
Higher Education Policy : मध्य प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा नीति में बड़ा बदलाव किया है। एमपी के कॉलेजों में अब हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल किया गया है। अब छात्र बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल, गुजराती और पंजाबी जैसी भाषाओं में भी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। राजधानी भोपाल में विचार-विमर्श सत्र के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षाविदों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की मौजूदगी में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई है।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस निर्णय को लेकर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि 'भाषाएं जोड़ती हैं, तोड़ती नहीं। सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी'। मंत्री परमार के अनुसार, मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय अब विभिन्न भारतीय भाषाओं की पढ़ाई का अवसर देंगे। इससे न केवल छात्रों की भाषाई जानकारी बढ़ेगी बल्कि राज्य को भाषाई विविधता का केंद्र बनाने में भी मदद मिलेगी।
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लागू होने के बाद मध्य प्रदेश ने उच्च शिक्षा में बदलाव को सबसे पहले अपनाया है। यानी मध्य प्रदेश इस कदम को लेने वाला देश का पहला राज्य है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश ने एनईपी 2020 को लागू किया गया था।
मध्य प्रदेश के इस कदम से न सिर्फ राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि ये देशभर में बहुभाषी संस्कृति को भी बढ़ावा देगा। राज्य ने इसे सांस्कृतिक समृद्धि के रूप में प्रस्तुत किया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य राज्य भी इस पहल को अपनाएंगे या राजनीतिक कारणों से इस पर मतभेद बने रहेंगे।
Updated on:
01 Apr 2025 11:44 am
Published on:
01 Apr 2025 11:19 am
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