
Soybean price MP Umang Singar tweet Demand to increase soybean prices to 8 thousand on Swaminathan report
Soyabean price MP Umang Singar tweet Demand to increase soyabean prices to 8 thousand on Swaminathan report मध्यप्रदेश में सोयाबीन उत्पादक किसान दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। एक ओर तो अतिवृष्टि के कारण खेतों में खड़ी फसल खराब हो रही है वहीं दूसरी ओर बाजार में सोयाबीन के भाव भी बेहद कम हैं जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। पिछले साल का सोयाबीन बेचने जा रहे किसान बाजार से मायूस होकर लौट रहे हैं। हाल ये है कि प्रदेश में किसानों ने खेतों में सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्टर चलाना शुरु कर दिया है। इस बीच प्रदेश के एक कांग्रेस नेता ने स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सोयाबीन का भाव तय करने की मांग उठाकर किसानों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने इस संबंध में ट्वीट भी किया है।
एमपी, देश में सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक राज्य है। करीब तीन दशक पहले प्रदेश के मालवा निमाड़ और हरदा-नर्मदापुरम जिलों के किसानों को सोयाबीन ने मालामाल बना दिया था। अब यही फसल उनकी बर्बादी की वजह भी बन रही है। लगातार बढ़ती लागत और कम होती कीमतों के कारण सोयाबीन उत्पादक किसानों का खासा नुकसान हो रहा है।
सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी 4892 रुपए तय किया है लेकिन बाजार में किसानों को औसतन 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल का भाव ही मिल रहा है। दरअसल गेहूं और धान जैसी फसलों के समान सोयाबीन की सरकारी खरीदी नहीं की जाती है जिससे किसानों को इसके उचित भाव नहीं मिल पाते।
लगातार घाटे से निराश सोयाबीन उत्पादकों के लिए एमपी कांग्रेस आगे आई है। कांग्रेस ने सोयाबीन के भाव बढ़ाने की बात कही है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने तो स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सोयाबीन का भाव वर्तमान बाजार दर से दोगुना यानि 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की मांग उठाई है। उन्होंने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। किसान संगठनों का भी यही कहना है कि सोयाबीन की कीमत लागत के अनुपात में बढ़ने से किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है।
किसान खेतों में खड़ी सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्टर चला रहे हैं। पिछले दिनों मंदसौर जिले के एक किसान का यही करते हुए वीडियो भी सामने आया था! लेकिन, #MP_सरकार पर किसानों की पीड़ा का कोई असर नहीं हुआ।
किसानों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण है सोयाबीन की #MSP पर खरीद नहीं होना। सरकार ने #MSP ₹4892 तय की है, पर उस पर खरीदी नहीं हो रही।
किसानों को अभी भी 12 साल पुरानी कीमत पर सोयाबीन बेचना पड़ रही है, जिस पर उत्पादन लागत भी नहीं निकलती।
स्वामीनाथन की रिपोर्ट भी कहती है कि लागत से दोगुना भाव रखा जाए। उसी के मुताबिक MSP कम से कम 8000 रुपया निर्धारित की जाए और साथ ही बोनस भी दिया जाए, क्योंकि ये किसान का हक है।
सोयाबीन का रकबा लगातार घट रहा है। इसके बावजूद सरकार की हवाबाजी जारी है।
अपने आपको किसान हितैषी कहने वाली सरकार #सोयाबीन उत्पादक किसानों की सबसे बड़ी दुश्मन बन गई
Published on:
27 Aug 2024 05:04 pm
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