
Pachmarhi, Madhya Pradesh, India
mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है महाशिवरात्रि के मौके पर पचमढ़ी की वादियों में बसे जटाशंकर महादेव के बारे में...। माना जाता है कि यह शिवजी का दूसरा घर, जबकि पहला घर कैलाश पर्वत है....।
भोपाल। भोले शंकर का पहला घर कैलाश पर्वत है, दूसरा घर जटाशंकरधाम है। यह स्थान पचमढ़ी की वादियों में सैकड़ों चट्टानों के बीच बसा हुआ है। यहां के कण-कण में शिवजी बसते हैं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भस्मासुर जब शिवजी के पीछे पड़ गए थे, तब शिवजी ने पहले इटारसी के पास स्थित तिलक सिंदूर और उसके बाद पचमढ़ी के जटाशंकर में शरण ली थी। पचमढ़ी में शिवजी ने यहां अपनी विशालकाय जटाएं फैलाई थी। यहां की चट्टानों के फैलाव को देखकर भी यही प्रतीत होता है। यह स्थान शिवजी का दूसरा घर माना जाता है।
यह बात शिवजी के इसी स्थान पर बरसों से रह रही सिंधु बाई बताती हैं। वे शिवजी की भक्त हैं। यहां दिनरात जंगल में ही रहती हैं और हमेशा शिव की भक्ति में लीन रहती हैं।
सिंधु बाई बताती हैं कि पौराणिक कथाओं में भी इसका उल्लेख है। उसके मुताबिक जब भस्मासुर शिवजी के पीछे पड़ गए थे उस समय शिवजी भागकर यही छुपे थे। पहाड़ों और चट्टानों के बीच बरगद के पेड़ों की झूलती शाखाएं देखकर ऐसा लगता है कि शिवजी ने अपनी विशालकाय जटाएं फैला रखी हैं। इसके साथ ही रॉक फॉर्मेशन से भी ऐसा ही प्रतीत होता है। बताया जाता है कि इसी कारण इस स्थान का नाम जटाशंकर पड़ा। इसके अलावा यहां बड़ी-बड़ी और झुकी हुई चट्टानों को देखकर भी ऐसा लगता है जैसे शिवजी अपनी जटाएं फैलाए हुए हैं।
विदेशों तक फेमस हो गई सिंधु बाई की आवाज
यहां शिवजी के प्रति लोगों की इतनी श्रद्धा है कि वे लोगों के दिलों में बसते हैं। यहां एक महिला बरसों से शिवजी के भजन गाती है। उसके भजन और आवाज का जादू ऐसा है कि हर कोई श्रद्धालु उसके भजन सुनने के लिए ठहर जाता है। कुछ लोगों ने उसके भजनों की सीडी भी प्रकाशित की है। सिंधु बाई नाम की यह महिला दो दशक पहले महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के गोरज गांव से यहां आकर रहने लगी थी। वह क्यों आई इस बारे में वह सिर्फ इतना कहती है कि शिवजी ही मुझे यहां तक ले आए। सिंधु बाई को स्थानीय लोग भक्तन बाई के नाम से भी पुकारते हैं। पिछले दो दशकों से सिंधु बाई चट्टानों पर बैठकर भजन कीर्तन करती रहती है। पहाड़ों से निकालकर लाई गी जड़ी-बूटी बेचकर अपना पालन-पोषण करती है।
अब सिंधु बाई के भजनों की सीडी भी देश-विदेशों में अपनी पहचान बना चुकी है, जो भी पचमढ़ी आता है वह सिंधु बाई के बारे में जरूर पूछता है। सिंधु के भजन यू-ट्यूब पर भी मौजूद हैं। जब लोग जटाशंकर पहुंचते हैं और सिंधु बाई के बारे में पूछते हैं तो वह देखते-ही-देखते सबके सामने आ जाती है और शिव भक्तों के लिए भजन गाने लगती है। आज सिंधु बाई के मुख से यह भजन सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और जोश और ऊर्जा से भर जाते हैं।
यह है भजन का भाव, सुनिए अम्मा की जुबानी
इस भजन में सिंधु बाई ने शिवजी की तारीफ की है और साथ में यह भी प्रार्थना की गई है कि आपके गले में सर्प की माला, भभूत लगाए, हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए शिवजी, तो कैसे पूजा करूं, मुझे डर लगता है।
जड़ी-बूटियां बेचकर पालती है पेट
चट्टानों में रहने वाली यह सिंधु बाई जडी-बूटियां बेचकर अपना पेट पालती है। वह बताती है कि पचमढ़ी के जंगलों में जड़ी-बूटियों का खजाना है। इसे जंगलों से लाते हैं और बेचते हैं। इन जड़ीबूटियों के सेवन से कई लोगों को बीमारियों में फायदा हुआ है।
शिवजी का दूसरा घर है पचमढ़ी
MP के पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर माना जाता है। भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए जिन कंदराओं और खोहों में छुपे थे वह सभी स्थान पचमढ़ी में ही हैं। वैसे तो पूरे सालभर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन श्रावण में और शिवरात्रि ? के दौरान सैंकड़ों भक्त यहाँ पूजा करने के लिए आते हैं। श्रावण में यहां मेला जैसा नजारा रहता है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सिंधु बाई बताती हैं कि यहां आने वालों के कष्ट दूर हो जाते हैं।
(पचमढ़ी के जटाशंकर जाने वाले रास्ते कुदरती रूप से चट्टानों में विभिन्न आकृतियां बन गई हैं। इनमें शिवजी का एक नंदी शिवलिंग की तरफ मुख करके बैठा हुआ है। वहीं एक अन्य पहाड़ी की तलहटी पर गणेशजी की आकृति नजर आती है।)
ऐसे पहुंच सकते हैं जटाशंकर
भोपाल से यह स्थान करीब 186 किलोमीटर दूर है। भोपाल, होशंगाबाद, इटारसी, छिंदवाड़ा और जबलपुर से सीधी बसें भी चलती हैं। इसके अलावा रेल मार्ग से जाने वालों के लिए पिपरिया रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पिपरिया रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद लोकल वाहन मिल जाते हैं। जो दो घंटे में पचमढ़ी पहुंचा देते हैं। इसके अलावा सबसे नजदीकी हवाई अड़्डा भोपाल और जबलपुर है।
Published on:
07 Feb 2018 06:00 am
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