22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मध्यप्रदेश की सियासत में लौट रही हैं साध्वी उमा, कमलनाथ के खिलाफ कमजोर पड़ रहे हैं शिवराज!

— मध्यप्रदेश में अपनी जमीन तलाश रही हैं उमा भारती, जमीन पर मुकाबला करने की छवि से कार्यकर्ताओं तक जाने की कोशिश— शिवराज के घटते कद में उमा का बढ़ता हस्तक्षेप केंद्रीय नेतृत्व के लिए बढ़ा सकता है मुश्किलें

4 min read
Google source verification

भोपाल

image

Pawan Tiwari

Aug 18, 2019

uma bharti

मध्यप्रदेश की सियासत में लौट रही हैं साध्वी उमा, कमलनाथ के खिलाफ कमजोर पड़ रहे हैं शिवराज!

भोपाल. मध्यप्रदेश में एक बार फिर से मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती ( Uma Bharti ) की सक्रियता बढ़ने लगी है। ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुआ उमा भारती ने कहा था कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी वो उसको निभाएंगी। इस बयान के साथ ही उन्होंने मध्यप्रदेश में अपनी वापसी की मंशा जाहिर कर दी है। जिस तरह से उमा भारती कमल नाथ ( Kamal Nath ) सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल रही हैं, उसने भाजपा कार्यकर्ताओं के भीतर उमा की लोकप्रियता को बढ़ाना शुरू कर दिया है।

दरअसल, कमलनाथ सरकार के खिलाफ भाजपा के भीतर से कोई भी हमलावर तेवर अख्तियार नहीं कर रहा है। ऐसे में उमा भारती ने मैदान संभाल लिया है। वह लगातार कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर हमले कर रही हैं। उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि वो मध्यप्रदेश से कभी अलग नहीं हुई हैं। मध्यप्रदेश में वो लगातार सक्रिय रही हैं। उमा भारती की सक्रियता से प्रदेश की राजनीति में सियासत और अटकलों का दौर शुरू हो गया है। वहीं, दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ( Shivraj Singh Chouhan ) की सक्रियता मध्यप्रदेश में कम होती जा रही है। जिस तरह से उन्होंने खुद को सोशल मीडिया तक सीमित किया है, वह शिवराज की कार्यकर्ताओं से बढ़ती दूरियां साबित कर रहा है।

शिवराज को केन्द्रीय जिम्मेदारी
15 सालों तक मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रही। शिवराज सिंह चौहान करीब 12 सालों तक लगातार प्रदेश के सीएम रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई। भाजपा की हार के बाद पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। शिवराज के साथ उमा भारती भी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। शिवराज सिंह के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनते ही केन्द्रीय संगठन ने उन्हें भाजपा सदस्यता अभियान का प्रमुख बना दिया। वहीं, 2019 का लोकसभा चुनवा नहीं लड़ने वाली उमा भारती का सक्रियता अचानक मध्यप्रदेश में बढ़ गई। मध्य प्रदेश की सियासत से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बढ़ती दूरियों के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की राज्य में सक्रियता बढ़ गई है। सूत्रों का कहना है कि उमा भारती पार्टी कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात से लेकर गंभीर मसलों पर भी बोलने लगी हैं।

इसे भी पढ़ें- कमलनाथ जल्द दे सकते हैं इस्तीफा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोकने के लिए इस नेता को मिल सकती है कमान !


आखिर क्यों सक्रिय हुईं उमा
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उमा भारती की सक्रियता से प्रदेश की राजनीत फिर से गर्म हो गई है। शिवराज समेत भाजपा के कई बड़े नेताओं ने कमल नाथ सरकार के गिरने का दावा किया। लेकिन विधानसभा में कांग्रेस ने अपना बहुमत साबित किया और खुद भाजपा के दो विधायक बागी हो गए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि कमल नाथ सरकार के खिलाफ हमला करने में शिवराज सिंह कमजोर साबित हो रहे हैं ऐसे में एक बार फिर से उमा भारती की सक्रियता बढ़ गई है। उमा भारती ही वो नेता हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश में 2003 में भाजपा की वापसी कराई थी। 2003 का चुनाव भाजपा ने उमा भारती के नेतृत्व में लड़ा था और प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार को सत्ता से बाहर कर भाजपा की वापसी कराई थी। कहीं न कहीं उमा भारती अपने हमलावर तेवरों के सहारे कार्यकर्ताओं के बीच अपनी छवि को मजबूत करना चाह रही हैं। जिस तरह से सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा नेताओं ने कार्यकर्ताओं से दूरियां बनाई हैं, जमीनी आंदोलन ठप पड़े हैं। ऐसे में उमा कार्यकर्ताओं की भावनाओं को आवाज देने की कोशिश कर रही हैं।

