28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सोमवती अमावस्या 2017 : बन रहा शुभ संयोग, जाने पूजा विधि और महत्व

18 दिसंबर 2017 को सोमवती अमावस्या के दिन करें ये उपाय, दूर हो जायेंगी परेशानियां

3 min read
Google source verification
somwati amavasya

भोपाल। 18 दिसम्बर यानि सोमवार को सोमवती अमावस्या है। पूरे सहित मध्य प्रदेश के त्यौहारों में सोमवती अमावस्या का खास महत्व है। मध्य प्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी में इस दिन लाखों लोग डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं। इस दिन प्रदेश भर के हजारों घाटों पर नर्मदा स्नान होता है। नर्मदा स्नान के साथ ही श्रद्धालु सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। कहा जाता है कि ये अर्घ्य देने से अमोघ फल प्राप्त होता है। वैसे तो प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दिया जाना चाहिए, लेकिन अमावस्या और खासकर सोमवती अमावस्या पर ऐसा करने से ये पुण्य कई हजार गुना बढ़ जाता है।

भोपाल के ज्योतिषाचार्य पं. भगवती शरण उपाध्याय के अनुसार हिन्‍दू धर्म में सोमवार को आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है। इस अमावस्या के बारे में शास्त्रों में भी बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि माघ, पौष के महीने में नदी या सरोवर में स्नान कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से अमोघ फल प्राप्त होता है। वैसे भी सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूप से भगवान शिवजी को समर्पित होती है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को देवी ही नहीं मां के रूप में पूजा जाता है, ऐसे में इस दिन नर्मदा घाटों पर काफी भीड़ दिखाई देती है।

ज्योतिषाचार्य पं. भगवती शरण उपाध्याय के अनुसार इस दिन कुछ खास उपाय करने से पुण्य लाभ कई गुना कमाया जा सकता है। वैसे तो नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो आप कुछ आसान से उपायों से भी इस अमावस्या पर पुण्य लाभ कर सकते हैं। कहा जाता है कि इस दिन तुलसी परिक्रमा से दरिद्रता दूर होती है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को स्नान ध्यान के बाद तुलसी की 108 परिक्रमा की जाए तो इससे दरिद्रता दूर होती है।

सोमवती अमावस्या को किया गया व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस दिन किया गया व्रत कई हजार व्रतों के पुण्य के बराबर होता है और अमोघ फल प्रदान करने वाला होता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी दूर होती है वहीं भगवान शिव का जलाभिषेक और उनकी पूजा अर्चना करने से मनवांछित फल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा पितरों का आशीर्वाद भी इस दिन प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए उपलों की आग में गुड़ - घी का धूप करना चाहिए।

इस तरह करें पीपल की पूजा
सबसे पहले पीपल पर दूध मिश्रित जल चढ़ायें, भगवान विष्णु का ध्यान करते हुये नमन करें, इसके बाद दांए घी का तथा बांए तेल का दीपक जलायें, घी के दीपक के नीचे चने की दाल रखें तथा तेल के दीपक के नीचे काले उड़द तथा काले तिल रखें। इसके बाद पीपल वृक्ष को विष्णुमय समझ कर षोडशोपचार विधि से पूजन करें, इसके बाद परिक्रमा आरम्भ कर पीपल पर थोड़ा जल छिड़क कर, थोडे़ फूल चढ़ायें, इसके बाद कच्चा सूत पीपल पर लपेटें तथा परिक्रमा करते हुये मंत्र “ऊँ नमोः भगवते वासुदेवाय” बोलते हुये परिक्रमा करें तथा प्रार्थना करें इस दिन किया गया यह प्रयोग तुरन्त फलदायी होता है।

अपने सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं करती हैं ये व्रत
सोमवती अमावस्या को स्त्रियां आने सुहाग की रक्षा या पति की आयु वृद्धि के लिए पीपल वृक्ष के मूल को विष्णु का प्रतीक मानकर उसकी 108 बार परिक्रमा करती हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि जो स्त्री अपने सुहाग की रक्षा की कामना करती है, वह पीपल वृक्ष के मूल में विष्णु की प्रतिमा बनाकर शास्त्र सम्मत विधि से पूजन करें। पीपल वृक्ष में सभी देवों का वास होना माना जाता है।

पझ्पुराण के सृष्टि खण्ड में पीपल के वृक्ष के स्पर्श करने से पापों का क्षय तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, प्रदक्षिणा करने से आयु बढ़ती है, पीपल वृक्ष के मूल में दूध, नैवेद्य, दही, फूल चढ़ाने तथा दीप दिखाने से अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसके मूल में विष्णु, तने में शिव तथा अग्र भाग में ब्रह्मा बिराजमान रहते हैं। आगम ग्रंथों के अनुसार रविवार के दिन पीपल के नीचे एक मुखी हनुमत् कवच के पाठ करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या को पीपल वृक्ष के नमन से एक हज़ार गौओं के दान का फल मिलता है।