहा लेकर घर आए थे। चंद दिनों में ही दिव्यांशी का चूहे से अधिक लगाव हो गया। वह उसका हर वक्त ख्याल रखती थी। स्कूल से लौटने के बाद मां से सबसे पहले चूहे का दिनभर का हाल-चाल पूछती थी।

अधिकतर वक्त वह चूहे के साथ ही बिताती थी। शुक्रवार सुबह अचानक चूहे की मौत हो गई। इसके बाद से वह काफी दुखी थी। इससे पहले उसके एक पालतू कुत्ते की मौत हुई थी। तब भी वह उदास रहती थी।

दुखी मन से पार्क में दफनाया:
चूहे की मौत के बाद दिव्यांशी ने शव को फेंकने के लिए छोटी बेटी को कहा। इस पर दिव्यांशी ने मां को रोका। उसने दुखी मन से रोते हुए अपने पालतू चूहे को घर के सामने पार्क में दफनाया। कब्र पर फूल रखकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद अपने कमरे में चली गई।

थाना प्रभारी बलजीत सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया कि चूहे की मौत के बाद दिव्यांशी डिप्रेशन में आ गई थी। वह काफी भावुक थी। चूहे को दफनाते हुए काफी रो रही थी। हालांकि सुसाइड नोट नहीं मिलने से आत्महत्या की असल वजह नहीं पता चल सकी। दिव्यांशी के पिता महेन्द्र सिंह ने कहा कि बेटी जानवरों से काफी जुड़ी थी।

वह हमेशा जानवरों के अधिकार को लेकर बात करती थी। हाल ही में घर में एक पालतू कुत्ते की मौत हुई थी इसके बाद से वह डिप्रेशन में थी। चार दिन पहले ही चूहा खरीदा था।

7वीं की बच्ची द्वारा की गई इस आत्महत्या से एक बार फिर बच्चों की इस प्रवत्ति पर बहस शुरू हो गई है। जानकारों का मानना है इतनी छोटी बच्ची द्वारा ऐसा कदम उठाया जाना कमजोर हो रहे हमारे समाज के रूप को दिखाता है। वहीं जानकारों ने बच्चों को डिप्रेशन से बाहर निकालने के कई तरीके भी बताए ताकि बच्चे ऐसा कदम न उठाए और एक मजबूत समाज का निर्माण हो जहां आत्महत्या जैसी बुराईयां न रहें।

बच्चों को ऐसे अवसाद से बाहर निकलें:
डिप्रेशन एक आम लेकिन गंभीर मूड डिसऑर्डर है जो कि व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता, विचार, व्यवहार और कार्य क्षमता पर कुप्रभाव डालता है। सामान्यत: किशोरावस्था में डिप्रेशन कई कारणों से हो सकता है जैसे स्कूल और पढाई का दबाव, आत्म-विश्वास की कमी, किसी कार्य को करने में असमर्थ होना, गलत संगत में पड़ जाना या किसी सहपाठी के साथ झगड़ा आदि।

डिप्रेशन की चपेट में आने से किशोरों का विकास रुक सकता है और इससे कई अलग समस्याएं भी हो सकती है। हालांकि डिप्रेशन का इलाज संभव है और किशोरों के माता-पिता इसमें मदद कर सकते हैं। बच्चों की जीवनशैली और कुछ चीजों में बदलाव करके उन्हें डिप्रेशन से बाहर लाया जा सकता है।

1- बच्चों को समझें और उनकी बात सुनें: अगर आपके बच्चें आपसे किसी बारे में बात करें तो उनकी आलोचना करने की बजाय उनकी बात सुनें और उन्हें समझने की कोशिश करें क्योंकि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका बच्चा आप से बात कर रहा है। हमेशा अपने बच्चों को यह बताएं की आप उनके साथ हैं चाहे कोई भी परिस्थिति हो।
2- हमेशा प्यार से बात करें: अगर आपके पूछने पर पहली बार में बच्चा आपसे बात करने से मना कर दे तो इसका मतबल यह नहीं कि आप उससे इस बारे में बात ही ना करें। डिप्रेशन के बारे में किशोरों से बात करना बहुत मुश्किल होता है। बच्चे को सम्मान दें ताकि वह आपसे बात करने में सहज महसूस करें।

3- आमने सामने बैठकर बात करें: बच्चों के साथ आमने-सामने बैठकर बात करें। इस समय में केवल अपने बच्चों पर ध्यान दें और उसकी बात को समझे। ऐसा करने से आपके बच्चे में आत्मविश्वास आएगा और वह डिप्रेशन की समस्या से बाहर आ पाएगा।

4- बच्चों को व्यस्त रखें: क्लास जैसी गतिविधियों में बच्चों को व्यस्त रखें। जिससे उनको खुशी मिले। साथ ही कुछ समय बाद वह इससे प्रेरित होने लगेंगे और डिप्रेशन से जल्द से जल्द बाहर आ जाएंगे।

5- शारीरिक गतिविधि में भाग लेने के लिए प्रेरित करें: व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है तो अपने बच्चों को एक्टिव बनाएं। बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए दिन में कम से कम एक घंटा शारीरिक एक्टिविटी करनी चाहिए लेकिन यह बोरिंग नहीं होना चाहिए। अगर इस तरह की एक्टिविटी बच्चे करते हैं तो उनके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानिसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा और आसानी से डिप्रेशन से बाहर भी आ जाएंगे।
6- पौष्टिक व संतुलित आहार दें: बच्चों के मूड के मुताबिक पौष्टिक भोजन दें, मगर याद रहे भोजन ताजा फल, प्रोटीन से भरपूर हो। जिसे देखकर ही बच्चे खाने के लिए तैयार हो जाएं क्योंकि डिप्रेशन के दौरान खाने की इच्छा बहुत कम या बहुत ज्यादा हो जाती है।