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‘ऑनलाइन क्लास’ के लिए जारी के गए ये नियम, सभी को करना होगा पालन

-मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तैयार की एसओपी-शिक्षक और माता-पिता मिलकर रोकेंगे -पढ़ाई के नाम पर बच्चे नहीं हों ऑनलाइन गेम्स का शिकार

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भोपाल। ऑनलाइन गेम्स के दुष्प्रभाव का शिकार होने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच संक्रमण में बढ़त होने से सभी कक्षाएं बंद होने के साथ मोबाइल का प्रयोग और ऑनलाइन गेम्स का खतरा और बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।

मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा में मोबाइल और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग की परिस्थितियों को देखते हुए ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान मोबाइल का दुरुपयोग रोकने के लिए एक स्टैण्डर्ड ऑपरेशन प्रोसीजर (एसओपी) तैयारी की है। इस एसओपी को बाल आयोग, शिक्षा विभाग को भेजेगा जो कि विभाग के माध्यम से शिक्षकों तक पहुंचेगी। शिक्षक न केवल खुद इसकी अनुशंसाओं की पालना करेंगे बल्कि माता-पिता तक पहुंचाकर उन्हें जागरुक करते हुए अनुशंसाओं की पालना कराएंगे। बाल आयोग ने बताया है कि अब आने वाले दिनों में ऑनलाइन कक्षाएं ही चलेंगी।

ऐसे में ऑनलाइन कक्षाओं में शिक्षक और अभिभावकों की जवाबदारी तय की जानी जरूरी है। ऑनलाइन गेम न केवल बच्चों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं बल्कि जानलेवा भी बनते जा रहे हैं। इसको बाल आयोग ने गंभीरता से लेते हुए बाल आयोग ने एसओपी तैयार की है।

ये है बाल आयोग की एसओपी

- जब शिक्षक ऑनलाइन कक्षा की शुरुआत करेगा तब अभिभावकों से रूबरू होकर उन्हें कक्षा शुरू होने एवं कक्षा की अवधि की जानकारी देगा।

- इसी तरह कक्षा का समापन करेगा तब एक बार फिर अभिभावकों को बुलाकर कक्षा पूरी हो जाने की सूचना देगा साथ ही यह भी कहेगा कि, मैंने मोबाइल उपयोग का कार्य नहीं दिया है, यदि इसके बाद बच्चा लगातार मोबाइल पर व्यस्त रहता है तो वह शैक्षणिक गतिविधि का हिस्सा नहीं है।

- माता-पिता कक्षा समाप्त होने के बाद बच्चे से मोबाइल लेकर अपने पास रख लें।

- शिक्षक, सप्ताह में एक बार अभिभावकों से संवाद कर विद्यार्थी की गतिविधियों और पढ़ाई की प्रगति पर चर्चा करें।

- मोबाइल ज्यादा समय बच्चे के पास ना रहे इस प्रकार की गतिविधि को शिक्षकों और माता-पिता को मिलकर रोकना है।

- आयोग ने सुझाव दिया है कि यदि कोई बड़ा बच्चा गलत चीजों को सर्च कर रहा है तो इसे देखकर माता-पिता तुरंत बच्चे से कुछ ना कहें, गतिविधि पर ध्यान दें, एक सप्ताह तक उसकी गतिविधियों पर नजर रखें यदि बच्चा लगातार इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो रहा है तो उसकी काउंसलर की मदद लें।

- यदि विद्यार्थी व्यवहार और गतिविधियों में कोई बदलाव दिखाई देता है तब तत्काल उसकी गतिविधियों को ध्यान में रखकर उसे अपनत्व दें, प्यार देकर समझाइश दें।

ब्रजेश चौहान, सदस्य, मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि आयोग ने वर्तमान में ऑनलाइन गेम्स से बच्चों को हो रहे बदलाव एवं नुकसान से बचाव के लिए खतरनाक अवैध सामग्री और ऐसे खेलों पर प्रतिबंध लगाने की गृह मंत्रालय से अनुशंसा की है। लेकिन साथ ही शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी तय करते हुए एसओपी तैयार की है। जिससे इस तरह के नुकसान से बच्चों को बचाया जा सकेगा।