इन मुद्दों पर सामने आईं उमा भारती
भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल के बागी होने के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के नेतृत्व में सवाल उठने लगे थे। ऐसे में उमा भारती गोपाल भार्गव के बचाव में उतरी और उन्होंने मोर्चा संभाला। बताया जा रहा है कि दो विधायकों के बागी होने से पार्टी हाईकमान गोपाल भार्गव से नाराज हो गया था। इतना ही नहीं, कहा जा रहा था कि भार्गव के पद पर खतरा भी मंडराने लगा था। उमा भारती, गोपाल भार्गव के साथ पूर्व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और वर्तमान राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने गईं थी इसकी तस्वीरें भी उन्होंने अपने सोशल मीडिया में पोस्ट की थीं।

इसे भी पढ़ें- भाजपा को लग सकता है बड़ा झटका, मंत्री का दावा- कांग्रेस के पक्ष में आएंगे 8 बीजेपी विधायक

नरोत्तम मिश्रा के बचाव में भी सामनें आईं
इसके साथ ही उमा भारती ने शिवराज सरकार में मंत्री रहे नरोत्तम मिश्रा का भी खुला समर्थन किया खा। नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में सबसे पहले उमा भारती ही आईं थीं। उन्होंने ई-टेंडरिंग मामले में नरोत्तम मिश्रा की छवि को खराब करने का आरोप कमलनाथ सरकार पर लगाया। यह पहला मौका है, जब उमा भारती ने खुलकर कमलनाथ सरकार के खिलाफ हमला बोला था।

कमल नाथ सरकार के खिलाफ बोला हमला
उमा भारती ने ग्वालियर में कमल नाथ सरकार पर भी हमला बोला। सरकार गिरने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि भाजपा कमल नाथ सरकार गिराने का पाप नहीं करेगी। सरकार की जो कार्यशैली है उस कार्यशैली से कांग्रेसी ही सरकार गिरा देंगे। उमा भारती के बयान पर पलटवार करने के लिए कमल नाथ सरकार की मंत्री इमरती देवी को भी सामने आना पड़ा था।

शिवराज के शासनकाल में एमपी में सक्रिय नहीं थी उमा भारती
उमा भारती की अगुवाई में भाजपा ने वर्ष 2003 में राज्य की सत्ता पर कब्जा किया था, मगर बाद में उन्होंने तिरंगा प्रकरण पर पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस घटना के बाद वो मध्यप्रदेश की सियासत से धीरे-धीरे दूर होती गईं थी। यहां तक की 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने मध्यप्रदेश की किसी सीट से ना लड़ कर उत्तर प्रदेश की झांसी सीट से लड़ा था और केन्द्र में मंत्री बनीं थी। जानकारों का कहना है कि उमा भारती मध्यप्रदेश की मौजूदा राजनीति में अपना दखल बनाए रखना चाहती हैं।

इसे भी पढ़ें- भाजपा को बगावत का डर, पार्टी अपने विधायकों से पूछ रही ये 5 सवाल, केन्द्रीय संगठन ने भी मांगी रिपोर्ट

हाशिए पर शिवराज
कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि शिवराज सिंह चौहान पर मध्यप्रदेश में हाशिए में हैं। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में कर्जमाफी के मुद्दे के अलावा किसी और मुद्दे पर अधिक सक्रिय नहीं दिखे। हालांकि शिवराज सिंह चौहान सोशल मीडिया के माध्यम से कमल नाथ सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं। पर जमीनी तौर पर शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के बजाए केन्द्रीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय हैं।