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स्लॉटर हाउस को लेकर नगरीय प्रशासन और महापौर आमने-सामने

आयुक्त ने महापौर को शो-कॉज नोटिस तक जारी किया तो महापौर ने नोटशीट चलाकर आवंटित जमीन पर नगरीय प्रशासन विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

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Slaughter house tension

भोपाल। स्लॉटर हाउस को शहर से बाहर शिफ्ट कराने और रोकने की जद्दोजहद ने नगरीय प्रशासन और महापौर के बीच जंग(tension) छेड़ दी है। नगरीय प्रशासन आयुक्त विवेक अग्रवाल ने नगर निगम परिषद (Urban Administration and Mayor) में स्लॉटर हाउस की शिफ्टिंग आमदपुर में नहीं होने का पूरा ठीकरा महापौर आलोक शर्मा पर फोड़ दिया।

अग्रवाल उधर, बात अपने ऊपर आती देख महापौर ने भी अपनी प्रतिक्रिया के साथ नोटशीट चलाकर स्लॉटर हाउस के लिए आवंटित जमीन पर नगरीय प्रशासन विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। यही वजह रही कि दो दिन पहले एनजीटी में नगरीय प्रशासन को अपनी गलती स्वीकारना पड़ी और जमीन आवंटन के लिए समय मांगना पड़ा।

बहुमत के आधार पर रद्द किया था प्रस्ताव :
तीन अगस्त को नगर निगम परिषद ने स्लॉटर हाउस के आदमपुर छावनी में शिफ्टिंग के प्रस्ताव को बहुमत के आधार पर रद्द कर दिया था। इससे नगरीय प्रशासन विभाग(Urban Administration) को बड़ा झटका लगा था। इसकी वजह, आयुक्त नगरीय प्रशासन विवेक अग्रवाल २८ फरवरी २०१७ को एनजीटी में शपथ देकर बता चुके थे कि वे स्लॉटर हाउस के लिए जमीन का निगम को आवंटन व आधिपत्य दे चुके हैं। जबकि, हकीकत ये है कि अग्रवाल ने एनजीटी में जिस जमीन के आवंटन का जिक्र किया था, वह सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के लिए दी थी।

नोटशीट चलाकर मांगी जानकारी :
स्लॉटर हाउस के नाम पर कोई जमीन नहीं दी गई है, फिर भी महापौर पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ते हुए निगम प्रशासन आयुक्त ने २६ अगस्त को निगम प्रशासन के साथ ही महापौर आलोक शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। महापौर ने इसे आधार बनाते हुए स्लॉटर हाउस की जमीन के खसरे नंबर से लेकर उसके आरक्षण, आवंटन, सुपरविजन और तमाम तरह की जानकारियां मांगने नगरीय प्रशासन को नोटशीट चला दी। नोटशीट चलते ही हड़कंप मच गया।

नगरीय प्रशासन से फिर से 20 सितंबर को निगम को एक नोटिस जारी कर जल्द से जल्द परिषद की बैठक में प्रस्ताव लाने को कहा गया। आयुक्त ने मामले में बयान देने से इनकार कर दिया। वहीं महापौर शर्मा का कहना है कि हम प्रक्रिया कर रहे हैं। अब नए सिरे से फाइल परिषद में जाएगी। यदि यहां से ये नामंजूर हो जाती है तो शासन के पास कानूनी राय के लिए पहुुंचेगी।